लखनऊ (यूपी)। उत्तर प्रदेश जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 2021 का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम जितना प्रकृति का संरक्षण करते हैं प्रकृति उससे कई गुना ज्यादा हमें वापस करती है। पिछले डेढ़ साल (कोरोना काल) के दौरान हमने देखा है कि जो लोग प्रकृति के ज्यादा करीब रहते हैं उनकी इम्युनिटी ज्यादा होती है।
जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में सीएम ने कहा कि हमें इस संकट की तरफ विचार करना होगा। देश के सबसे बड़े प्रदेश होने के नाते हमारी जिम्मेदारी भी ज्यादा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा निर्देशन में यूपी इसे अच्छे ने निभा रहा है। सीएन ने कहा कि 2017 से पहले राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) लगातार कहता रहता था लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती थी, सत्ता में आऩे के बाद हमने अवैध बूचड़खाने और पॉलीथीन बंद कराई।
सीएम ने कहा कि अवैध बूचड़ खाने बंद कराने के दौरान कुछ मुश्किलें आईं लेकिन हमने कहा कि इससे दवाओं का खर्च कम होगा। बीमारियां कम होंगी। मुख्यमंत्री ने कहा के 31 जिलों में इंसेफेलाइटिस से हजारों मौतें होती थीं, हमारी सरकार ने पिछले 3-4 वर्षों में इन पर 90 फीसदी तक काबू पाया है। देश में स्वच्छता का सबसे बड़ा आंदोलन चल रहा है। प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 2 करोड़ 61 लाख लोगों को व्यक्तिगत शौचालय दिए गए हैं। 59000 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय बनवाए जा रहे हैं ताकि गांव में कही गंदगी न हो।
इस दौरान सबसे अहम रहा कि हमारी सरकार ने 5 साल में 100 करोड़ पौधे लगवाए हैं। पहले साल हम सिर्फ 5 करोड़ पौधे लगा पाए थे उसमें भी यूकेलिप्टस और पॉपुलर के ज्यादा थे, लेकिन हमें पता था कि लोग क्या चाह रहे हैं। लोगों को पीपल, नीम, बरगद, आंवला, आदि के पेड़ चाहिए थे, ये पेड़ लोगों के लिए लाभकारी हैं फिर हमने इनकी नर्सरी बनवाई और आज हमारे पास इतनी क्षमता है, कि एक साल में 100 करोड़ पौधे लगा सकें।
सीएम ने कहा कि हमने कानपुर में जहां सबसे ज्यादा गंदगी गंगा में गिरती थी वहां सेल्फी प्वाइंट बनवा दिया है। सारी अवैध ट्रैनरी को बंद करवाया है। गंगा अब निर्मल हो रही है। गंगा के आसपास वन क्षेत्र और जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
प्रकृति का साथ असरदार
सीएम ने कहा कि लोगों ने लोगों से प्रकृति के संरक्षण के लिए आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ साल में हमने इसे अच्छे से महसूस किया है कि प्रकृति के साथ कितना असरदार होता है। जो लोग प्रकृति करीब रहते हैं उनकी इम्युनिटी ज्यादा होती है। अमेरिका की आबादी 35 करोड़ है और भारत की एक अरब 35 करोड़ लेकिन कोरोना के दौरान भारत से डेढ़ गुने से ज्यादा लोगों की वहां मौत हुई। हम लोगों को एक तरह से प्रकृति भी सहायक हुई है।
वाराणसी और गोरखपुर के गोबर मॉडल का जिक्र
इस दौरान सीएम ने वाराणसी की वाराणसी में एक प्रयोग हो रहा है, जहां आसपास के लोग गोबर दे जाते हैं और उसके पैसे मिलते हैं। उस गोबर से सीएनजी बनाई जाती है। ऐसे प्रयोग मॉडल हर जगह करने की जरुरत है। उन्होंने गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में संचालित गोशाला का भी जिक्र किया है कि कैसे वहां रोजाना 2000-3000 लोगों के लिए खाना बनाने के लिए हजारों कुंटल लकड़ी लगती थी लेकिन अब वहां की गोशाला में गोबर से इतनी गैस बनती है कि खाने के साथ उजाला भी होता है।
पॉलीथीन बंद की मॉटी कला बोर्ड बनाया
सीएम ने इस दौरान कहा कि यूपी पॉलिथीन पर पाबंदी लगाने वाला पहला राज्य था। लेकिन हमने से सिर्फ पाबंदी नहीं लगाई थी लोगों को उसका विकल्प भी दिया था। हमने माटी कला बोर्ड की स्थापना की। एक बैठक में कुम्हारों से पूछा तुम्हारी दिक्कत क्या है उन्होंने कहा माटी की समस्या है हमने उन्हें मुफ्त माटी देने की और तकनीकी देने की बात की। हमने कहा कि आप जून अप्रैल से लेकर मई तक गांव के तालाब की मिट्टी मुफ्त खोदकर ले लाइए, स्टोर करिए। इससे क्या हुआ कि गांव का तालाब साफ हुआ, वहां पानी रुका। कुम्हारों को मुफ्त मिट्टी मिली तो उन्होंने पॉलिथीन थर्माकोल से सस्ते उत्पाद बना दिए।
जनसंख्या नियंत्रण पर एनजीटी चेयरमैन का जोर
समारोह में शामिल हुए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के चेयरमैन न्यायमूति आदर्श गोयल ने कहा कि जलवायु परिर्वतन एक जटिल विषय है लेकिन हमें इसका समाधान निकालना होगा। उन्होंने प्रदेश में 100 करोड़ पौधे लगाए जाने की सहाहना की। इसके साथ ही उन्होंने बढ़ती जनसंख्या की तरफ भी इशारा किया। उन्होंने कहा भारत के पास दुनिया की महज 2.7 फीसदी कृषि योग्य जमीन है जबकि आबादी दुनिया की 17 फीसदी है। पिछले 50 वर्षों में आबादी 3 गुना बढ़ गई है जबकि कृषि योग्य जमीन महज 20 फीसदी बढ़ी है। ऐसे में जब संसाधन कम होते हैं तो नदी तालाब पोखर, जंगल का दोहन, कब्जा, कटाव होता है।
समारोह को संबोधित करते हुए प्रदेश के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री दारा सिंह चौहान ने कहा कि हम लोग लगातार ऐसे प्रयास कर रहे है कि कार्बन का उत्सर्जन कम हो सके। उन्होंने इस दौरान सरकार द्वरा वन क्षेत्र बढ़ाने समेत इस क्षेत्र में किए जा रहे सरकार के प्रयासों को गिनाया।