बसों में सफर करने वालों का बुरा हाल, पूरे पैसे देकर भी रहना पड़ता है खड़ा

Diti BajpaiDiti Bajpai   18 May 2017 8:50 PM GMT

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बसों में सफर करने वालों का बुरा हाल, पूरे पैसे देकर भी रहना पड़ता है खड़ाप्रतीकात्मक तस्वीर

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। प्रदेश में परिवहन विभाग द्वारा चलाई जा रही बसों में निर्धारित यात्री सीटों के अतिरिक्त सवारी न बैठाने का प्रावधान है, लेकिन रोडवेज बसों में सीटें भर जाने के बाद भी सवारियों को खड़े होकर यात्रा करना एक आम बात है।

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“अब पंहुचना तो है ही, चाहे खड़े-खड़े जाएं या बैठ के जाएं। समय पर ऑफिस पहुंचना होता है। सरकार को चाहिए ये नियम बना दें कि बस में जितनी सीटें हैं उतने ही लोग बस में सफ़र करेंगे। इससे बसें जल्दी- जल्दी आने लगेंगी और हमें भी बैठ के जाने का मौका मिला जायेगा।”
राजेंद्र कुमार, यात्री

राजेंद्र एक प्राईवेट कंपनी में काम करते हैं और फैजाबाद रोड से बाराबंकी जाने वाली बस में रोज सफर भी करते हैं। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के मुताबिक प्रदेश में 7668 बसें है, जिनसे करीब एक करोड़ लोग प्रतिदिन सफर करते हैं। प्रदेश के कई जिलों में इस समस्या का सामना यात्रियों को करना पड़ता है।

“बस में लोगों को ठूस-ठूसकर भर लेते हैं। जब आधी दूरी वाले लोग उतर जाते हैं तब सीट मिलती है। आधी दूरी वाले लोगों का टिकट भी नहीं बनाते हैं। उनसे लिए पैसे कंडक्टर और ड्राइवर ले लेते हैं।”
नीरू मिश्रा, यात्री

कानपुर देहात के शिवली कस्बे में रहने वाले राहुल मिश्रा (22 वर्ष) अपना अनुभव साझा करते हुए बताते हैं, “जल्दी के चक्कर में हर कोई रोडवेज बस पर बैठना चाहता है, इसलिए पूरा किराया देने पर भी सीट नहीं मिलती है। जब भी मैं बिधूना काम पर जाता हूँ आज तक कभी भी बस पर बैठने को जगह नहीं मिली है अगर जगह मिल भी जाती है तो जैसे ही कोई महिला चढ़ती है हमें उठा दिया जाता है । ”

“अगर सीटें भरी हैं उसके बाद भी कोई यात्री बैठ है तो परिचालक उनको नहीं रोक सकते हैं। यदि परिचालक उनका टिकट नहीं बनाते हैं तो गलत कर रहे हैं। अगर बरेली रूट की यह समस्या है तो इस पर ध्यान दिया जाएगा।”
प्रभाकर मिश्रा, क्षेत्रीय अधिकारी , बरेली

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