लापरवाही : क्या मरीज जलकर मरते तभी बजता अलार्म? 

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
लापरवाही : क्या मरीज जलकर मरते तभी बजता अलार्म? लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर में आग।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर में हादसा हुआ। आग लगी और अफरातफरी मच गई। सैकड़ों मरीजों को वार्डों से बाहर निकाला गया, किसी के आक्सीजन लगी थी तो किसी को ब्लड चढ़ाया जा रहा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौके पर पहुंचे। जांच का दौर शुरु हुआ लेकिन पहली ही कड़ी में जो बात सामने आई वो कई सवाल खड़े करती है, इतने बड़े ट्रॉमा सेंटर में जहां पहुंचने वाले ज्यादातर मरीज चलने-फिरने की हालत में नहीं होते हैं और वहां के डाक्टरों पर जिम्मा होता है कि वो उसें नई सांसें देकर वापस भेंजे, लेकिन इस ट्रामा में आग पर काबू पाने के लिए लगाया गया अलार्म कब बजा था, किसी को नहीं पता। दमकल विभाग का दावा है अगर अलार्म बज जाता तो हादसा इतना गंभीर नहीं होता।

ट्रॉमा में आग लगने का पता तब चला जब धुआं निकलना शुरू हो गया। जब तक बचाव कार्य शुरू किए जाते, तब तक आग फैलती चली गई। लखनऊ मुख्य अग्निशमन अधिकारी अभयभान पाण्डेय बताते हैं, “अस्पताल में फायर सिस्टम तो लगा था, लेकिन काम नहीं कर रहा था। अस्पताल का फायर सिस्टम काम कर रहा होता तो आग इतनी बड़ी नहीं फैलती। इसके अलावा अलार्म भी काम नहीं कर रहा था। यह आग लगने की बड़ी वजह रहीं। इसलिए आग बुझाने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। आग पर पूरी तरीके से तीन घंटे में काबू पाया गया।“

लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर में आग।

उन्होंने आगे कहा कि सभी अस्पतालों को फायर सिस्टम जरूर सही रखना चाहिए, जिससे अस्पताल में कोई हादसा न हो। आग लगने के लगभग 20 मिनट के बाद अग्निशमन विभाग भी अपने दमकल कर्मियों के साथ वहां पहुंचा और आग पर पूरी तरीके से लगभग तीन घंटे में काबू पाया गया। आग लगने के बाद अस्पताल की आग बचाव की लगी व्यवस्था कार्यशील न होने से आग इतनी बड़ी होती गई।

केजीएमयू के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने बताया, “आग लगने के बाद 178 मरीजों को यूनिवर्सिटी के शताब्दी अस्पताल, गांधी वार्ड, कोर्डियोलोजी और कई अन्य अस्पतालों में भर्ती कर दिया गया था। बलरामपुर में 11 मरीजों को और सिविल अस्पताल में तीन मरीजों को शिफ्ट किया गया था। जिनको अब वापस लाया जायेगा।”

ये भी पढ़ें : विडियो : लखनऊ के ट्रामा सेंटर में लगी आग, अफरा तफरी का माहौल, मौके पर पहुँच रहे CM योगी

वहीं, तीमारदारों का कहना है कि ऑक्सीजन न मिलने से करीब सात मरीजों की मौत हो गई है, जिनमे दो बच्चे भी शामिल हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने इसे मना कर दिया है कि उनकी मृत्यु आग लगने की वजह से ही हुई है। कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने बताया, ‘’जिन दो बच्चों की मौत हुई हैं, वह आग लगने से पहले ही हो चुकी थी। ट्रॉमा सेंटर में आग लगने की वजह से उनकी मृत्यु नहीं हुई है। इसी प्रकार जो गांधी वार्ड में तीन मौते हुई हैं, वो मरीज भी पूरी तरीके से बीमार थे।’’

मुख्यमंत्री ने किया दौरा, दिए जांच के आदेश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दूसरे दिन केजीएमयू का सुबह साढ़े दस बजे दौरा किया। उन्होंने ट्रॉमा सेंटर शताब्दी अस्पताल और कोर्डियोलोजी का भी निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने लगभग 50 मरीजों से बात की और इलाज के बारे में उनसे पूछा। मुख्यमंत्री ने कमिश्नर को आदेश दिया कि वो इस मामले की जांच कर तीन दिनों के अन्दर रिपोर्ट भी दें। अस्पताल में जिन लोगों की मौत आग लगने से हुई है, उन लोगो को मुख्यमंत्री ने दो-दो लाख रुपये देने की घोषणा की है, हालांकि अस्पताल प्रशासन ने किसी भी मौत का आग से होने से साफ़ इनकार कर दिया है।

सरकारी अस्पतालों को भेजा नोटिस

चीफ फायर ऑफिर अभय भान पाण्डेय ने राजधानी के सभी बड़े 15 सरकारी अस्पतालों को नाटिस भेज फायर उपकरणों को जल्द दुरुस्त करने का निर्देश दिया है। आशंका जताई जा रही है कि ट्रॉमा सेंटर पर पूरे प्रदेश भर के मरीजों का बोझ है, तब भी वहां फायर उपकरण खराब पाए गये। इस संबंध में सीएफओ अभय भान पाण्डेय ने बताया कि समय-समय पर हर अस्पताल का अग्नीशमन उपकरण निरिक्षण किया जाता है, लेकिन ट्रॉमा सेंटर की घटना होने के बाद जिले के सभी अस्पतालों को अग्नि शमन हथियार जल्द सुधार कर आग से निपटने के उचित इंतजाम कर लें।

एनओसी पर भी सवाल

एक तरफ यह भी बात सामने आ रही है कि हेरिटेज बिल्डिंग होने की वजह से ट्रॉमा सेंटर में फायर एनओसी नहीं थी। फायर ब्रिगेड के सूत्रों के मुताबिक, अस्पताल में फायर एनओसी नहीं थी, जिसकी वजह से ये बड़ा हादसा हुआ है। हालांकि एनओसी को लेकर कमिश्नर द्वारा जांच की जा रही है।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

      

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.