किसानों को लाभ पहुंचाने वाली ये संस्था खुद ही हुई भ्रष्टाचार का शिकार

Ashwani NigamAshwani Nigam   11 July 2017 6:12 PM GMT

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किसानों को लाभ पहुंचाने वाली ये संस्था खुद ही हुई भ्रष्टाचार का शिकारप्रादेशिक को-आपरेटिव फेडरेशन (पीसीएफ) का बुरा हाल है।

लखनऊ। किसानों को बिचौलियों के शोषण से मुक्त कराने और उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए बनाई गई संस्था प्रादेशिक को-आपरेटिव फेडरेशन (पीसीएफ) का बुरा हाल है। किसानों को लाभ पहुंचाने की जगह यह संस्था खुद भ्रष्टाचार की शिकार होकर 60.50 करोड़ के घाटे में आ गई है।

अगर इसकी स्थिति में सुधार नहीं लाया गया तो उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए बनाई गई 73 साल पुरानी यह सहकारी संस्था इतिहास बन जाएगी। इस बारे में सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने बताया '' पीसीएफ दिन-प्रतिदन घाटे में जा रही है, इस व्यवसायिक संस्था घाटे में क्यों है इसकी जांच का आदेश मैंने दे दिया है। आने वाले समय में पीसीएफ में सुधार करके इसको लाभ में लाया जाएगा। ''

1943 में हुई थी पीसीएफ की स्थापना

पीसीएफ की स्थापना 11 जून 1943 को राजधानी लखनऊ में 30 व्यक्तियेां के साथ 13600 रुपए की प्रारंभिक पूंजी से नीम की खली का व्यवसाय करके शुरू किया गया था। इसके बाद यह सहकारी संस्था किसानों के साथ बीज, उर्वरक, चीनी से लेकर खादान्न का भंडारण और कोयले का व्यवसाय लेकर करोड़ों रूपए लाभ कमाने वाली संस्था बन गई। साल 2014-15 में इस संस्था ने 5456.53 करोड़ रूपए का व्यवसाय लेकिन इसके बाद इसमें गिरावट आना शुरू हो गई। 2015-16 में पीसीएफ ने 9527.63 करोड‍़ रुपए का सालाना व्यवसाय का लक्ष्य तय किया था लेकिन संस्था ने मात्र 5221.85 करोड़ का ही व्यवसाय कर पाई। उसके बाद साल 2016-17 में इसने 8555.71 करोड़ रुपए के व्यवसाय का वार्षिक लक्ष् तया किया लेकिन मात्र 1093.95 करोड़ रुपए का ही व्यवसाय कर पाई।

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उत्तर प्रदेश में कमजोर होते सहकारी आंदोलन और पीसीएफ में शुरू हुई दलगत राजनीति ने इस संस्था को कमजोर कर दिया। जिसका नतीजा है कि वर्ष 2010-11 में 14.42 करोड़ रुपए के लाभ कमाने वाली यह संस्था अभी 60.50 करोड़ रुपये के घाटे में आ गई। जिसकी वजह से पीसीएफ की तरफ से संचालित 481 किसान सेवा केन्द्रों की स्थिति बहुत ही दयनीय है। घाटे के कारण 48 किसान सेवा केन्द्र बंद हो चुके हैं।

75 ज़िलों में हैं कार्यालय

उत्तर प्रदेश की सहकारी संस्थाओं में पीसीएफ के पास आज भी बाकी की तुलना में सबसे ज्यादा संसाधन और कर्मचारी हैं। वर्तमान में पीसीएफ में 2289 अधिकारी और कर्मचारी हैं। पीसीएफ के पास जहां प्रदेश के सभी जिलों में जमीने हैं वहीं प्रदेश के सभी 75 जिलों में इसके कार्यालय हैं। पीसीएफ के पास 18 क्षेत्रीय कार्यालय हैं। प्रदेश के बाहर मुंबई, कोलकाता, दिल्ली और धनबाद में इसके विपणन कार्यालय हैं। इनता कुछ होने के बाद भी यह संस्था पीसीएफ के पास उत्तर प्रदेश में 13 और मुंबई में शीतगृह स्थापित किया गया था लेकिन अधिकतर शीतगृह रखरखाव के अभाव और संचालन में हुई आर्थिक धांधली के कारण बंद पड़े हैं।

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पीसीएफ के काम

पीसीएफ का प्रमुख् काम सहकारी समितियों के साथ मिलकर किसानों को उर्वरक ओर बीज का वितरण करना है। किसानों की कृषि उपज का विपणन करने के साथ ही पूरे प्रदेश में पीडीएस चीनी की आपूर्ति करना है। सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत किसानों से खादान्न खरीदन और अपने कृषक सेवा केन्द्रों के माध्यम से उर्वकर और बीज की बिक्री करना है। किसानों के खाद्धान्न एवं उर्वरक का अपने भंडारगृहों में भंडारण करना और किसानों को समय-समय पर परामर्श देना है। इसके अलावा खाद्य एवं अखाद्य पदार्थों का आयात- निर्यात भी करना है।

पीसीएफ के संचालन के लिए एक प्रबंधन एक 14 सदस्यीय कमेटी करती है। जिसके सदस्यों को चुनाव सहकारी संस्थाओं के सदस्यों के बीच से करते हैं। इसके दो सदस्यों को राज्य सरकार नामित करती है। पीसीएफ का प्रबंधन निदेशक समिति का पदेन सदस्य होता है।

                

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