बाल दिवस: बच्चे उठाएंगे हक की आवाज

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बाल दिवस: बच्चे उठाएंगे  हक की आवाजग्राफिक डिजाइन: कार्तिकेय उपाध्याय

लखनऊ। हिमांशु (16 वर्ष) बोल और सुन नहीं पाता, लेकिन उसकी बनाई हुई हर एक पेंटिंग एक कहानी कहती है। हिमांशु को बाल दिवस के मौके पर लखनऊ में होने वाले एक कार्यक्रम में अपना हुनर दिखाने का मौका मिला है।

बुलंदी के साथ उठाएंगे बच्चों की आवाज

हिमांशु जैसे प्रदेश के हजारों बच्चे बाल दिवस के मौके पर अपनी-अपनी प्रतिभाओं के साथ ही अपनी आवाज को बुलंदी के साथ सबके सामने रखेंगे। इसी कड़ी में बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था यूनिसेफ के सहयोग से उत्तर प्रदेश के छह जिलों में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जो विश्व बाल दिवस (20 नवंबर, 2017) तक चलेंगे। यूनिसेफ के साथ सहभागिता कर 'गाँव कनेक्शन' गाँवों और कस्बों के बच्चों की आवाज बुलंदी के साथ उठाएगा।

इस बार थीम ‘किड्स टेक ओवर’

उत्तर प्रदेश के छह जिलों में मीना मंच के माध्यम से बच्चों के अधिकारों को उठाने वाले कार्यक्रमों को की रूपरेखा बताते हुए यूनिसेफ उत्तर प्रदेश की कम्युनिकेशन एक्सपर्ट गीताली त्रिवेदी ने बताया, "चौदह नवंबर को भारत में बाल दिवस मनाते हैं और 20 नवंबर को विश्व बाल दिवस मनाया जाता है। क्यूंकि इसी दिन बच्चों के अधिकार की कमेटी का गठन किया गया था। इन कार्यक्रमों का मकसद है कि बच्चे ही बच्चों के अधिकारों की आवाज उठाएं," उन्होंने आगे बताया, "इस बार अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस का थीम है 'किड्स टेक ओवर' (बच्चों ने अधिकार संभाला)।"

बच्चों से जुटाए गए आंकड़ों को अपनी रणनीतियों में शामिल करेगा यूनिसेफ

यूनिसेफ वैसे तो राज्य स्तर पर मदद करता है, लेकिन इन छह जिलों-बदायूं, लखनऊ, मिर्जापुर, श्रावस्ती, सोनभद्र और बलरामपुर में सीधे जिलास्तर पर उपस्थिति होने पर कार्यक्रम संचालित कर रहा है। इस दौरान मीना मंच के बच्चे गाँव-गाँव सर्वे करेंगे और अभिभावकों व जिम्मेदार लोगों से पूछेंगे कि बाल विवाह, बाल मजदूरी और बच्चों के स्कूल छोड़ने की असल वजह क्या है? और बच्चे सुझाव भी देंगे कि इसे कैसे रोका जा सकता है। गाँवों और कस्बों से जुटाए गए इन आंकड़ों को एकजुट कर यूनिसेफ आगे की रणनीतियों में शामिल करेगा।

‘हमारा मकसद है कि कोई बच्चा छूटे ना’

गीताली आगे बताती हैं, "इन कार्यक्रमों के माध्यम से बाल अधिकारों के विषय में जनचेतना अभियान चलाया जाएगा। हमारा मकसद है कि कोई बच्चा छूटे ना। हर बच्चे की अधिकार की आवाज बुलंदी के साथ शासन और प्रशासन तक पहुंचे।"

बच्चों के माध्यम से बच्चों की जानकारी मिलेगी

चौदह नवंबर से शुरू होकर 20 नवंबर तक चलने वाले इन कार्यकमों में बच्चे बड़ों से सवाल पूछेंगे। साथ ही उनके हुनर को एक मंच देने के लिए जिलों में प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी। इस बारे में यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के एजुकेशन एक्सपर्ट रित्विक ने बताया, "हम बच्चों को गतिशील बनाकर ये कार्यक्रम करेंगे। साथ ही, हमें बच्चों के माध्यम से बच्चों की जानकारी मिलेगी, कि बच्चों के अधिकारों का हनन किन-किन स्तर पर किया जा रहा है।“

        

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