पुलिस चेकिंग के दौरान आप अपने वीआईपी होने या किसी बड़े नेता के चमचे होने के कारण, या किसी बैनर के पत्रकार या पत्रकार के रिश्तेदार होने के कारण, पुलिस या ट्रैफिक विभाग में होने के कारण या फिर मौके पर पैसे खर्च करके चालान से तो बच सकते हैं, पर सड़क पर ऑन ड्यूटी यमदूतों से आप नहीं बच सकते क्योंकि इनकी लिस्ट में कोई वीआईपी या सामान्य नहीं है, सब बराबर हैं सड़क पर अगर यातायात नियमों का पालन नहीं किया तो ट्रामा सेंटर के डॉक्टर या फिर यमदूत आपकी प्रतीक्षा में हैं, अगर पर जरा सा चूके तो ट्रामा या फिर ऊपर जाना तय है |
सड़क दुर्घटना के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं, छोटे शहर भी बढ़ते समय के साथ महानगर बनने की प्रक्रिया में शामिल होते जा रहे हैं, सड़कों पर दोपहिया और चौपहिया वाहनों की संख्या में भी बराबर वृद्धि हो रही है, और साथ ही सड़क दुर्घटनाओ के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में वर्ष 2015 में 496762 सड़क दुर्घटना के मामले सामने आये जिनमें केरल में ये आकड़ें सर्वाधिक थे 2015 में 39343 सड़क दुर्घटना रिकॉर्ड की गयी, वहीं उत्तर प्रदेश में 2015 में 32884 सड़क दुर्घटना हुई, छत्तीसगढ़ में 14977, महाराष्ट्र में 50056 सड़क दुर्घटना के मामले सामने आए।
सड़क हादसे में 2017 में नहीं रहें ये सेलिब्रिटी
पिछले वर्ष सड़क हादसों ने मशहूर माडल सोनिल चौहान की 29 अप्रैल 2017 को कोलकता में झील माल के पास सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी, वहीं प्रसिद्ध हास्य कलाकर जसपाल भट्ठी की मौत भी सड़क दुर्घटना में हुई, जाने -माने हास्य अभिनेता आनंद अभ्यंकर की मौत मुंबई -पुणे राजमार्ग पर रोड एक्सीडेंट में हो गयी, अभिनेता गगन, तमिल की मशहूर अभिनेत्री रेखा सिन्धु की मौत भी 5 मई 2017 को चेन्नई -बंगलूर मार्ग पर रोड एक्सीडेंट दौरान हो गयी।
आकड़ें बताते हैं कि साल 2015 में हुए 496762 सड़क दुर्घटनाओं में 177423 लोगों की मौत हो गयी, जिनमें उत्तर प्रदेश के 23219, महाराष्ट्र के 18404 व तमिलनाडु के 17376 मौतें शामिल हैं।
इन बातों पर ध्यान नहीं दिया गया तो सड़कों पर दौड़ता रहेगा मौत का पहिया
- नशे में वाहन चलाने वालों पर रोकथाम
- बिना हेलमेट दो पहिया वाहनों पर लगाम
- तेज गति ड्राइविंग
- नाबालिक बच्चों द्वारा ड्राइविंग
- सड़क पर दौड़ रहे अनफिट और डग्गेमार वाहन
दलालों के माध्यम से पैसे देकर बनाये जाने वाले लाइसेंस प्रणाली की रोकथाम
लखनऊ के अधिवक्ता ललित तिवारी बताते हैं कि आरटीओ में आज भी दलाल हावी हैं हजारों की संख्या में अनट्रेंड लोग पैसे देकर दलालों से लाइसेंस बनवाकर सड़क पर वाहन चला रहे हैं, कब कौन किधर से आकर ठोक देंं पता नहीं, सड़क पर चलना अब खतरे से खाली नहीं है।
शराब के खिलाफ अभियान चलाने वाले उम्मीद संस्था के अध्यक्ष बलबीर सिंह मान बताते हैं, “शाम के वक्त दारू के ठेके पर शराबियो का जमावाड़ा होता है, यहां से फुल होकर जब ये लोग सड़कों पर आते है, तो खुद के लिए और दुसरो के लिए मुसीबत बन जाते हैं, ज्यादातर रात को होने वाले एक्सीडेंट के पीछे नशा करके गाड़ी चलाना सबसे बड़ा कारण है, इसमें पुलिस और सरकार दोनों अपनी जिम्मेदारी ढंग से नहीं निभाते।
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रोज ट्रामा में सत्तर से अस्सी मामले आते हैं रोड एक्सीडेंट के
लखनऊ मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर के प्रभारी डॉ संदीप बताते हैं कि औसतन ट्रामा में प्रतिदिन 70-80 रोड एक्सीडेंट के मामले आते हैं, जिनमें से 50-60 लोगों को एडमिट करना पड़ता है इन मामलो में दो पहिया वाहनों से होने वालो रोड एक्सीडेंट में 30 से 40 प्रतिशत लोगों का एक्सीडेंट नशे में होने के कारण होता है।
रोड एक्सीडेंट के प्रमुख कारण तेज गति, नशे में वाहन चलाना बिना हेलमेट और सीट बेल्ट के गाड़ी चलाना है और इसे इन्फोर्स करके, लोगों को जागरूक करके शिक्षित करके नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है।
जवाहर सिंह, डीआईजी ट्रैफिक, लखनऊ
रोड पर चलने वाले अधिकांश लोगों को नहीं है ट्रैफिक नियमों की जानकारी
लखनऊ जनपद के पूर्व एसपी यातायात हबीबुल हसन का कहना है कि लोग अपनी जान की कीमत नहीं समझते, आज भी बहुत से ऐसे लोग सड़कों पर वाहन चला रहे है, जिन्हें यातायात नियमों की जानकारी नहीं है, लखनऊ में पोस्टिंग के दौरान एक टीम बनाकर लखनऊ के कालेजों में छात्रों को यातायात नियम सिखाने का अभियान चलाया गया था, अप्रिशिक्षित लोग सड़क दुर्घटना का बड़ा कारण है ।
सड़कों पर दौड़ रहे अनफिट और डग्गामार वाहन भी है दुर्घटना का बड़ा कारण
लखनऊ जनपद के कुम्हारवा इंटर कालेज के सेवानिवृत्त प्राचार्य बैकुंठ मणि मिश्रा बताते हैं, सड़क पर हजारों की संख्या में अनफिट और डग्गामार वाहन दौड़ रहे हैं,ये सड़क पर व्यवसायिक रूप से तो प्रयोग हो ही रहे हैं साथ ही स्कूलों में बहुतायत प्रयोग किये जा रहे हैं, स्कूल में बच्चो को लाने ले जानें वाले वाहनों की फिटनेस और ड्राइवर के चयन का विशेष ध्यान प्रबंधको को रखना चाहिए और अभिभावकों को भी इस पर ध्यान देना चाहिए।