यौन शक्तिवर्धक दवाओं का बाजार बन रहा तिलकधारी कछुओं के लिए काल
Ashwani Nigam 25 March 2017 9:45 AM GMT
लखनऊ। चंबल और घाघरा नदी में पाए जाने वाले दुलर्भ प्रजाति के रेड क्राउन्ड रूफ टर्टल यानि लाल तिलकधारी कछुओं पर संकट मंडरा रहा है। विदेशों में इन कछुओं की बढ़ती मांग को देखते हुए तस्कर इनकी तस्करी कराकर कोलकाता के जरिए सिंगापुर और थाइलैंड के अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचा रहे हैं। प्रदेश में कछुओं की तस्करी पर रोक इसलिए नहीं लग पा रही है क्योकि अभी तक जीरो टर्टल पोचिंग सेल का प्रदेश में गठन नहीं हो पाया है।
ऐसे में अगर समय रहते इसपर ध्यान नहीं दिया गया तो लाल तिलकधारी कछुआ प्रदेश से विलुप्त प्रजाति में शामिल हो जाएगा। टर्टल सर्वाइवल अलाएंस के शैलेन्द्र सिंह ने बताया, ''लाल तिलकधारी प्रजाति का कछुआ वन्य जीव अपराध अधिनियम-1972 की शिड्यूल में शामिल है। टीएसए की गणना के अनुसार केवल 500 लाल तिलकधारी कछुए ही प्रदेश में बचे हैं।
देश-दुनिया से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप
उत्तर प्रदेश में आए दिन कछुओं की तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं और तस्कर गिरफ्तार भी किए जा रहे हैं। दो दिन पहले की उत्तर प्रदेश पुलिस की एसटीएफ टीम ने आगरा से दो कछुआ तस्करों को गिरफ्तार किया है जिनके पास से 2 दुलर्भ प्रजाति के कछुए बरामद किए गए हैं। इसकेअलावा जनवरी से लेकर अभी तक दर्जनों कछुआ तस्करी के मामले सामने आ चुके हैं।
ये भी पढ़ेंः आखिर कैसे 900 सिक्के खा गया ये कछुआ?
जनवरी महीने में आयोजित उत्तर प्रदेश पुलिस सप्ताह के दौरान वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरों की एडीशनल डायरेक्टर तिलोत्तमा वर्मा ने पुलिस अधिकारियों के सम्मेलन में टर्टल पोचिंग प्रस्तुतीकरण देते हुए प्रदेश में यूपी पुलिस एसटीएफ में जीरो टर्टल पोचिंग सेल के गठन का सुझाव दिया था। इसपर डीजीपी जावीद अहमद ने आश्वासन दिया था कि जल्द ही प्रदेश में इसका गठन किया जाएगा, लेकिन अभी तक नहीं हो पाया है। कछुओं की तस्करी पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस का एसटीएफ काम कर रहा है लेकिन जीरो टर्टल पोचिंग सेल नहीं होने से पुलिस का समस्या होती है।
देश के सबसे बड़े कछुआ तस्कर गिरोह का भंडाफोड़, 6 हजार से ज्यादा कछुए बरामद, यौन शक्ति वर्धक बनती हैं दवाएं
More Stories