मैं 40 वर्षों से शहर में रह रहा हूं लेकिन मेरा मन गाँव में ही रहता है-विधानसभा अध्यक्ष

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मैं 40 वर्षों से शहर में रह रहा हूं लेकिन मेरा मन गाँव में ही रहता है-विधानसभा अध्यक्षहृदय नाराणय दीक्षित, विधानसभा अध्यक्ष, यूपी

"गाँव कनेक्शन गाँव की बाते करता है, इससे बढ़िया बात और क्या हो सकती है। गाँव की संस्कृति की बात करें तो गाँव में जो चाची रहती है वो शहर में आंटी हो जाती है। शहरों में करवा चौथ, हरियाली तीज, शिवरात्रि, दिवाली सभी मनाई जाती है लेकिन इन सब त्यौहारों का आनंद गाँव में ही आता है।" हृदय नाराणय दीक्षित, उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष ने शुभकामनाएं देते हु कहा।

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गाँव कनेक्शन के पांच वर्ष पूरे होने पर हृदय नारायण दीक्षित ने कहा, "भारतीय संस्कृति गाँव की संस्कृति से ही विकसित होकर आई है। आपके अखबार मे ये सभी बातें होती हैं। इससे ऐसे ही जुड़ें रहे पांच होने पर गाँव कनेक्शन की टीम को बहुत बधाई देता हूं। अभी पांच साल पूरे किए है दस साल बाद ये अखबार और जवान होगा।"

हृदय नारायण दीक्षित, विधानसभा स्पीकर

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"हम गाँव के है इसलिए गंवार है। सही बोलचाल की भाषा में इसका अर्थ मूर्ख होता है। लेकिन गंवार का मूल अर्थ गंवार नहीं बल्कि गाँव का, गाँव से जुड़ा, गाँव की रीति से, संस्कार से, प्यार, प्रकृति से जुड़ा है वो गंवार है। मैं 40 वर्षों से शहर में रह रहा हूं लेकिन मेरा मन गाँव में ही रहता है।" हृदयनारायण दीक्षित ने कहते हैं।

उत्तर प्रदेश विधानसभा का तीसरा सत्र 14 दिसंबर से शुरु हो रहा है। विधानसभा स्पीकर ने कहा वो चाहेंगे कि सदन में ज्यादा से ज्यादा काम हो। ताकि आम जनता को लाभ हो और अधिकारियों की जवाबदेही बढ़े।

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गाँव से जुड़ाव के बारे में दीक्षित बताते हैं, "मैं गाँव का हूं और थोड़ा सा गाँव अपने साथ यहां लाया हूं। जब शहर में किसी के साथ बैठना होता है तो गाँव की ही बात करता हूं। आज भारत के जितने भी शहर दिखाई देते है जैसे लखनऊ, कानपुर ये सब पहले गाँव ही थे।"

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के रहने वाले हृदय नारायण दीक्षित का जन्म 18 मई 1946 को हुआ था। एक स्तंभकार के रूप में इनकी खासी पहचान है। पत्रकार, लेखक और संविधान के जानकार हृदय नारायण दीक्षित पांचवीं बार विधायक चुने गये हैं। वह प्रदेश के पंचायती राज तथा संसदीय कार्य मंत्री रह चुके हैं। वह विधान परिषद में बीजेपी के नेता भी रह चुके हैं।

गांव कनेक्शन की टीम के साथ।

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