कठुआ गैंगरेप : बच्ची सुन्न पड़ी थी, और पुलिस वाले ने कहा, अभी मारो मत, मुझे भी रेप कर लेने दो

Mithilesh DharMithilesh Dhar   18 April 2018 3:03 PM GMT

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कठुआ गैंगरेप : बच्ची सुन्न पड़ी थी, और पुलिस वाले ने कहा, अभी मारो मत, मुझे भी रेप कर लेने दोये चार्जशीट पढ़कर शायद आपको भी शर्म आ जाए, लेकिन उन्हें नहीं अाएगी।

8 साल की मासूम। वो 6 दिन तक भूख से तड़पती रही। नशीली दवाओं से सुन्न पड़ी थी मासूम नसीफा (काल्पनिक नाम)। कई दिनों तक, कई बार उसे कुछ आदिम प्रजाति के लोगों ने अपने हवस तले कुचला। फिर पहले दुपट्टे से गला घोंटा, फिर भी दिल नहीं भरा तो सिर पर पत्थर से कई वार किए। यह दिल दहला देने वाली घटना एक धार्मिक स्थल (देवस्थान) पर हुई। बात यही नहीं खत्म होती। गैंगरेप का मास्टरमाइंड उसी धार्मिक स्थल की देखरेख करता है जो की राजस्व अधिकारी रह चुका है। उसने अपने बेटे और भतीजे को इस जघन्य घटना में शामिल किया और धीरे-धीरे पुलिस भी इसमें शामिल हो गई। बात अब भी खत्म नहीं होती। इस पूरे मामले में आरोपियों को बचाने के लिए लोग सामने आ गए हैं और बकायदा एक मोर्चा बन गया है, जो आरोपियों को बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहा है।

पढ़ें चार्जशीट के मुताबिक उस मासूम से कैसे की गई दरिंदगी...

मामला जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले के रसाना गांव का है। क्राइम ब्रांच के मुताबिक, रेप का मुख्य आरोपी मंदिर का केयर टेकर सांजी राम है। उसके साथ उसका बेटा विशाल और नाबालिग भतीजा भी है। अन्य आरोपियों में विशेष पुलिस अफसर (एसपीओ) दीपक खजुरिया और सुरिंदर कुमार, रसाना का ही प्रवेश कुमार (मन्नू), असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता और हेड कांस्टेबल तिलक राज हैं। दत्ता और राज को सबूतों को नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

15 पेज के चार्जशीट के मुताबिक इसमें कठुआ स्थित रासना गांव में देवीस्थान, मंदिर के सेवादार को अपहरण, बलात्कार और हत्या के पीछे मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है। सांझी राम के साथ विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा, मित्र परवेश कुमार उर्फ मन्नू, राम का किशोर भतीजा और उसका बेटा विशाल जंगोत्रा उर्फ शम्मा कथित तौर पर शामिल हुए। चार्जशीट के अनुसार जांच अधिकारी (आईओ) हेड कांस्टेबल तिलक राज और उप निरीक्षक आनंद दत्त भी नामजद हैं जिन्होंने राम से कथित तौर पर चार लाख रुपया लिए और अहम सबूत नष्ट किए। सभी आठ लोग गिरफ्तार कर लिए गए हैं।

नसीफा (काल्पनिक नाम) बकरवाल समुदाय से ताल्लुक रखती थी, जो घुमंतू समुदाय है। ये एक मुस्लिम समुदाय है, जो कठुआ में अल्पसंख्यक है। इनका कठुआ में रहने वाले परिवारों से अवैध स्लॉटर हाउस चलाने और फसलों को बर्बाद करने को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है।

