नीतू सिंह
लखनऊ। जहां दो साल तक बंधक बनाकर रखी गई एक नाबालिग रेप पीड़िता की बहन ने आरोप लगाया कि पुलिस ने सही धाराएं नहीं लगाईं, वहीं पुलिस के जांच अधिकारियों ने कहा कि पीड़िता ने जो लिख कर दिया उसी के अनुसार एफआईआर लिखी।
लखनऊ के त्रिवेणीनगर-2 में सुधीर गुप्ता के घर में झाड़ू-पोछा का काम करने वाली नेहा (15 वर्ष, बदला हुआ नाम) से पिछले दो साल से जबरन देहव्यापार कराया जाता रहा। जब वह इनकार करती तो शराब पिलाकर उससे ये काम करवाया जाता, तरह-तरह की यातनाएं दी जाती रहीं। कभी कैंची से उंगली काटी गयी तो कभी गर्म कंछुल से चेहरा दाग दिया। घुटनों में डंडे मारे गये, सिर के बाल तक कटवा दिए। मुंह में कपड़ा भरकर, टेप लगाकर कई दिन कमरे में कैद रखा जाता था। नेहा ने इन दो सालों में जितनी पीड़ा सही उसे जानकर आपकी भी रूह कांप जाएगी। इस केस में 11 अगस्त को दर्ज हुई एफआईआर में अलीगंज थाना में 342, 325, 323, 504, 506 धाराएं लगी थी।
अलीगंज थानाअध्यक्ष अजय कुमार ने बताया, “जाँच के बाद धाराएं बढ़ाई गई हैं। पीड़िता का मेडिकल हुआ है अभी रिपोर्ट नहीं आयी है। जो धाराएं बढ़ाई गई हैं उसमें 342, 325, 323, 504, 506, 376, 377, 120बी, 326, 164 बढ़ाई गई हैं।”
नेहा की बड़ी बहन पूजा वर्मा (25 वर्ष, बदला हुआ नाम) अपनी गरीबी को कोसते हुए कहती हैं, “हमारी बहन की हालत उस समय बहुत खराब थी। वह बहुत डरी-सहमी थी, कुछ बताने की स्थिति में नहीं थी इसके बावजूद थाने में कई पुलिसवालों के सामने पूरी घटना बार-बार बताना पड़ा। तब कहीं जाकर एफआईआर दर्ज हुई।” एफआईआर दर्ज होने के तीन दिनों तक आरोपी सुधीर गुप्ता का परिवार लगातार पूजा को फोन पर धमकी देता रहा, “जो तुम कर रही हो वो ठीक नहीं है ये दुश्मनी तुम्हें बहुत महंगी पड़ेगी। थाने, कोर्ट, कचहरी के चक्कर में न पड़ो, तुम हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाओगी।”
अलीगंज थाना के थानाध्यक्ष अजय कुमार बताते हैं, “पीड़ित परिवार जो लिखकर देता है उसके आधार पर जो धाराएं बनती हैं हम वही लगाते हैं। इस केस में भी यही हुआ है। पीड़िता सीओ साहब के यहाँ गयी थी। वहीं से एप्लीकेशन आया है।” लेकिन पीड़िता की बहन ने बताया कि पुलिस ने हमारे केस में सही धाराएं नहीं लगाईं तो इस पर अजय कुमार का जबाब था, “वो झूठ बोल रही हैं। जो हमें लिखकर दिया हमने वही धाराएं लगाईं। जो धाराएँ लगी हैं इसमें सात साल की सजा हो सकती है।”
जब गाँव कनेक्शन के संवाददाता ने उनसे पूछा कि बच्ची नाबालिग है, आरोपी को पाक्सो एक्ट के तहत उम्र कैद या फांसी की सजा हो सकती है तो अजय कुमार का जवाब था, “मर्डर जैसे केसों में अपराधी छूट जाता है। उसे उम्र कैद नहीं होती, ये तो फिर रेप की घटना है।” एफआईआर दर्ज होने के तीन दिन तक सुधीर गुप्ता का परिवार अपने घर पर ही रहा। जब प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ये खबर आयी तब परिवार फरार हुआ। आरोपी परिवार को 14 अगस्त को गिरफ्तार किया गया। पूजा आगे बताती है, “जब बयान देने थाने में गये तब अनीता गुप्ता और श्वेता गुप्ता (अनीता गुप्ता की बेटी) हंस रही थी, उन्होंने कहा जब बाहर निकलकर आयेंगे तब पता चलेगा।” डरी-सहमी पूजा ने गाँव कनेक्शन संवाददाता से गुहार लगाते हुए कहा, “इन्हें ऐसी सजा मिले जैसी मेरी बहन ने दो साल झेली है। ये कभी बाहर निकलकर न आएं, नहीं तो ये हमारे परिवार को मार डालेंगे।”
