गोरखपुर जैसे पूर्वांचल के कई ज़िलों में पिछले कुछ वर्षों में जापानी इन्सेफ्लाइटिस (जेई) और एक्यूट इनसेफ्लाइटिस सिन्ड्रोम (एईएस) से हजारों बच्चोंं की जान गई है, इसका एक मुख्य कारण साफ पीने के पानी की अनुपलब्धता भी है, लेकिन प्रदेश सरकार ने इससे लड़ने की तैयारी कर ली है।
राज्य सरकार ने प्रदेश के चयनित 10 जनपदों की 17 नगर निकायों की मलिन बस्तियों में जापानी इन्सेफ्लाइटिस (जेई) और एक्यूट इनसेफ्लाइटिस सिन्ड्रोम (एईएस) की रोकथाम के लिए शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए नगर निगम लखनऊ के पीएलए खाते में रखी गयी 2376.78 लाख रुपए की धनराशि चालू वित्तीय वर्ष में व्यय की जायेगी।
प्रमुख सचिव नगर विकास मनोज कुमार सिंह ने कहा गया है कि योजना का क्रियान्वयन खासतौर से मलिन बस्तियों में किया जायेगा। इसके लिए राज्य नगरीय विकास अभिकरण (सूडा) को नोडल एजेन्सी और उत्तर प्रदेश जल निगम लखनऊ को कार्यदायी संस्था नामित किया गया है। योजना के लिए डीपीआर नोडल एजेन्सी द्वारा तैयार कराया जायेगा।
10 जनपदों के 17 नगर निकायों की जिन मलिन बस्तियों में शुद्ध पेयजल के आपूर्ति की व्यवस्था की जानी है, उनमें जनपद आजमगढ़ की नगर निकाय मुबारकपुर, जनपद बहराइच की नगर निकाय बहराइच, नानपारा, रिसिया, जनपद बलरामपुर की नगर निकाय नोटिफाईड एरिया तुलसीपुर और पचपेड़वा शामिल है। इसी प्रकार जनपद बस्ती के नगर निकाय बस्ती तथा देवरिया की नगर निकाय देवरिया इस योजना में शामिल हैं।
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शासनादेश में यह भी कहा गया है कि जनपद कुशीनगर की नगर निकाय पडरौना, महाराजगंज की नगर निकाय महाराजगंज तथा नौतनतवां, जनपद संतकबीर नगर की नगरपालिका परिषद् खलीलाबाद व नगर पंचायत हरिहरपुर व मेंहदावल और जनपद सिद्धार्थनगर की नगर निकाय नौगढ़ स्थित मलिन बस्तियों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जायेगी।
जेई और एईएस की रोकथाम के लिए क्रियान्वित की जाने वाली इस योजना के सफलतापूर्वक संचालन के लिए प्रमुख सचिव नगर विकास की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय एक राज्य स्तरीय स्वीकृति एवं निगरानी समिति का गठन किया गया है, जिसके सदस्य प्रमुख सचिव वित्त, चिकित्सा, ग्राम्य विकास तथा निदेशक सूडा, संयोजक सदस्य बनाये गये हैं।