आरोपपत्र में कहा गया है कि नसीफा का शव बरामद होने से छह दिन पहले 11 जनवरी को किशोर ने अपने चचेरे भाई जंगोत्रा को फोन किया था और मेरठ से लौटने को कहा था, जहां वह पढ़ाई कर रहा था। दरअसल, उसने उससे कहा कि यदि वह मजा लूटना चाहता है तो आ जाए। आठ वर्षीय आसिफ़ा 10 जनवरी को लापता हो गई थी जब वह जंगल में घोड़ों को चरा रही थी। जांचकर्ताओं ने कहा कि आरोपियों ने घोड़े ढूंढने में मदद करने के बहाने लड़की को अगवा कर लिया। अपनी बच्ची के लापता होने के अगले दिन उसके माता पिता देवीस्थान गए और राम से उसका पता पूछा। जिस पर, उसने बताया कि वह अपने किसी रिश्तेदार के घर गई होगी।

मासूम बच्ची का सुनसान पड़ा घर।

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बच्ची के पिता मोहम्मद यूसुफ ने 12 जनवरी को हीरानगर थाने में शिकायत दर्ज करवाई। उन्होंने कहा कि उनकी आठ साल की बेटी 10 जनवरी को करीब 12.30 बजे घोड़ों को चराने के लिए नजदीक के जंगल गई थी। दोपहर दो बजे तक उसे घोड़ों के साथ देखा गया। शाम के चार बजे घोड़े तो वापस आ गए, लेकिन वो वापस नहीं लौटी। जब पिता ने शिकायत की तो पुलिस ने केस नंबर 10/2018 के तहत आईपीसी की धारा 363 के तहत केस दर्ज कर लिया।

नसीफा बकरवाल समुदाय से ताल्लुक रखती थी, जो घुमंतू समुदाय है। ये एक मुस्लिम समुदाय है, जो कठुआ में अल्पसंख्यक है। इनका कठुआ में रहने वाले परिवारों से अवैध स्लॉटर हाउस चलाने और फसलों को बर्बाद करने को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है। कई बार इनके खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज करवाई जा चुकी है, लेकिन पुलिस कोई सख्त ऐक्शन कभी नहीं ले सकी। इन दो समुदायों के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद का खामियाजा उस आठ साल की बच्ची को भुगतना पड़ा।

चार्जशीट के मुताबिक कुछ हिंदू लोगों ने बकरवाल समुदाय को सबक सिखाने की ठानी और इसके लिए उस आठ साल की बच्ची को निशाना बनाया गया। सबक सिखाने की पूरी कवायद का मास्टरमाइंड रिटायर्ड राजस्व अधिकारी सांजी राम था। उसने लड़की को कई बार जंगल में आते-जाते देखा था। उसने लड़की के अपहरण, रेप और हत्या की योजना बनाई, ताकि इस घटना के बाद बकरवाल समुदाय दहशत में आ जाए और वो कठुआ छोड़कर कहीं और चला जाए।

बच्ची के शव को रखकर धरना देते उसके पिता।

इसके लिए सांजी राम ने अपने नाबालिग भतीजे से बात की और प्लान बनाया। इसके अलावा सांजी राम ने एक स्पेशल पुलिस ऑफिसर दीपक खजूरिया को भी अपनी प्लानिंग के बारे में बताया। 10 जनवरी की शाम को दीपक खजूरिया अपने दोस्त और स्पेशल पुलिस ऑफिसर विक्रम के साथ मिलकर बिटू मेडिकल स्टोर गया। वहां से उसने बेहोश करने वाली दवा इपिट्रिल की 10 गोलियां खरीदीं। इसी दौरान सांजी राम के भतीजे को वो लड़की जंगलों में दिख गई। उसने अपने चाचा सांजी राम को लड़की के जंगल में होने की बात कही।

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लड़की जब जंगल में अपने जानवरों को खोज रही थी, तो उस नाबालिग ने लड़की से कहा कि उसके जानवर जंगल में अंदर हैं। लड़के की बातें सुनकर लड़की उसके साथ जंगल में चली गई, जहां उसने लड़की की गर्दन पकड़कर उसे जमीन पर गिरा दिया। फिर उसकी इतनी पिटाई की कि लड़की बेहोश हो गई। इस दौरान उसका दोस्त मन्नू भी उसके साथ था।

