लखनऊ। सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले वनटंगिया, मुसहर और थारू समुदाय की बहुलता वाले सैकड़ों गाँवों की तस्वीर बदलने वाली है। इन गाँवों को मुख्यमंत्री ग्राम विकास योजना के तहत विकसित किया जाएगा और यहां के ग्रामीणों को खेती और कौशल विकास को लेकर प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके साथ ही शहीद सैनिकों के गाँवों को प्रमुखता से विकसित किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश दिवस पर बुधवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस योजना की शुरुआत की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि 1655 गाँवों को बुनियादी सुविधाओं से जोड़ेंगे।
योजना के तहत इन गाँवों में सड़क, बिजली, नाली खड़ंजा तो होगा ही। कौशल विकास और आजीविका और कृषि संबंधी योजनाएं को प्रमुखता के आधार पर लागू किया जाएगा।
योगेश कुमार, अपर आयुक्त मनरेगा, उत्तर प्रदेश
योजना के तहत मुख्य रूप से अनुसूचित, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग वाले इन गाँवों में 17 विभागों की 24 योजनाओं से विकास और जनकल्याण के कार्यक्रम चलाए जाएंगे। 75 जिलों और 59163 ग्राम पंचायतों वाले उत्तर प्रदेश की करीब 560 किलोमीटर लंबी सरहद नेपाल से जुड़ी है, जबकि देश में उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के आसपास हजारों गाँव है, इनमें से कम आबादी वाले पुराई-पुरवों और टोलों का विकास कराया जाएगा।
अपर आयुक्त मनरेगा, ग्राम विकास विभाग योगेश कुमार गाँव कनेक्शन को बताते हैं, “योजना के तहत इन गाँवों में सड़क, बिजली, नाली खड़ंजा तो होगा ही। कौशल विकास और आजीविका और कृषि संबंधी योजनाएं को प्रमुखता के आधार पर लागू किया जाएगा।’’ वो आगे बताते हैं, ‘’योजना के तहत देश के लिए शहीद होने वाले सैनिक और अर्धसैनिक बलों के गाँवों के चयनित तक शहीद ग्राम घोषित किया जाएगा, उन्हीं के नाम पर वहां गौरव पथ और गेट और मूर्तियों की स्थापना कराई जाएगी।’’
वनटंगिया, थारू, मुसहर वर्ग की बड़ी आबादी है। नेपाल की तराई से सोनभद्र में बिहार और झारखंड की सीमा तक तो बुंदेलखंड में मध्य प्रदेश तक फैले हैं। प्रदेश में थारू लोगों की संख्या 105291 और मुसहर समुदाय की संख्या 206594 है। जंगलों के करीब रहने वाली इस आबादी में बड़ी संख्या उनकी भी है, जिन्हें पेंशन, राशन कार्ड और शिक्षा जैसी सुविधाएं नहीं मिलती है। गोरखपुर में जंगलकौड़िया के कई ब्लॉक हैं, जहां जंगल में रहने वाले लोगों को वोट देने तक का अधिकार नहीं था, ग्राम पंचायत चुनाव के दौरान गाँव कनेक्शन ने इन लोगों की आवाज उठाकर इन्हें हक दिलाया था। मुख्यमंत्री समग्र ग्राम विकास योजना के तहत दूरदराज के पिछड़े राजस्व गाँवों के साथ ही मजरे और पुरवों का चयन किया जाएगा।
योगेश कुमार आगे बताते हैं, ‘’इन गाँवों के चयन के लिए मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी, बाद में योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए मंडलायुक्त और जिलाधिकारी स्तर पर भी समितियों का गठन होगा।’’
करीब 2,40,928 वर्ग किलोमीटर में फैले उत्तर प्रदेश में नेपाल से लखीमपुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, पीलीभीत सिद्धार्थनगर और महाराजगंज जुड़े हैं तो मध्य प्रदेश के जुडे जिलों में ललितपुर, झांसी, बांदा, महोबा, चित्रकूट, इलाहाबाद और सोनभद्र हैं। यही जिले प्रदेश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल हैं। ललितपुर में खुल्ला गाँव में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र राजपूत बताते हैं, मध्य प्रदेश के बार्डर पर बेतवा नदी के किनारे सहरिया बाहूल्य एक गाँव है देवगढ़ यहां आजतक सड़क नहीं पहुंची। स्कूल के नाम पर खानापूर्ति होती है। अगर नई योजना से ऐसे गाँवों को तवज्जों दी जाती है तो लाखों ग्रामीणों को फायदा होगा। क्योंकि यहां तक जो योजनाएं चल रही हैं वो भी ठीक से पहुंच नहीं पाती।’’
मुख्यमंत्री समग्र ग्राम विकास योजना में खेती और कौशल विकास को शामिल किए जाने पर नेपाल की तराई में बसे सिद्धार्थनगर के एनजीओ कार्यकर्ता दीनानाथ अच्छी पहल बताते हैं, वो कहते हैं, ‘’विकास का मतलब सिर्फ नाली खड़ंजा नहीं, अगर रोजगार और खेती को बढ़ावा देने की बात होगी तो इन पिछड़े गांवों से पलायन रुकेगा और लोगों की जिंदगी बेहतर होगी।’’