चिकित्सक की राय के बिना न लें दवाई

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चिकित्सक की राय के बिना न लें दवाईचिकित्सकों की टीम ने नन्हें- मुन्ने बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया।

बीसी यादव - स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

मछलीशहर (जौनपुर)। मछलीशहर के आंगनबाड़ी केंद्र पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आयोजित स्वास्थ्य शिविर में चिकित्सकों की टीम ने नन्हें- मुन्ने बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया। दवाएं वितरित की गईं आर बच्चों को चिकित्सकों की टीम ने अभिभावकों को जरूरी सलाह भी दी।

चिकित्सकों ने शिविर में कहा बारिश के समय में बच्चों में स्वास्थ्य संबन्धी समस्याएं आम हैं। ऐसे में अभिभावक अक्सर उनका उपचार खुद करने की कोशिश करने लगते हैं। यहीं सावधानी बरतने की जरूरत होती है। सही वक्त पर चिकित्सक की राय न लेना बच्चे के लिए घातक साबित हो सकता है।

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शिविर में चिकित्सक डॉ. हेमन्त ने बताया,“ शिशु की मालिश के दौरान उसके नाक कान नाभि आदि में तेल नहीं डालना चाहिए। तेल डालने से हानिकारक कीटाणु आसानी से पनप सकते हैं। सर्दी-जुकाम के समय शिशुओं को हींग, जायफल, मिश्री आदि न चटाएं।”

वहीं डॉ. मनोरमा श्रीवास्तव बताया, “जन्म से लेकर छह माह तक सिर्फ स्तनपान ही शिशुओं को कराया जाए। यह उनके लिए सबसे जरूरी है। स्तनपान कराने से शिशुओं को पानी की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है। अक्सर मां को होने वाले साधारण बुखार में शिशु का स्तनपान न कराना गलत है। बच्चे में संक्रमण मां के संक्रमित हाथों या श्वांस द्वारा होता है। जिसे आसानी से रोका जा सकता है, पर स्तनपान शिशु के लिए सदैव फायदेमंद ही होगा।”

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शिविर में आगे बताया गया, बच्चों को साधारण डायरिया खांसी बुखार में खुद दवा न दें बल्कि बाल रोग विशेषज्ञ की सलाह लेना चाहिए। बच्चों के रोने या चिड़चिड़ेपन के दौरान नींद की गोली देने से बचना चाहिए। संक्रमण अक्सर पर एन्टीबायोटिक दवाओं का कोई असर नहीं होता है। साथ ही इनके कई साईड इफेक्ट भी होते हैं।

बच्चों के चेचक या खसरे होने पर उसे अलग कमरों में रखना चाहिए। नहाने व सफाई नजर अन्दाज नहीं करना चाहिए। सफाई ठीक से नहीं होने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से अन्य बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है।

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