ब्रांडेड दवाओं से कहीं सस्ती है जेनेरिक दवाएं

Deepanshu MishraDeepanshu Mishra   24 April 2017 1:50 PM GMT

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ब्रांडेड दवाओं से कहीं सस्ती है जेनेरिक दवाएंअब डॉक्टर मरीजों को सस्ती जेनेरिक दवाएं ही लिखेंगे।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। अब मरीजों को इलाज के लिए ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना होगा। अब डॉक्टर मरीजों को सस्ती जेनेरिक दवाएं ही लिखेंगे।

इस संबंध में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने डॉक्टरों को आगाह किया है, जिसके तहत चिकित्सकों को उपचार के लिए महंगी ब्रांडेड दवाओं की जगह जेनेरिक दवाएं (जो मूल दवा है और सस्ती होती है) ही लिखनी होंगी। बेहद महंगी दरों पर मिलने वाली ब्रांडेड दवाएं मरीजों और उनके तीमारदारों की जेब पर इतनी भारी पड़ती हैं कि अधिकांश तो पर्याप्त मात्रा में दवाएं खरीद भी नहीं पाते।

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लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जीएस बाजपेई इस बारे में बताते हैं, ‘’ मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर हमें निर्देश प्राप्त हुए हैं, इसमें डॉक्टरों को मरीजों को ब्रांडेड दवाओं लिखने की बजाए जेनेरिक दवाओं से इलाज के लिए कहा गया है।” उन्होंने आगे बताया कि जेनेरिक दवाइयां और ब्रांडेड दवाइयां दोनों एक जैसे ही काम करती हैं।

लोग ऐसी गलत धारणा बनाए हुए हैं कि सस्ती दवाई फायदा कम करती है। लोगों को ज्यादा से ज्यादा जेनरिक दवाई को प्रयोग में लाना चाहिए।’’ जेनेरिक दवा या ‘इंटरनेशनल नॉन प्रॉपराइटी नेम मेडिसिन’ उनको कहते हैं, जिनकी कंपोजिशन ओरिजिनल दवाओं के समान होती है। साथ ही ये दवाएं विश्व स्वास्थ्य संगठन की ‘एसेंशियल ड्रग’ लिस्ट के मानदंडों के अनुरूप होती हैं।

उदाहरण के तौर पर, ब्रांडेड दवाई की 14 गोलियों का एक पत्ता 786 रुपए का है। मतलब एक गोली की कीमत लगभग 55 रुपए हुई, जबकि इसी साल्ट की जेनेरिक दवा की 10 गोलियों का पत्ता सिर्फ 59 रुपए में ही मिलती हैं। जेनेरिक और ब्रांडेड दवाइयों की कीमत में काफी अंतर होता है। लोग जेनेरिक दवाइयों को असरदार न मानकर उसकी खरीदी नहीं करते।

रुपयों में 500 गुना का अंतर

गंभीर रोगों की दवाइयों में ज्यादा अंतर पेट से जुड़ी बीमारियों, किडनी, यूरीन, बर्न, दिल संबंधी रोग, न्योरोलॉजी, डायबिटीज जैसी बीमारियों की ब्रांडेड और जेनेरिक दवा की कीमत में कई बार 500 गुना तक का अंतर देखने को मिलता है। उदाहरण के तौर पर मिर्गी रोग की एक कंपनी की दवा 75 रुपए में आती है।

जबकि उसी कंपनी की जेनेरिक दवा महज पांच रुपए में भी उपलब्ध है। मसलन, लीवर और किडनी के कैंसर के लिए एक बहुराष्ट्रीय कंपनी ‘सोराफेनिब टोसायलेट’ नामक दवा बनाती है। जिसकी एक महीने की डोज की कीमत 2,80,428 रुपये है। इसी दवा की जेनेरिक मेडिसिन का लाइसेंस हैदराबाद की एक कंपनी को मिला। उस कंपनी से तैयार की गई दवा की डोज की कीमत 8,800 रुपए है।

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