यूपी की जेलों में अपराधी बने किसान, लहलहा रही फसलें

Abhishek PandeyAbhishek Pandey   27 July 2017 7:43 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
यूपी की जेलों में अपराधी बने किसान, लहलहा रही फसलेंजिला कारागार लखनऊ।

लखनऊ। जिन हाथों से कभी अपराध कर बैठे थे आज उन्हीं हाथों से फसलें उगाने में जुटे हैं, जिसे देखकर हर कोई यही कहता है कि शायद यह देश के उन्नत किसान हो सकते थे, लेकिन बाहर की दुनिया में अपराध में संलिप्ता होने के चलते उन्हें चार दीवारियों के पीछे जाना पड़ा। हम बात कर रहे हैं, यूपी की जेलों में बंद कुल 95000 हजार कैदियों की, जो अपनी आवश्यकतानुसार जेलों में पड़ी 903 एकड़ कृषि योग्य जमीन पर रबी, खरीफ और सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं, जिसके चलते जेल अधिकारियों को कैदियों के भोजन के लिए सब्जियां और अनाज बाहर से नाम मात्र का मंगाना पड़ता है।

उत्तर प्रदेश के विभिन्न कारागारों में कुल 903.84 एकड़ कृषि योग्य भूमि उपलब्ध है, जिसमें खरीफ, रवी तथा ज्यादा सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है। मुख्यरूप से कारागारों में निरूद्ध 95000 हजार कैदियों के भोजन के लिए कारागार विभाग ठोस और ताजी हरी सब्जियों का उत्पादन करता है।

कारागारों की आवश्यकतानुसार सब्जियों की बुवाई पहले की जाती है और इसके बाद बाकी बची जमीनों पर अनाज तथा जानवरों के लिए हरा चारा उत्पादन किया जाता है। इस खेती से उत्पादन की हुई फसलें कारागारों में बंद कैदियों के भोजन के लिए उपयोग में लाया जाता है। कृषि कार्यों के संचालन के लिए यूपी की विभिन्न कारागारों में 20 ट्रैक्टर, 53 नलकूप तथा 23 पम्पिंग से का इंतजाम किया गया है, जिसका कैदी उपयोग जेलों में खेती के लिए करते हैं।

ये भी पढ़ें- बीस साल में 3 लाख 30 हजार किसान खुदकुशी कर चुके हैं, अब तो किसान आय आयोग बने

कारागारों के कृषि फार्मों के वैज्ञानिक प्रबन्धन तथा उत्पादन क्षमता में प्रतिवर्ष सुधार लाने के लिए जिला मुख्यालय स्तर पर मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है जो कारागारों के कृषि फार्मों का निरिक्षण करके उपलब्ध संसाधनों एंव भूमि की दशा के अनुसार कारागारों में बेहतर कृषि कार्य योजना तैयार करते है तथा उसी के अनुसार फसलों की बुवाई सुनिश्चित की जाती है। समय-समय पर खड़ी फसलों का निरिक्षण भी समिति द्धारा किया जाता है, जिसे कैदियों को फसल सुधार के लिए नए सुझाव दिए जाते हैं।

आईजी जेल पीके मिश्रा ने बताया कि, कृषि कार्यों हुतु बजट का आंवटन तथा उत्पादन को बढाने आदि के उपायो तथा कृषि, नलकूप, पम्पिंग सेट मरम्मत, पेड़ों का निस्तारण, कृषि से संबंधित लाभ-हानि की समीक्षा हर वर्ष समिति द्धारा की जाती है। इसके अतिरिक्त बेहतर उत्पदन करने के लिए कृषि और उद्यान विभाग के परामर्शानुसार आवश्यक दिशा-निर्देश वक्त-वक्त पर कारागारों में बंद कैदियों को दी जाती है।

वर्तमान में यूपी के विभिन्न कारागारों में करीब 95000 हजार बंदी निरूद्ध हैं, जिनके लिए जेल मैनुअल में नियमानुसार आवश्यक हरी सब्जी की पूर्ति कारागारों में बंद कैदियों के द्धारा उत्पादित किया जाता है। आईजी पीके मिश्रा आगे बताते हैं कि, उत्तरांचल राज्य के गठन के बाद सम्पूर्णानन्द शिविर, सितारगंज जनपद उधम सिंह नगर में चला गया था, जिसके बाद यूपी के कारागारों में कोई ऐसी जेल नहीं बची थी, जहां कैदियों को सब्जी और फसल उत्पादन करने के प्रशिक्षित किया जाये, लेकिन वक्त के साथ-साथ कारागारों में बंद खेती में रुची रखने वाले कैदियों ने खुद ही कृषि योग्य जमीन पर खेती करना शुरू कर दिया।

ये भी पढ़ें- भारत के किसानों को भी अमेरिका और यूरोप की तर्ज़ पर एक फिक्स आमदनी की गारंटी दी जाए

उन्होंने बताया कि, कैदियों के खेती करने से उनकी मनोवृत्ति सुधारने और सजापरान्त स्वावलम्बी जीवन व्यतीत करने हेतु उनका सुधार किया जा रहा है ताकि वह समाज में पुर्नस्थापित हो सके एवं अपराधिक प्रवृत्तियों से दूर हो कर जेल से बाहर जाने के बाद खुशहाल जीवन बीता सके।

सीतापुर में शुरू किया जायेगा कृषि प्रशिक्षण शिविर

यूपी कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवायें की विशेष कार्याधिकारी प्रतिमा त्रिपाठी ने बताया कि, वर्ष 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश में नये कृषि शिविर खोले जाने की घोषण की थी, जिसे अमली जामा पहनाने के लिए मौजूदा आईजी जेल पीके मिश्रा की अध्यक्षता में समिति गठित कर सीतापुर जिले के सिधौली तहसील स्थित नीलगॉंव में पशुपालन विभाग के 1400 एकड़ का स्थलीय निरिक्षण कर लिया गया है। जिसे जल्द ही शासन के आदेश के बाद कारागारों में बंद कैदियों के कृषि प्रशिक्षिण केंद्र के रूप में शुरू कर दिया जायेगा।

गाँव कनेक्शन, सब्जी, इलाहाबाद

खेती के एवज में 35 से 40 रुपए

आईजी पीके मिश्रा ने बताया कि, प्रदेश के कारागारों में बंद कैदियों को खेती के एवज में रोजाना मेहनताना 35 से 40 रुपए दिया जाता है। साथ ही उन कैदियों द्धारा उत्पादन की हुई सब्जियों एंव अनाजों को कैदियों के भोजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कैदियों की इस मेहनत को देखकर ऐसा प्रतित होता है कि, कारागार से अपनी सजा खत्म होने के बाद कुछ कैदी देश के उन्नत किसान बन सकते हैं।

यूपी के कारागारों में कृषि योग्य भूमि का विवरण

  • आगरा परिक्षेत्र 104.61 एकड़ जमीन
  • इलाहाबाद परिक्षेत्र 191.64 एकड़ जमीन
  • मेरठ परिक्षेत्र 128.81 एकड़ जमीन
  • गोरखपुर परिक्षेत्र 170.97 एकड़ जमीन
  • बरेली परिक्षेत्र 110.84 एकड़ जमीन
  • लखनऊ परिक्षेत्र 197.26 एकड़ जमीन
  • कुल 903.84 एकड़ जमीन

       

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.