कुछ करने का जज्बा हो तो सौ बाधाएं भी बौनी साबित हो जाती हैं। विश्वास और हौसलों की उड़ान दम भरती हो तो शारीरिक दुर्बलता ही सफलता में बदल जाया करती है। जी हां, कुछ इसी तरह का कारनामा दिखा रहा है जिले का दिव्यांग युवक, जो दिव्यांग होते हुए खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा है।
लखनऊ से करीब 150 किमी दूर कन्नौज जिले के उदैतापुर के मजरा कपूरापुर निवासी कुलदीप (30वर्ष) बताते हैं, ‘‘मैं हाईस्कूल पास हूं। दोनों पैर खराब हैं। खेतों पर जाने के लिए बैसाखी और दूर जाने के लिए ट्राईसाइकिल का सहारा लेता हूं। मेरे पिताजी बताते हैं कि जब मैं करीब एक साल का था तो पोलियो हो गया था। इलाज कराया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।’’
कुलदीप आगे बताते हैं, ‘‘घर के पूरे खर्च की जिम्मेदारी मैं खुद ही उठाता हूं। यह सब खेत में काम करने के बाद ही हो पाता है। बड़े भाई संदीप अपने परिवार के साथ दिल्ली रहते हैं। एक बहन की शादी हो चुकी है। दूसरी बहन की षादी मुझे और करनी है।’’
कुलदीप के पिता अजब सिंह कटियार (62वर्ष) बताते हैं, ‘‘मैं बीमार रहता हूं। अब काम नहीं होता है। अस्थमा से परेशान हूं। बड़ा बेटा बाहर रहता है। कुलदीप पर ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी है।’’
जिला कृषि अधिकारी अभिनंदन सिंह यादव बताते हैं, ‘‘दिव्यांग किसान के लिए हम प्रयास करेंगे जो भी सुविधाएं होंगी वह अधिक से अधिक दिलाई जाएंगी। उसमें साहस है इसके साथ ही और लेागों के लिए भी प्ररेणा है।”