सीओ अलीगंज दीपक कुमार सिंह ने बताया, “पीड़िता ने हमें जो बताया है उसी आधार पर धाराएं लगाई गई हैं। मामले की जांच चल रही है इसके बाद धाराएं बढ़ाई जाएंगी।” जब उनसे पूछा गया कि पीड़िता के 164 के बयान हुए की नहीं तब उन्होंने जवाब दिया, “मुझे इसकी जानकारी नहीं है, परसों पीड़िता को 164 के बयान के लिए बुलाया गया था पर बयान हुआ या नहीं इसकी मुझे कंफर्म जानकारी नहीं है।”
आरोपी सुधीर के घर से नेहा नौ अगस्त की सुबह गेट खुला पाकर अपनी बड़ी बहन के घर भागते-भागते पहुंची। पूजा नेहा की आपबीती सुनकर जब थाने गयी तो उसे पुलिस के रवैये से निराशा होने लगी। दो-तीन दिन लगातार थाने जाने के बाद भी जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो उसने मदद के लिए सीओ से गुहार लगाई।
सुधीर के पड़ोसी नीरज यादव (50 वर्ष) ने बताया, “एफआईआर दर्ज होने के तीन दिनों तक सुधीर का पूरा परिवार यहीं था। 12 अगस्त की रात को मीडिया में खबर आने के बाद वे लोग यहां से भागे।”
आली संस्था में ह्यूमन राइट्स की वकील शुभांगी सिंह कहती हैं, “इस तरह के केसेज में पुलिस को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। अगर पुलिस पीड़िता की बताई बात हूबहू लिखती है तो कोर्ट और वकील की मदद से पीड़िता को न्याय जरूर मिलता है।” इस केस के बारे में वो कहती हैं, “जांच के बाद जब चार्जशीट बनती है तो कुछ सेक्शन जोड़ घटा दिए जाते हैं। अगर एफआईआर में पीड़िता के शब्द नहीं लिखे गये तो वो एक कागज को लेटर के फॉर्म में अपने जांच अधिकारी को एड्रेस करते हुए कोर्ट को सारी घटना लिखकर भेज दे। उसमे ये मेंशन करे कि ये बातें एफआईआर लिखते समय नहीं भेजी गयीं। इसे सेक्शन 152 को इन्वेस्टीगेशन का पार्ट बनाना पड़ेगा।”
शुभांगी आगे बताती हैं, “सेक्शन वॉयलेंस के केसेज में पुलिस के खिलाफ एफआईआर हो सकती है। पुलिस का काम लॉ और ऑर्डर मेंटेन करना है। पुलिस की ट्रेनिंग में पीड़िता के साथ कैसा व्यवहार हो इस पर खास ध्यान देने की जरूरत है।” नेहा का घर सुधीर गुप्ता के घर के सामने है। बचपन में ही माँ का देहांत हो गया। पापा और भाई मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं। बड़ी बहन की शादी हो गयी। नेहा 350 रुपए में सुधीर के घर झाड़ू-पोछा करती थी। दो साल पहले सुधीर की पत्नी अनीता गुप्ता और बेटी स्वेता गुप्ता ने नेहा को अपने घर में बंधक बना लिया। स्वेता के दो बच्चे हैं जिनकी उम्र लगभग तीन साल और एक साल है। इन बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी भी नेहा के जिम्मे ही थी। एक पड़ोसी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “ये परिवार कभी ठीक नहीं था। हमलोगों ने विरोध इसलिए नहीं किया क्योंकि मोहल्ले वालों को सुधीर ने कभी तंग नहीं किया।” आगे बताया, “इनके यहां आदमी और लड़कियों का आना-जाना हमेशा लगा रहता था।”