लड़की जब बेहोश हो गई, तो दोनों ने उसके साथ रेप किया। वहां रेप करने के बाद दोनों लड़की को उठाकर एक मंदिर में ले आए और वहां के देवस्थान में उसे बंद कर दिया। अगले दिन यानी 11 जनवरी को नाबालिग आरोपी ने मेरठ में अपने चचेरे भाई विशाल को फोन किया। विशाल आकांक्षा कॉलेज मीरापुर में बीएससी का छात्र था। जब विशाल को फोन पर कहा गया कि उसे एक लड़की मिली है और अगर उसे हवस बुझानी है तो वो भी आ जाए। विशाल मान गया।

आसिफा के कपड़ों के साथ उसकी मां।

12 जनवरी को विशाल सुबह छह बजे रसाना पहुंचता है। सुबह 8.30 बजे नाबालिग एक बार फिर देवस्थान पर पहुंचता है। भूख से तड़पती मासूम वे नशे की तीन गोलियां देते हैं। हीरानगर पुलिस स्टेशन की एक पुलिस पार्टी खोज में लग जाती है। इस टीम में खजुरिया भी शामिल रहता है। इस बीच खजुरिया एक अन्य पुलिस अफसर इफ्तिखार वानी के साथ के साथ सांजी राम के घर पहुंचता है। वह नाबालिग से मासूम को समय पर नशीली दवा देने के लिए कहता है। चार्जशीट के मुताबिक, सर्च पार्टी में शामिल हेड कांस्टेबल राज सांजी राम से घूस की बात करता है। 12 जनवरी को ही सांजी राम उसे 1.5 लाख रुपए नाबालिग की मां के हाथों दिला देता है। बेहोशी के बाद एक बार फिर से उस नाबालिग, मन्नू और विशाल ने उसके साथ गैंगरेप किया।

जार्जशीट के मुताबिक 13 जनवरी को आरोपी विशाल, नाबालिग और सांजी राम देवस्थान फिर पहुंचते हैं। इसके बाद सांजी राम पूजा करता है। सांजी राम के कहने पर विशाल मासूम का रेप करता है। फिर नाबालिग एक बार फिर रेप करता है। ये सिलसिला 15 जनवरी तक चलता रहा। 15 जनवरी को सांजी राम भी मंदिर पहुंचा। उसने कहा कि अब बच्ची की हत्या कर उसे ठिकाने लगाना होगा। ये कहकर सांजी राम पीछे के रास्ते से निकल गया।

12 जनवरी को विशाल सुबह छह बजे रसाना पहुंचता है। सुबह 8.30 बजे नाबालिग एक बार फिर देवस्थान पर पहुंचता है। भूख से तड़पती मासूम वे नशे की तीन गोलियां देते हैं। हीरानगर पुलिस स्टेशन की एक पुलिस पार्टी खोज में लग जाती है।

वहीं दीपक खजूरिया वहां मौजूद था। उसने कहा कि थोड़ा रुक जाओ, मुझे भी रेप करना है। इसके बाद दीपक खजूरिया ने भी उस नाबालिग से रेप किया। इसके बाद मारने से पहले और भी आरोपियों ने नाबालिग के साथ गैंगरेप किया। गैंगरेप के बाद सभी ने मिलकर बच्ची का गला घोंट दिया और फिर सर पर पत्थर मारकर उसे मार दिया। इसके बाद उसे 15 जनवरी को शव निकालकर जंगल में फेंक दिया गया।

चार्जशीट में मर्डर के बारे में लिखा है कि रेप करने के बाद खजुरिया गला दबाकर उसकी हत्या का प्रयास करता है। इस दौरान वह मासूम को मार नहीं पाता है। फिर नाबालिग चुन्नी से उसके गला को दबाता है। आरोपी यहीं नहीं रुकते। मौत की पुष्टि के लिए वे उसके सिर पर एक पत्थर से दो बार मारते भी हैं, ताकि उसके बचने की कोई गुंजाइश न रह जाए। लाश को ठिकाने लगाने के लिए गाड़ी नहीं मिल पाने के कारण आरोपी लाश को प्रार्थना कक्ष में ही रख देते हैं।

