मृत संतानों की शादी भी कराता है ये समाज, वर्षों से चली आ रही रोचक परम्परा
गाँव कनेक्शन 24 May 2017 4:03 PM GMT
सहारनपुर। अपनी संतान से हर किसी का विशेष लगाव होता है। अक्सर संतान के पैदा होते ही माता-पिता उसके पढ़ाई, कॅरिअर और विवाह के बारे में भी तरह-तरह के सपने संजोने लगते हैं। ऐसे में अगर किसी कारणवश कम उम्र में या समय से पहले ही उस संतान की मौत हो जाए, तो ये सारे सपने धरे के धरे रह जाते हैं। लेकिन यूपी में एक ऐसा भी समाज है, जहां माता-पिता अपने मरे हुए संतान की शादी भी बड़े धूम धाम से करते हैं। जी हां, ये सुनने में थोड़ा जरूर अटपटा लगा होगा, लेकिन ये रिवाज न सिर्फ प्रचलन में है, बल्कि इसे निभाने के लिए विशेष समाज काफी मसक्कत भी करता है।
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हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में निवास करने वाले नटबाजी समाज की। ये समाज वर्षों पुरानी अपनी परम्पराओं को आज भी निभा रहा है। समाज के लोग बताते है कि उनके समाज में सिर्फ जिंदा ही नहीं, बल्कि मर चुके संतान की शादी भी करने की परम्परा है। हाल ही में इस परम्परा को निबाहने के लिए मीरपुर के रामेश्वर ने 18 साल पहले मर चुकी बेटी की शादी हरिद्वार के गाँव में रहने वाले तेजपाल के मृत बेटे के साथ हिन्दू रीति-रिवाज के साथ कराई। इस शादी के मंडप में दूल्हा-दुल्हन की जगह गुड्डा व गुडि़या रखे जाते हैं।
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दुल्हन पक्ष के पारिवारिक लोगों ने बताया कि रामेश्वर की बेटी पूजा की मौत दो साल की उम्र में ही हो गई थी। उसने बड़ी मुश्किल से हरिद्वार के गाधारोना गाँव में तेजपाल के घर विवाह योग्य मृत दूल्हे की तलाश की। शादी के बाद बकायदा विदाई भी हुई। करीब पचास बाराती बारात लेकर उनके यहां पहुंचे थे।
बाल विवाह का विरोधी है ये समाज
बताया जाता है कि यह समाज बाल विवाह का सख्त विरोधी है। यही कारण है कि इस समाज में बच्चों के मरने के बाद उनके बालिग हो जाने की उम्र में ही उनका विवाह होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी मृत संतान भी अविवाहित नहीं रहती।
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विवाह समारोह में बारात बैंड-बाजे के साथ मृत कन्या के दरवाजे पर आती है और शादी की सभी रस्में संपन्न कराई जाती हैं। कन्या पक्ष अपने सामर्थ्य के अनुसार वर पक्ष को दहेज भी देता है।
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