भारत में आज से शुरू हुआ ‘दान उत्सव’ का त्यौहार, लखनऊ में दो से आठ अक्टूबर तक उत्सव की धूम 

Ashutosh OjhaAshutosh Ojha   2 Oct 2017 8:36 PM GMT

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भारत में आज से शुरू हुआ ‘दान उत्सव’ का त्यौहार, लखनऊ में दो से आठ अक्टूबर तक उत्सव की धूम दान उत्सव के कार्यक्रम में सम्मिलित वरिष्ठ जन 

लखनऊ। हर वर्ष महात्मा गाँधी की जयंती से एक सप्ताह तक दान उत्सव का सप्ताह पूरे भारत में मनाया जाता है। इसी पर्व को मनाने के लिए आज लखनऊ के रेनेसां होटल में दान उत्सव के वालंटियर ने एक कार्यक्रम की शुरुवात की।

वैसे तो दान देने की परंपरा हमारे देश में प्राचीन काल से है, लेकिन इसे एक उत्सव की शक्ल 2009 में दी गयी। दान उत्सव के वालंटियर राहुल अग्रवाल ने गाँव कनेक्शन को बताया कि वेंकट, आरती और राजन नाम के इन तीन लोगों ने इस दान उत्सव की शुरुवात सबसे पहले की थी, जिसके बाद आज पूरे भारत में लगभग 150 शहरों में दो अक्टूबर से आठ अक्टूबर तक इसे बड़े धूम धाम से मनाया जाता है।

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कार्यक्रम की संचालिका ज्योत्सना कौर हबीबुल्ला ने कार्यक्रम में वरिष्ठ पैनलिस्ट बेग़म हमीदा हबीबुल्लाह और प्रोफ़ेसर रूप रेखा वर्मा को रूबरू कराते हुए कहा, दान उत्सव में जरुरी नहीं कि आप पैसों का दान दें। ये उत्सव पूरे भारत में खुशियाँ बांटने और उसका अनुभव महसूस करने के लिए मनाया जाता है।

प्रोफ़ेसर रूप रेखा वर्मा ने कहा कि किसी की जरुरत को पूरा करना अच्छा काम है। उन्होंने कहा कि समाज में बहुत सारी समस्याएं है, हमें उनके लिए कुछ न कुछ जरूर करना चाहिए। हमारे यहाँ साठ प्रतिशत सामंती व्यवस्था है जिसका मै विरोध करती हूँ। जो ऊँचे-नीचे तबके के लोगों को आपस में बांटता है मै उसके भी खिलाफ हूँ। हम लोगों के लिए काम करते है, उनकी ख़ुशी के लिए काम करते है। उनके लिए न्याय मांगते है कभी कभी हमको लोग गालियाँ भी देते है। दान उत्सव भी यही है कि आप अपना समय किसी को दान देकर उसके चेहरे पर ख़ुशी बिखेर दें।

बेग़म हमीदा हबीबुल्लाह ने इस मौके पर अपनी एक पुरानी याद को बताती है कि जब मेरी शादी हुयी तब मेरी सास ने कहा कि हमारे यहाँ बहुत सी ऐसी हिंदू और मुस्लिम महिलाएं और बच्चियां है जो घर से बाहर नहीं निकल पाती। न वो पढ़ पाती है न ही वो समाज के किसी तबके को छू पाती है। इसलिए मैंने अपने जीवन में तीन लड़कियों को तालीम दिलवाई और आज वो तीनों बच्चियां पढ़ रही है। कोशिश करने से सब कुछ होता है, अगर आप मेहनत करें तो आप कई लोगों को खुशियाँ दे सकते है। मेरे लिए यही दान उत्सव है , आप भी इसे मनाईये।

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वासिनी शर्मा लखनऊ के शिरोज हैंगआउट की सदस्य ने कहा कि, हमारे यहाँ एसिड अटैक सरवाईवर के लिए काम किया जाता है। हम उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते है। जिनको गाईडेंस की जरुरत होती है उनको गाईडेंस देते है। जिनको किसी और प्रकार की मदत की आवश्यकता होती है तो हम उन्हें उस प्रकार की सहायता करते है। हमारी कोशिश है कि हमें अब और शिरोज हैंगआउट खोलने की जरुरत न पड़े। हमारे लिए यही दान उत्सव है।

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दान उत्सव कार्यक्रम में और भी कई सदस्यों ने अपनी बात रखी जिसमें अंशू, मीतिका श्रीवास्तव, डॉ.रवीश श्रीवास्तव, आदि प्रमुख है।

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