महोबा। बुंदेलखंड का पूरा इलाक़ा पथरीली ज़मीन वाला है। पानी की समस्या यहां हमेशा रही है। सूखे की वजह से कभी हरा-भरा दिखने वाला ये इलाक़ा वीरान हो गया है। पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए जनपद के काकुन गाँव निवासी डॉक्टर धर्मेंद्र ने अपने क्षेत्र में तालाबों की एक श्रृंखला शुरू की। अब इन गांवों में एक बूंद भी वर्षा जल व्यर्थ नहीं जाता है। सारा पानी बहकर तालाबों में जमा होता रहता है। डॉक्टर धर्मेंद्र भूमि संरक्षण एवं कृषि विभाग के सहयोग से किसानों को प्रेरित कर 200 से ज्यादा तालाब खुदवा चुके हैं। अब एक दर्जन से ज्यादा गांवों को जल स्तर 10 फिर ऊपर आ गया है।
ये भी पढ़ें: हरियाणा, पंजाब से आए किसान बदल रहे बुंदेलखंड की सूरत, सूखी जमीन पर लहलहा रही धान की फसल
धर्मेंद्र ने बताया, ” पहले बरसाती नाले तक कटान की मिट्टी बहकर चली जाती थी। पिछले कुछ वर्षों से बुंदेलखंड में सूखा विकराल रूप ले चुका है। तालाबों की रिचार्जिंग का काम पूरा नहीं हो रहा। रिबोर कराने पर हैंडपंप 150 फीट बाद भी पानी नहीं उगलते। हालात भयावह है और भविष्य के खतरे का स्पष्ट संकेत भी। मेरा मानना है हर किसी को वर्षा जल संचयन करना होगा। टैंकरों पानी पहुंचाकर लंबे समय तक काम नहीं चलाया जा सकता है। इस वर्षा काल से ही वृक्षारोपण के लिए सभी को जुटना होगा। पानी बचाने के साथ ही इस संकट के निवारण में वृक्षारोपण की जरूरत होगी।”
धर्मेंद्र ने आगे बताया, ” बुंदेलखंड ग्राम सेवा भारती नाम से मेरी एक संस्था है। वर्ष 2013 में मैंने एक खेत तालाब योजना की परिकल्पना की। चूंकि तालाब खोदना काफी मंहगा कार्य है, इसलिए मैंने तत्कालीन जिलाधिकारी अनुज झा को अपने प्लान के बारे में बताया। उन्हें मेरा प्लान बहुत पंसद आया और पूरे जनपद में लागू करने की योजना बनाई गई। सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड में खेत-तालाब योजना ने क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। पानी की कमी से बंजर हो रही धरती में इस योजना से अब फसलें लहलहा रही हैं। हमारे गांव के आस-पास भूमिगत जल का स्तर करीब 10 फिट ऊपर आ गया है।”
ये भी पढ़ें: बुंदेलखंड से एक किसान की प्रेरणादायक कहानी, इंट्रीग्रेडेट फॉमिंग और लाखों की कमाई
बुंदेलखंड ग्राम सेवा भारती संस्था के अध्यक्ष राजीव तिवारी ने बताया, ” काकुन गांव के पास स्थित कीरतपुर गांव में करीब 200 टयूबवेल लगाए गए हैं। गांव के लोगों ने अंधाधुंध जल दोहन किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि पास के कई गांवों का जल स्तर काफी नीचे चला गया। फिर हम लोगों ने पास के ग्रामीणेां को इस संकट के बारे में बताया और लोगों से अपने खेत में तालाब खुदवाने की बात कही। कई किसानों की हमारी बात मान ली और अपने खेत में तालाब खुदवा लिया।”
ये भी पढ़ें: तालाबों के साथ बुंदेलखंड में सूख गया मछली व्यवसाय
वहीं पाठा गांव के शिव सिंह ने बताया,” पहले हमारे खेत सूखे रहते थे। बरसात का पूरा पानी बह जाता था। लेकिन जब से मैंने अपने खेत में तलाब खुदवाया है उसके बाद से मेरा तालाब साल भर लबालब भरा रहता है। इस साल मैंने चने और राई की सिंचाई भी की है। मेरे खेत में एक बार फिर से हरियाली लौट रही है।”
महोबा में कुल कृषि योग्य क्षेत्रफल 20.34 लाख हेक्टेयर है जिसमें से 10.18 हेक्टेयर क्षेत्र के लिये सिंचाई सुविधा उपलब्ध है। इस क्षेत्र में नहरों से 4.66 लाख हेक्टेयर, तथा राजकीय व निजी नलकूपों से 1.49 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होता है, जिनकी सिंचन क्षमता में अवर्षण के कारण लगातार कमी हो रही है। योजना के माध्यम से अधिकतम वर्षाजल को संरक्षित एवं संचित करते हुए सुरक्षित एवं आधुनिक सिंचाई के साधनों के माध्यम से सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध कराया जाना है।
ये भी पढ़ें: बुंदेलखंड : कभी यहां पहाड़ियां दिखती थीं, अब पहाड़ियों से भी गहरे गड्ढे
बढ़ गया फसलों का उत्पादन
धर्मेंद्र के अभियान से प्रेरित होकर पास के तीन-चार गांवों के किसानों ने सरकारी और कुछ निजी संस्थाओं की मदद से पूरे क्षेत्र में तालाबों की एक श्रृंखला खड़ी कर दी है। इससे अब सैकड़ों बीघा असिंचित कृषि भूमि की प्यास बुझाई जा रही है। इससे फसलों को पानी मिलने के साथ- साथ फसलों का उत्पादन भी अधिक होने लगा है।
गांव बिहारी निवासी सोहन लाला ने बताया, ” हमारे यहां सूखे की बहुत समस्या है। हम लोग बारिश के पानी से ही खेती करते हैं। अगर बारिश हुई तो ठीक नहीं तो हमारा खेत वीरान पड़ा रहता था। लेकिन जबसे मैंने अपने खेत में तलाब खुदवाया है तबसे पानी की समस्या कम हो गई है। अब समय-समय पर मैं अपनी फसलों की सिंचाई करता हूं। इसका यह सुखद परिणाम निकला की हमारी फसलों का उप्तादन दो गुना बढ़ गया। ”