नीतीश तोमर, गाँव कनेक्शन
पीलीभीत। शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा संचालित की जाने वाली गौशालाओं में पलने वाली प्रत्येक गायों को भी आधार नंबर आवंटित किया गया है, जिसमें उनको आधार नंबर दिया गया है। इसमें एक रजिस्टर बनाकर आधार नंबर के जरिए गायों का पूरा डाटा संकलित किया जाता है।
गायों का बकायदा नामकरण संस्कार भी किया जाता है। और प्रत्येक गाय को इतना प्रशिक्षित किया जाता है की गौशाला द्वारा रखे गए देखभाल करने वाले व्यक्ति द्वारा गायों को उनके नाम से पुकारने पर वही गाय आती है जिसका नाम पुकारा जाता है। यहां प्रत्येक गाय के बैठने स्थान पर उसकी नाम पट्टिका लगाई गई है। प्रत्येक गाय अपने नाम पट्टिका के सामने जाकर ही चारा खाती है।
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इसी तरह की एक गौशाला पूरनपुर तहसील के ग्राम मकसूदपुर में शांतिकुंज द्वारा स्थापित माता भगवती देवी गौशाला में भी देखने को मिला। इस गौशाला में 55 गायों और 20 बछड़ों के आधार नंबर शांतिकुंज हरिद्वार से आ चुके हैं। गायों के कान में टैग के रूप में आधार नंबर लगा दिया गया है। रजिस्टर में गाय का आधार नंबर दर्ज करके गाय की प्रजाति, जन्म की तारीख गाभिन होने एवं बच्चा देने की तारीख एवं सभी जानकारियां दर्ज कर ली गई हैं।
इनके आधार नंबर से पूरा डाटा शांतिकुंज हरिद्वार में कंप्यूटर पर अपलोड कर लिया गया है। गौशाला में अब सबसे बड़ा कार्य किया जा रहा है वह गायों के नामकरण का है। गाय के ब्याते ही उसके बच्चे का नामकरण करके रजिस्टर में लिखकर पहचान देने का कार्य किया जाएगा। प्रत्येक गाय को प्रशिक्षित किया जा रहा है। गौशाला में गाय अंदर रहे या बाहर उनको बांधकर नहीं रखा जाता। प्रत्येक गाय के स्थान पर एक नाम पट्टिका लगाई जाएगी। प्रशिक्षण के बाद गाय अपने नाम वाले पट्टिका के पास खुद ही पहुंच जाएगी।
इस व्यवस्था के बारे में माता भगवती देवी गौशाला के व्यवस्थापक अनंतराम पालिया ने बताया, “शांतिकुंज हरिद्वार की गौशाला में गायों को बच्चा देते ही बच्चे का नामकरण कर दिया जाता है। उसे एक विशिष्ट पहचान नंबर भी दे दिया जाता है। इसी व्यवस्था के तहत हमारी इस गौशाला की गायों को भी नाम व नंबर देने की प्रक्रिया चल रही है। पूरा डाटा तैयार हो चुका है। गायों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।”
इस बारे में जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह से गौशाला में गायों को दिए जाने वाले आधार नंबर के बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि “गायों को विशिष्ट पहचान देने से कई समस्याओं का हल आसानी से हो जाएगा। अगर गोवंश को विशिष्ट पहचान नंबर दे दिया जाए तो गोवध की समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। शांतिकुंज हरिद्वार की एक अच्छी पहल है।