आलू के साथ सरसों, गन्ने के साथ गेहूं की सहफसली खेती से किसान कमा सकते हैं ज्यादा लाभ

Ashwani NigamAshwani Nigam   29 Sep 2017 4:25 PM GMT

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आलू के साथ सरसों, गन्ने के साथ गेहूं की सहफसली खेती से किसान कमा सकते हैं ज्यादा लाभसहफसली खेती 

लखनऊ। अक्टूबर से शुरू हो रहे रबी मौसम में किसान मुख्य फसल के साथ ही सहफसली की खेती करके अधिक लाभ कमाएं इसके लिए कृषि विभाग ने किसानों को सहफसली खेती करने को लेकर जागरूक कर कर रहा है।

इस बारे में जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के निदेशक सौराज सिंह खोखर ने बताया ''रबी के मौसम में मुख्य फसलों के साथ सहफसलों को लेने से किसानों को उनकी भूमि में न केवल कुल उत्पादन बढ़ाने में सहायता मिलती है बल्कि कृषि निवेश के लागत में कमी आती है।''

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अक्टूबर से शुरू हो रहे रबी सीजन में किसान सहफसली में आलू-राई, आलू-गेहूं, गन्ना-तोरिया, गन्ना-राई, गन्न-गेहूं, गन्ना मसूर, चना-अलसी और चना-राई की खेती कर सकते हैं। सहफसली खेती को ध्यान में रखते हुए कृषि विश्वविद्यलयों की तरफ से विभिन्न फसलों की कई नवीनतम किस्मों को भी विकसित किया है, जिसकी बुवाई करने से अधिक उत्पादन होता है।

सहफसली की खेती के बारे में जानकारी देते हुए नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय फैजाबाद के कृषि वैज्ञानिक डॉ. ए.के.सिंह ने बताया ''सहफसली खेती में मुख्यतः दो फसलें मुख्य फसल और सहफसल होती है। इन फसलों के चुनाव के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। जैसे दोनों फसले एक ही जाति की न हो और दोनों फसलों का पोषक तत्व उपयोग करने का भूमि स्तर अलग-अलग हो'' उन्होंने बताया कि इसके अलावा एक फसल की छाया दूसरे पर न पड़े यह सुनिश्चित कर लें। ध्यान रखें दोनों फसलों में से एक फसल दलहनी हो।''

1. आलू-राई-आलू और राई की सहफसली खेती के लिए मुख्य फसल आलू की कुफरी, चंद्रमुखी, कुफरी बहार, कुफरी ज्योति और कुफरी अलंकार प्रजाति के साथ सहफसली राई की क्रांति, रोहणी, वरदान, वरुणा और नरेन्द्र राई जैसी उन्नत प्रजातियों की बुवाई कर सकते हैं। बुवाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि मुख्य फसल आलू की जहां प्रति हेक्टेयर 20 से लेकर 25 कुंतल आलू की जरुरत होती है वहीं सहफसल राई की 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की जरुरत होती है। बुवाई करते इस समय भी ध्यान रखें कि आलू की तीन मेड़ी के बाद राई की एक लाइन लगाएं।

2. आलू-गेहूं-आलू की शीघ्र पकने वाली कुफरी, चंद्रमुखी, कुफरी बहार, कुफरी ज्योति और कुफरी अलंकार प्रजातियों के साथ ही सहफसली गेहूं की के 7903, यूपी-1338, पीवी, डब्ल्यू 373के, 9162के, 9533के और 9633 गेहूं की प्रजाति की खेती कर सकते हैं। इस खेती में प्रति हेक्टेयर मुख्य फसल आलू बीज की 20 से लेकर 25 कुंतल और गेहूं की 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर जरूरत होती है। बुवाई करते इस बात का ध्यान रखें की आलू की तीन पंक्तियों के बाद गेहूं की तीन पंक्तियों को लगाएं।

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3. गन्ना-तोरिया-गन्ना के साथ तोरिया की भी खेती कर सकते हैं, जिसमें गन्ना की उन्नत प्रजातियों को पंत 84 212 को, पंत 90223 कोशा, 767 कोशा, 802 कोशा, 955255 कोशा, 88216 और 88230 के साथ तोरिया की पी.टी.30, पी.टी.303 और टा-9 प्रजाति की खेती कर सकते हैं। इसमें प्रति हेक्टेयर 65 से लेकर 70 कुंतल गन्ना और 2 किलो राई की जरुरत पड़ती है। इसमें गन्ने की दो लाइनों के बीच तोरिया की दो लाइन लगाए जाते हैं।

4.गन्ना-राई-गन्ने की प्रजातियों कोशा8315, कोशा7918, कोशा 8412, बीओ 91, कोशा767 और कोशा802 के साथ सहफसली के रूप में राई वरूण रोहणी, के 9644, के 7903 और के 9533 प्रजाति की बुवाई करें।

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