उत्तर प्रदेश में पर्यावरण की विसंगतियां दूर करने के लिए गाँव के नौनिहालों की मदद ली जाएगी। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग के हजारों शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जा रही है। कई जनपदों में प्रशिक्षण संपन्न भी हो चुका है।
कन्नौज मुख्यालय से करीब आठ किमी दूर प्राथमिक विद्यालय बंसरामऊ की शिक्षिका रश्मि मिश्रा बताती हैं, ‘‘पर्यावरण प्रदूषित हो चुका है। आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण विसंगतियां दूर करने के लिए तैयार किया जा रहा है। इसके लिए परिषदीय स्कूलों के बच्चों को जागरूक किया जाएगा।’’
रश्मि आगे बताती हैं, ‘‘बच्चों को जागरूक करने के लिये उत्तर प्रदेश के हर जिले में शिक्षकों को अलग-अलग विषय पर ट्रेंड किया जा रहा है।’’ उन्होंने बताया इसके लिए लखनऊ के स्टेट काउंसिल ऑफ एजूकेशन रिसर्च ट्रेनिंग सेंटर में सूबे के हर जिले से कुछ शिक्षकों को बुलाकर प्रशिक्षण दिया गया था। अब हम लोग बीआरसी पर नवाचार, ऑडियो और वीडियो से शिक्षकों को जानकारी दे रहे हैं। चार्ट के मॉध्यम से अंग्रेजी भाषा, कौशल विकास और नैतिक शिक्षा पर जागरूक किया जा रहा है।
कन्नौज से करीब 30 किमी दूर प्राथमिक विद्यालय तालग्राम के सहायक अध्यापक/ट्रेनर आशुतोष बताते हैं, ‘‘पर्यावरण एवं शिक्षा पर पहली बार शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जा रही है। अब नया पाठ्यक्रम आया है। टीचर को कई एक्टिविटीज के मॉध्यम से ट्रेंड किया जा रहा है।’’
आशुतोष आगे कहते हैं कि ‘‘आपदा, भूकंप, बाढ़, सूखा, संविधान, भूमध्य रेखा और स्पर्श रेखा आदि विषयों पर टीचर को ट्रेंड किया जा रहा है।’’
फैजाबाद की बीएसए अमिता सिंह बताती हैं, ‘‘स्कूल में प्रवेश होते ही बच्चों को स्वच्छता और पर्यावरण की जानकारी हो जानी चाहिए। पेड़-पौधे भी लगाना जरूरी है। हम भी लोगों को जागरूक करते हैं। शिक्षकों को ट्रेनिंग मिलने से वह उत्साहित होते हैं। इससे काफी सुधार होगा। हमारे यहां कोई न कोई प्रषिक्षण चलता ही रहता है।’’
बीएसए आगे बताती हैं कि ‘‘फैजाबाद में 1,900 विद्यालय हैं। जहां करीब 1.90 लाख बच्चे हैं। सात हजार के करीब शिक्षक-शिक्षिकाएं हैं।’’
कानपुर में प्रशिक्षण का काम देखने वाले प्रबोध प्रताप सिंह बताते हैं, ‘‘ब्लाकों में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। कानपुर में 1,423 विद्यालय हैं। यहां के एक-एक शिक्षको को पर्यावरण का चार दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसे स्कूल में फालो कराया जाएगा, जो बच्चों को अच्छे से जानकारी देंगे।’’
कानपुर के एडी बेसिक फतेहबहादुर बताते हैं, ‘‘बच्चों को जो कुछ भी सिखाया जाता है वह अच्छे से काम करते हैं। बच्चे जब जागरूक होते हैं तो परिवर्तन ज्यादा होता है।”