खुली हवा में पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे

Vinod SharmaVinod Sharma   28 Jun 2017 7:31 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
खुली हवा में पढ़ने को मजबूर हैं बच्चेखुली हवा में पढ़ने को मजबूर हैं नन्हे-मुन्ने

विनोद शर्मा, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

वाराणसी। काशी विद्यापीठ ब्लॉक के अंतर्गत कई गाँवों में अर्ली चाइल्ड केयर सेंटर की मदद से छोटे-छोटे बच्चों को शिक्षा के लिए तैयार करने की मुहिम तेज़ी से चल रही है, लेकिन प्रधान की अनदेखी के चलते नन्हे-मुन्ने बच्चे खुली आसमान के नीचे पढऩे के लिए बेबस है।

ये भी पढ़ें : कन्नौज : बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने के लिए देते है स्टार

इसकी सच्चाई का जानने के लिए रिपोर्टर ने तीन गाँवों (शिवदासपुर ,लहरतारा और केराकतपुर) का हाल जाना,जिसमें के राकतपुर गाँव में स्थिति अच्छी मिली, लेकिन शिवदासपुर और लहरतारा में खराब दिखी। शिवदासपुर में 15 सेंटर हैं, जिसमें से 9 खुली हवा में चल रहे हैं। लहरतारा स्थित आठ में से 5 सेंटर खुली जगह पर संचालित हो रहे हैं।

बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर ज्योतिमा सिंह (30) के पास ग्राम सभा केराकतपुर, शिवदासपुर और लहरतारा स्थित अर्ली चाइल्ड केयर सेंटर को संचालित कराने की ज़िम्मेदारी है। बतौर इंचार्ज ज्योतिमा सिंह बताती हैं ,'' एक साल पहले मुझे यह ज़िम्मेदारी दी गई। वर्तमान में इन सेंटरों में तीसरे चरण की ट्रेनिंग चल रही है। सुबह सात से 10 बजे तक क्लास चलती है।'' वो आगे बताती हैं, “ हम खेल-खेल में बच्चों को क, ख, ग से लेकर ज्ञ तक के अक्षर और एल्फाबेड्स के बारे में सिखाते हैं साथ ही गीत भी सिखाया जाता है। क्लास खत्म होने के बाद बच्चों को पोषाहार दिया जाता है।”

ये भी पढ़ें: पीलीभीत: सरकार शिक्षा के स्तर को सुधारने में लगी लेकिन शिक्षक हैं कि मानते ही नहीं

शिवदासपुर में 15 सेंटर हैं, जिसमें से 9 खुली हवा में चल रहे हैं। ग्राम प्रधान रीता गुप्ता से कमरा उपलब्ध कराने के लिए कई बार कहा, लेकिन अभी तक कमरा नहीं मिला। मजबूरन किराए पर कमरा लेकर सेंटर चलाना पड़ता है। कमरा नहीं मिलने पर कई जगह खुले मैदान में बच्चों को पढ़ाया जाता है।

शिवदासपुर की ग्राम प्रधान 30 वर्षीय रीता गुप्ता कहती हैं, “ बच्चों की शिक्षा को लेकर वह गंभीर है। जगह की समस्या के बारे में सुपरवाइज़र ने बताया था। फिलहाल मैंने ग्राम सभा की दो ज़मीनों को खाली कराया है। वहां पुराना निर्माण है, जिसे ढहाकर इसी वित्तीय वर्ष में नया निर्माण कराया जाएगा।”

ये भी पढ़ें: सरोजनी नगर के एक पूर्व माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए दी जाती है साईकिल

आंगनबाड़ी अंजू पाल की जिद पर ससुर सियाराम पाल ने सेंटर के लिए कमरा किराया पर दिया। 25 वर्षीय अंजू ने बताया,“ पहले तो मेरे ससुर कमरा देने के लिए तैयार नहीं थे। कमरे के लिए मैं जिद करती रही। इसके लिए मैंने दो दिन खाना नहीं खाया। स्थिति बिगड़ती देख आखिरकार मेरे ससुर जी ने कमरा दे दिया।”

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.