मीना मंच के बच्चे नुक्कड़ नाटक के जरिए रोक रहे बाल विवाह 

Diti BajpaiDiti Bajpai   15 Nov 2017 6:35 PM GMT

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मीना मंच के बच्चे नुक्कड़ नाटक के जरिए रोक रहे बाल विवाह श्रावस्ती के हरिहरपुरानी ब्लॉक स्थित कस्तूबा गांधी आवसीय बालिका विद्यालय में नाटक प्रस्तुत करतीं मीना मंच की सदस्याएं।

श्रावस्ती (हरिहरपुरानी)। बाल दिवस के मौके पर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत करके ये बताया कि अगर कम उम्र में शादी होती है तो ये कानूनन जुर्म है, साथ ही सेहत पर इसका क्या उल्टा असर पड़ता है।

हम बताते हैं कि क्यों बाल विवाह नहीं होना चाहिए

''इस नाटक में हम बताते हैं कि क्यों बाल विवाह नहीं होना चाहिए। शादी करने की उम्र क्या है? हम ने मीना मंच के कार्यक्रमों में यहीं सुना है, मीना बताती है कि लड़की को पूरी शिक्षा मिले और 18 वर्ष के बाद ही शादी हो,'' नाटक में दुल्हन की सहेली का किरदार निभा रही महिमा पांडेय (13 वर्ष) ने कहा।

कार्यक्रम में श्रावस्ती के जिलाधिकारी दीपक मीणा समेत अन्य अधिकारी रहे मौजूद।

बाल विवाह एक अभिशाप

बाल दिवस के मौके पर श्रावस्ती जिले के हरिहरपुरानी ब्लॅाक में बच्चों ने 'बाल विवाह एक अभिशाप' नुक्कड़ नाटक का मंचन किया। इसमें कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय की 20 लड़कियों ने भाग लिया।

मीना मंच की बालिकाएं करती हैं जागरुक

श्रावस्ती के विभिन्न स्कूलों में नुक्कड़ नाटक, मेंहदी प्रतियोगिता समेत कई कार्यक्रम किए गए। जिले में मुस्कान परियोजना की जिला समन्वयक शिल्पी सिंह बताती हैं, ''प्रधानों और विद्यालय प्रंबध समिति के सदस्यों की मदद से समुदाय में मीना मंच की बालिकाओं द्ववारा नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बाल विवाह समेत कई मुद्दों पर जागरूक किया जाता है। श्रावस्ती एक ऐसा जिला है जहां सबसे ज्यादा बाल विवाह होता है। ऐसे में यह नाटक लोगों के लिए प्ररेणादायी और प्रभावी है।''

कई गाँवों में हमने इस नाटक को किया

नाटक में दिव्यांग लड़के की भूमिका अदा कर रही हेमा शर्मा (13 वर्ष) बताती हैं, मेरे रोल में लोग खूब हंसते है। कई गाँवों में हमने इस नाटक को किया है।''

इन बच्चों को कराते हैं स्पेशल थियेटर वर्कशॉप

''नुक्कड़ नाटक से हम लोगों तक अपनी बात आसानी से पहुंचा सकते हैं। इसलिए इन बच्चों की स्पेशल थियेटर वर्कशाप कराई जाती है, जिससे यह बाल विवाह, बाल श्रम, साफ-सफाई जैसे मुद्दों को खुद गंभीरता से लें और लोगों को भी जागरूक कर सकें,'' कैसर जहां बताती हैं। कैसर पिछले दस वर्षों से हरिहरपुरानी स्थित कस्तूबा गांधी आवसीय बालिका विद्यालय में वार्डन हैं।

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