उत्तर प्रदेश की पिछली सरकारों की नाकामियों पर योगी सरकार का श्वेतपत्र

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उत्तर प्रदेश की पिछली सरकारों की नाकामियों पर योगी सरकार का श्वेतपत्रयोगी सरकार ने जारी किया श्वेत पत्र।

लखनऊ। सरकार के छह माह पूरे होने के मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को पिछले 12 साल में सरकारों द्वारा किए गए कार्यों के लिए श्वेत पत्र जारी कर लेखा-जोखा सामने रखा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप-मुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य, डॉ. दिनेश शर्मा और उनके अनेक मंत्रिमण्डलीय सहयोगियों ने संयुक्त रुप से यह श्वेत-पत्र जारी किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा, “पिछली 19 मार्च को उनके नेतृत्व में सरकार बनने से पहले प्रदेश की क्या स्थिति थी, यह समाज के सामने रखना अत्यन्त आवश्यक था। हमें छह माह पूर्व प्रदेश किस हालत में मिला, हमने इसका श्वेतपत्र जारी किया है। जनता को यह जानने का हक है, इसलिये यह श्वेतपत्र प्रकाशित किया गया है।“

योगी ने कहा, “हालांकि, पिछले 12-15 वर्षों के अंदर प्रदेश की सरकारों के कारनामों की अनन्त श्रृंखला रही है, लेकिन हमने कुछ मुख्य बिंदुओं पर ही ध्यान केन्द्रित करके उन्हें श्वेतपत्र के जरिये सामने रखा है। चुनाव जीतने के बाद जनता के प्रति पार्टियों की जवाबदेही किस प्रकार बदलती है, यह श्वेत-पत्र उसकी गवाही देता है।“ उन्होंने कहा कि सरकार की अपने गठन के शुरुआती छह माह की उपलब्धियों को सामने रखने से पहले यह श्वेतपत्र जारी किया है।

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योगी ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) और ऋणग्रस्तता के बिंदुओं का जिक्र करते हुए कहा, “नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक के प्रतिवेदन के अनुसार 30 सितम्बर 2016 तक उत्तर प्रदेश में कार्यरत प्रदेश के सार्वजनिक उपक्रमों के लेखों के अनुसार कुल 17,789.91 करोड़ रुपये की हानि उठाई, वहीं वर्ष 2011-12 में यह 6489. 58 ही थी।“

उन्होंने बताया, “इसके अलावा वर्ष 2011-12 में पीएसयू पर 35,952. 78 करोड़ रुपये का कर्ज था जो 2015-16 में बढ़कर 75, 950.27 करोड़ रुपये हो गया।“ मुख्यमंत्री ने बताया, “31 मार्च 2007 को प्रदेश सरकार पर 1,34,915 करोड़ रुपये का कर्ज था, जो 31 मार्च 2017 को बढ़कर 3,74,775 करोड़ रुपये हो गया।इस प्रकार पिछले 10 वर्षों में प्रदेश की ऋणग्रस्तता ढाई गुना बढ़ गई।“

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श्वेत पत्र में 25 बिंदु शामिल

सरकार ने 24 पन्नों के इस श्वेत पत्र में वर्ष 2003 से मार्च 2017 के बीच रही सपा-बसपा सरकारों के कार्यकाल के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में आई गिरावटों का जिक्र किया है। इनमें कानून-व्यवस्था, कृषि, लोक निर्माण, चीनी मिल, खाद्य एवं रसद, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा संचालित परीक्षाएं, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, शिक्षा, बिजली, खनन, पर्यटन एवं संस्कृति, आवास एवं शहरी नियोजन, आबकारी, स्मारकों के निर्माण, प्रदेश की वित्तीय स्थिति समेत 25 बिंदु शामिल हैं।

स्मारक निर्माण में गड़बड़ियों की जांच आगे बढ़ाने के संकेत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्ववर्ती मायावती सरकार के कार्यकाल में स्मारकों के निर्माण के नाम पर हुई सैंकड़ों करोड़ रुपये की कथित धांधली की जांच आगे बढ़ाने का संकेत दिया। उन्होंने कहा, “सरकार इस मामले में लोकायुक्त और सीएजी की रिपोर्ट को विधानमण्डल में पेश करने के बाद समिति गठित करके आगे की कार्रवाई करेगी।“

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