उत्तर प्रदेश के महाराजगंज और सिद्धार्थ नगर ने मछली पालन से अपनी अलग पहचान बना ली है।
आमतौर पर इन्हें तराई वाला जिला माना जाता है; जहाँ बारिश के दिनों में पूरा क्षेत्र बाढ़ प्रभावित हो जाता है ऐसे में यहाँ के लोगों ने आपदा को ही अवसर में बदल दिया है। पिछले एक साल में यहाँ निजी तालाबों की संख्या में 54 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है।
राज्य के कई जिलों में इस व्यवसाय के बढ़ने से उत्तर प्रदेश को अंतर्देशीय मछली पालन (मैदानी क्षेत्र) में पहला स्थान मिला है। ख़ास बात ये है पिछले कुछ साल में यहाँ पर मछली पालन के कारोबार से युवा भी जुड़े हैं।
“मछली पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिससे शायद ही किसी को नुकसान होता है; लेकिन पिछले कुछ सालों में इस क्षेत्र में यूपी काफी आगे बढ़ रहा है, तभी तो अब युवा भी इस व्यवसाय से जुड़ रहे हैं।” महाराजगंज के बरोहिया गाँव में मेधा मत्स्य प्रजनन केंद्र चलाने वाले डॉ संजय श्रीवास्तव ने गाँव कनेक्शन से कहा।
संजय ने साल 1990 में 23,000 रुपए की सरकारी मदद के साथ मछली पालन की शुरुआत की थी, लेकिन आज वो जिले ही नहीं प्रदेश के बड़े मछली पालकों में से एक हैं।
हाल ही में विश्व मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की ओर से प्रदेशों की एक रेटिंग जारी की गई है, जिसमें उत्तर प्रदेश को मछली उत्पादन में नंबर वन अवार्ड के लिए चुना गया है; ये अवार्ड अहमदाबाद में विश्व मत्स्य पालन दिवस के अवसर पर 21 नवंबर को ग्लोबल फिशरीज कॉन्फ्रेंस में दिया जाएगा।
साल 2022 में प्रदेश में मत्स्य उत्पादन जहाँ 8.09 लाख मीट्रिक टन था, वहीं इस साल अब तक 9.15 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ है। पिछले साल की तुलना में इस बार मत्स्य बीज उत्पादन में भी वृद्धि है।
पिछले साल 27,128 लाख मीट्रिक टन मत्स्य बीज उत्पादन था, वहीं इस बार अब तक 36,187 लाख मीट्रिक टन हुआ है। प्रदेश में पीएम मत्स्य सम्पदा योजना के तहत 31 योजनाओं में अब तक 15282.5 लाख की राशि लाभार्थियों को दी जा चुकी है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से मिल रही मदद
मत्स्य विभाग की ओर से आर्थिक रूप से कमजोर मत्स्य पालकों को आवास के साथ समय पर मत्स्य बीज उपलब्ध करा कर उनकी आमदनी बढ़ाने काम किया जा रहा है। मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरुआत की है।
योजना के तहत सामान्य वर्ग के लोगों की कुल इकाई लागत का अधिकतम 40 प्रतिशत और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों को अधिकतम 60 प्रतिशत अनुदान राशि डीबीटी के माध्यम से दी जाती। इसमें सामान्य वर्ग के 60 प्रतिशत अंश और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों को 40 प्रतिशत अंश खुद से या फिर किसी बैंक से लोन लेकर देना होता है। लाभार्थियों को देय अनुदान की धनराशि दो या तीन किस्तों में दी जाती है।
68 जिलों की नदियों में छोड़ी जा रही मछलियाँ
प्रदेश के 12 जिलों की नदियों में छोटी मछलियां छोड़ी जाती थीं, वहीं वर्तमान में 68 जिलों की नदियों में छोटी मछलियाँ छोड़ी जा रही हैं। प्रदेश में अब तक 1,16,159 मत्स्य पालकों को मछुआ दुर्घटना बीमा योजना का लाभ दिया गया है। इसमें हादसे में जान गंवाने वाले मत्स्य पालकों को 5 लाख, दिव्यांग होने पर 2.5 लाख और घायल होने पर 25 हज़ार रुपये की सहायता दी जाती है।
Construction of State of the Art wholesale Fish Market sanctioned under #PMMSY at a total outlay of Rs. 61.87 crore during 2021-22 in Chandauli district near Varanasi Uttar Pradesh is in progress. #FishMarket pic.twitter.com/LEJTgxA4ds
— Department of Fisheries, Min of FAH&D (@FisheriesGoI) September 21, 2023
चंदौली में बन रहा अल्ट्रा मॉडर्न फिश मॉल
प्रदेश को मत्स्य पालन का हब बनाने के लिए चंदौली में 62 करोड़ की लागत से अल्ट्रा मॉडर्न फिश मॉल का निर्माण किया जा रहा है। वहीं इस साल अब तक 14,021 मत्स्य पालकों के 10772.77 लाख के कर्ज स्वीकृत किए गए हैं। विभाग की ओर से 1500 से अधिक मत्स्य पालकों को प्रशिक्षण दिया गया है। अन्य प्रदेशों में भी प्रशिक्षण दिलाने की तैयारी चल रही है।