सांजी राम की ओर से हेड कॉन्सटेबल तिलक राज को डेढ़ लाख रुपए दिए गए, जो घूस की पहली किश्त थी। इसके बाद तिलक राज सांजी राम के घर पहुंचा, जहां उसे डेढ़ लाख रुपए और दिए गए। ये पैसे सब-इन्स्पेक्टर आनंद दत्ता को देने के लिए थे। इसके बाद भी दबाव बढ़ता जा रहा था। इसे देखते हुए तिलक राज फिर सांजी राम के घर पहुंचा और उसने कहा कि मामला बिगड़ गया है, इसलिए किसी एक आरोपी को तो पुलिस को सौंप दिया जाए। लेकिन सांजी राम नहीं माना। उसने फिर आनंद दत्ता के लिए पैसे भिजवाए और तिलक राज तो पहले ही खुशी से पैसे ले चुका था।

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जब तक केस में स्थानीय पुलिस की भूमिका थी, सांजी राम पैसे देकर आरोपियों को बचाता रहा। लेकिन 22 जनवरी को केस क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया और मामला पुलिस से आगे निकल गया। इसके बाद 23 जनवरी के आदेश से क्राइम ब्रांच के एएसपी नवीद पीरजादा के नेतृत्व में इस मामले की जांच शुरू कर दी गई। और जब चार्जशीट दाखिल की गई तो पता चला कि इस आठ साल की बच्ची से कितनी हैवानियत की गई है। आठ लोगों ने एक खास समुदाय को गांव से बाहर निकालने के लिए इस आठ साल की मासूम बच्ची को निशाना बनाया, उसके साथ बर्बरता की सारी हदें पार कर दीं गईं और फिर सारे सबूत मिटाने के लिए पुलिस को पैसे दिए गए और पुलिस ने भी राजी-खुशी ये पैसे ले लिए।

इस मामले में पीड़ित पक्ष की वकील दीपिका थुस्सु रजावत ने गाँव कनेक्शन को बताया "मामले को लेकर चार्चशीट दाखिल कर दी गयी है। पीड़ित पक्ष बय न्याय की मांग कर रहा है। कुछ वकीलों ने चार्जशीट को लेकर बवाल किया था, उनके खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया है। अभी भी कुछ वकील विरोध कर रहे हैं, लेकिन हम आरोपियों को सजा दिला कर ही रहेंगे।"

मासूम के लिए इंसाफ मांगी जा रही।

इस घटना ने पहले से ही सांप्रदायिक मामलों में संवेदनशील इलाके को और ज्यादा गरम कर दिया है। स्थानीय लोगों का कहना था कि जांच साफ-पाक नहीं है और उसे सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए। ये समूह बीजेपी नेता लाल सिंह चौधरी और चंदर प्रकाश गंगा (दोनों पीडीपी-बीजेपी सरकार में मंत्री हैं) के संरक्षण में संचालित हिंदू एकता मंच के नेतृत्व में काम कर रहा है। रसाना की चार महिलाएं भूख हड़ताल पर हैं।

इसमें एक आरोपी की मां भी शामिल है। वो कथित गलत गिरफ्तारी का विरोध कर रही हैं। सबसे अजीब बात ये है कि जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (जम्मू) भी इस आंदोलन में शरीक हो गया है। उसने सोमवार को मामले की कोर्ट में सुनवाई नहीं होने दी। इसने आज जम्मू बंद का आह्वान किया है। बताया जाता है कि एसोसिएशन क्राइम ब्रांच की जांच पर रोक लगाने के लिए एक पीआईएल भी दायर कर सकता है।

   

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