अजय मिश्र/मोहम्मद परवेज
तिर्वा (कन्नौज)। एक मजदूर ने पत्नी के इलाज के लिए पैसे न होने पर अपनी बेटी का ही सौदा कर दिया, पुलिस को मामला पता चला तो ब्लड डोनेट किया, अब उसका इलाज भी कराया जा रहा है।
मामला राजधानी लखनऊ से करीब 160 किमी दूर जनपद कन्नौज के सौरिख थाना क्षेत्र के बरेठी जगदीशपुर का है। गांव निवासी 30 वर्षीय अरविंद नायक बताते हैं, ”मेरी 29 वर्षीय पत्नी सुखदेवी पेट से हैं। हम मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। परिवार में साढ़े चार साल की बेटी और डेढ़ साल का बेटा है। कुछ दिनों पहले पत्नी को दिक्कत हुई तो छिबरामऊ के सरकारी अस्पताल में दिखाया। यहां पर करीब 25 हजार का खर्च भी बताया गया। न होने परे वहां से जिला अस्पताल या कानपुर ले जाने की सलाह दी गई।”
अरविंद बताते हैं ”जिला अस्पताल में पत्नी को भर्ती कराने के बाद तबियत और बिगड़ गई। उसके बाद हम लोग राजकीय मेडिकल कॉलेज तिर्वा पहुंचे। भर्ती कराने के बाद पुलिस चौकी में आपबीती बताई। उस दौरान इलाज यहां भी ठीक नहीं हो रहा था। मेरे पास पैसा भी नहीं था।”
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आगे बताया कि ”इस दौरान पत्नी से चर्चा हुई कि अगर तुम्हे कुछ हो गया तो बच्चों को कौन देखेगा। इसके बाद हम लोगों में तय हुआ कि बेटी को करीब 30 हजार में बेच देंगे। जो पैसे मिलेंगे उससे इलाज करा देंगे। बेटी भी जहां जाएगी सही रहेगी और तुम्हारी भी जान बच जाएगी।”
”खून डोनेट किया है। हम लोग महिला के इलाज में सहयोग कर रहे हैं। फिलहाल राजकीय मेडिकल कॉलेज आया हूं और डॉक्टर साहब के पास ही बैठा हूं।”
विजय बहादुर वर्मा, इंस्पेक्टर, तिर्वा- कन्नौज
अरविंद कहते हैं, ”इसकी जानकारी हम लोगों ने पुलिस को भी दे दी। पुलिस ने हमको और खरीददार को अपनी हिरासत में कर लिया। बाद में पुलिस मेडिकल कॉलेज पहुंची और जानकारी जुटाई। यहां पुलिस ने बेटी का सौदा निरस्त कराया और इलाज के लिए तीन हजार रुपए भी दिए। इंस्पेक्टर साहब ने पत्नी को चढ़ाने के लिए खून भी दिया है।”
तिर्वा कोतवाली के इंस्पेक्टर आमोद कुमार सिंह बताते हैं कि ”पैसों के अभाव में एक ग्रामीण अपनी पत्नी का इलाज नहीं करा पा रहा था। पुलिस विभाग ने इसकी जिम्मेदारी उठाई है। खून भी दिया है। आगे भी हर संभव मदद की जाएगी।”
”हम मजदूरी करते हैं। सरकारी योजना का कोई भी लाभ नहीं मिला है। राशनकार्ड, जॉब कार्ड और उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्षन भी नहीं मिला है। पत्नी 29 अगस्त से मेडिकल कॉलेज में भर्ती है। इलाज के अभाव में हमने बेटी को बेचने का फैसला किया था।”
अरविंद नायक, गर्भवती का पति
किसकी मानें बात, एक ने डैमेज तो दूसरे ने सामान्य बताया
सरकारी अस्पतालों में भी परामर्श अलग-अलग दिया जाता है। अरविंद की माने तो उसकी पत्नी के गर्भ में पल रहा बच्चा छिबरामऊ सरकारी अस्पताल में डेमेज बताया गया। साथ ही उसे जिला अस्पताल या कानपुर ले जाने की सलाह दी गई। जिला अस्पताल पहुंचने पर जांच में पता चला कि बच्चा सलामत है, लेकिन महिला के खून की कमी है। राजकीय मेडिकल काॅलेज में भी खून की कमी बताई गई।
”दंपति ने पुलिस से संपर्क कर अपनी समस्या बताई थी। अगर हमको बताते तो संज्ञान लेकर इलाज की पूरी व्यवस्था करता। महिला सात महीने की गर्भवती है। पहले खून की कमी थी। उसका इलाज चल रहा है। हालत खतरे से बाहर है। पुलिस और एमबीबीएस की एक छात्रा ने ब्लड डोनेट किया है।”
डॉ. दिलीप सिंह, सीएमएस, राजकीय मेडिकल कॉलेज, कन्नौज