कन्या भोज पर बेटियों ने लिया पढ़ाई का संकल्प

Neetu SinghNeetu Singh   6 April 2017 6:57 PM GMT

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कन्या भोज पर बेटियों ने लिया पढ़ाई का संकल्पपढ़-लिख कर ये अपने पैरों पर खड़ी हो सकें।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। रामनवमी के पावन मौके पर बुधवार को आशा ज्योति केंद्र की टीम ने भीख मांगने वाली बच्चियों को केंद्र पर न सिर्फ कन्या भोज कराया, बल्कि उनकी काउंसलिंग करके ये संकल्प लिया कि इन बेटियों का दाखिला अब कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में कराया जाएगा, जिससे पढ़-लिख कर ये अपने पैरों पर खड़ी हो सकें।

लखनऊ के लोकबन्धु हास्पिटल में बने आशा ज्योति केंद्र के बाहर हर दिन की तरह रामनवमी के दिन भी कुछ बच्चियां पैसे मांगने के लिए खड़ी थी। रामनवमी की वजह से हर कोई इन्हें पैसा और खाना दे रहा था। ये मजबूर बच्चियां दिन भीख न मांगे, इसके लिए आशा ज्योति केंद्र की टीम ने इन्हें पढ़ाने का संकल्प लिया है।

केंद्र पर कन्या भोज करने आयी रानी देवी (10 वर्ष) चहक कर बताती हैं, ‘क्या हम सच में पढ़ने जाएंगे। हमारे मम्मी-पापा तो दिन भर मजदूरी करते हैं, उनके पास पैसा नहीं है, जिससे वो हमें पढ़ा पाएं।’ वो आगे कहती है, हम भी पढ़ना चाहते हैं। अभी दिन भर घर पर रहते हैं, इसलिए सड़क पर आकर पैसे मांगने लगते हैं ।

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आशा ज्योति केंद्र की सब इंस्पेक्टर मालती सिंह बताती हैं, ‘ इन बच्चों को रोजाना यहां पैसे मांगते देखती थी, लेकिन जब बुधवार को ये बच्चियां कन्या भोज करने आई तो हमने इनसे बात की। इनकी मजबूरी सुनकर हमने तय किया है कि, इन बच्चियों का प्रवेश स्कूल में कराया जाए, जिससे ये पढ़-लिख सके। तभी हमारा कन्या भोज कराना सार्थक होगा।”

भोज करने आयी कोमल (9 वर्ष) खुश होकर यहाँ की पुलिस टीम से बोली, ‘हम कब से स्कूल जाएंगे, वहां हमे ड्रेस और बस्ता भी मिलेगा क्या।‘ इन बच्चों के चेहरे की खुशी देखकर आशा ज्योति केंद्र की सामाजिक कार्यकर्ता अर्चना सिंह ने कहा, “ कई वर्षों से कन्या भोज करवा रहे हैं, लेकिन आज जैसा प्रयास हमने कभी नहीं किया।

ये हमारी टीम की तरफ से एक छोटा प्रयास है। आने वाले समय में हम इस तरह के प्रयास को बढ़ावा देंगे।”अगर इस तरह की पहल करने में सभी मदद करें तो बेटियों को कन्याभोज कराने के लिए रामनवमी को खोजना नहीं पढ़ेगा, हर बेटी जन्म लेगी और पढ़ेगी । इस दौरान आशा ज्योति केंद्र की सभी सदस्यों ने इन बेटियों को समझाया और ये संकल्प लिया कि ऐसे बच्चों को वो लगातार शिक्षा जैसी मूलभूत जरुरत से जोड़ेंगी ।



       

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