त्यौहारी मौसम में सबसे ज्यादा लखनऊ में चढ़े सब्जियों के दाम

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
त्यौहारी मौसम में सबसे ज्यादा लखनऊ में चढ़े सब्जियों के दामसब्जियों के दाम बढ़े।

लखनऊ (भाषा)। त्यौहारी मौसम में सब्जियों के दाम में तेजी के मामले में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ने देश के अनेक शहरों को पीछे छोड़ दिया। उद्योग मण्डल एसोचैम के एक ताजा अध्ययन में यह दावा किया गया है।

एसोचैम के आर्थिक अनुसंधान ब्यूरो द्वारा किये गये अध्ययन में पाया गया है कि दशहरा और दीपावली के त्यौहारों के दौरान बढ़ी मांग के मद्देनजर इस महीने देश के विभिन्न 25 प्रमुख शहरों में सब्जियों के थोक और खुदरा दाम बहुत तेजी से चढ़े। दाम में सबसे ज्यादा तेजी लखनऊ में देखी गयी। सितम्बर में जहां लखनऊ में सब्जियों के दाम में 52 प्रतिशत तक की बढोत्तरी हुई, वहीं अक्टूबर में दीपावली के आसपास यह वृद्धि 71 फीसद तक पहुंच गयी।

मूलभूत सुविधाओं की कमी कारण

एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी. एस. रावत ने कहा कि मूलभूत ढांचागत सुविधाओं की कमी के वजह से उत्पादन की आवक के दौरान भारी मात्रा में सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं। त्यौहारी मौसम में मांग के उच्चतम स्तर पर पहुंच जाने की वजह से सब्जियों के दाम खासे बढ़ जाते हैं।

अध्ययन में पाया गया है कि लखनऊ में सितम्बर में जहां 28400 मैट्रिक टन सब्जी बाजारों में बिकने के लिये आयी थी, वहीं अक्टूबर में इसमें भारी गिरावट आयी और यह 18300 मैट्रिक टन ही रही। सितम्बर में शहर में सब्जियों का थोक दाम 2263.8 रुपए प्रति क्विंटल था, जो अक्तूबर में बढकर 3877.3 रुपये प्रति कुंतल हो गया।

ये भी पढ़ें:प्याज ने मारी हाफ सेंचुरी, अन्य सब्जियों के दाम भी आसमान पर

इसी तरह सितम्बर में राजधानी में सब्जियों का खुदरा दाम 3145.3 रुपये प्रति कुंतल था, जो अक्टूबर में बढ़कर 3302.9 रुपये प्रति कुंतल हो गया।

रावत ने कहा कि सब्जियों की सही पैकिंग नहीं होने, वातानुकूलित परिवहन वाहनों की कमी, कोल्ड चेन सुविधाओं की कमी, खाद्य प्रसंस्करण की पुरानी तकनीक तथा ऐसे ही अन्य कई कारणों से देश के ज्यादातर हिस्सों में कृषि उत्पादों का एक बड़ा हिस्सा खराब हो जाता है।

उन्होंने कहा कि फलों तथा सब्जियों की आपूर्ति श्रृंखला प्रबन्धन को आपूर्ति के हर चरण में सुधारने की जरुरत है। इसके लिये केंद्र तथा राज्य सरकारों को इस क्षेत्र में निजी पक्षों को भी शामिल करना चाहिये।

ये भी पढ़ें:उन्नाव में भी सब्जी के राजा को नहीं मिल रहे खरीददार, मंडियों के चक्कर लगा रहे किसान

ये भी पढ़ें:सब्जी उत्पादन में भारत होगा नंबर वन

ये भी पढ़ें:मुनाफे वाली खेती : भारत में पैदा होती है यह सब्जी, कीमत 30,000 रुपये किलो

     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.