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बाराबंकी में घाघरा नदी मचा रही तबाही, बाढ़ क्षेत्र में सात ग्रामीणों की डूबने से मौत

uttar pradesh

सतीश कुमार कश्यप

बाराबंकी। नेपाली नदियों के लाखों क्यूसेक पानी घाघरा नदी में छोड़े जाने के बाद घाघरा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, विनाशकारी घाघरा इस समय खतरे के लाल निशान से 1 मीटर 30 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीणों ने बंधे पर अपना आशियाना बनाना शुरू कर दिया है, लेकिन फिर भी अचानक बढ़े जलस्तर से दर्ज़ानों गाँव के ग्रामीणों ने तटबन्ध पर अपना आशियाना बनाना शुरू कर दिया है।

तहसील सिरौली गौसपुर के अंतर्गत घाघरा की बाढ़ से प्रभावित गाँव गोबरहा, तेलिवारी और सनावा के हालात तो बद से भी बदतर हो गए हैं इन गाँव के ग्रामीणों की गृहस्थी का सामान, फसलें, खाना बनाने का सामान सबकुछ घाघरा के आगोश में समा चुका है, क्या बुजुर्ग, क्या महिलाएं और क्या छोटे-छोटे बच्चे घाघरा का यह रौद्र रूप देखकर सभी सहमे हुए है।

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बाढ़ पीड़ित अवतार ने बताया कि यहां पर कोई अधिकारी देखने नहीं आया न ही तो लेखपाल आया। छत के ऊपर बैठकर खाना बनाना पड़ता है। बाढ़ पीड़ित शांति देवी ने बताया कि बाढ़ के कारण अनाज डूब गया हैंडपंप भी डूब गये जिसके कारण समस्या हो गई है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीणों के लिए सबसे बड़ी समस्या का कारण पानी का अभाव भी है। चारों तरफ पानी ही पानी होने से लोगों को वही दूषित बाढ़ के पानी को इस्तेमाल करना पड़ता है, उसी को वह पीते हैं नहाने व खाना बनाने के लिए इस्तेमाल करते हैं जिससे अकारण ही बाढ़ पीड़ित गंभीर रोगों से ग्रसित हो जाते हैं साथ ही साथ बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों की सबसे बड़ी दिक्कत यहां रहने वाले जानवर और सांप व कई जहरीले जानवर भी हैं जो रात के वक़्त कभी भी निकल पड़ते हैं। जिनकी वजह से ग्रामीणो में दहशत हैं।

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सरकारी अस्पताल जलमग्न हो जाने से डॉक्टर भी बंधे बैठकर दवाइयां बांटने को मज़बूर हैं। हालांकि अबतक पानी मे डूबकर सात लोगों की मौत हो चुकी है। जिला प्रशासन व राजस्व विभाग की टीमें राहत व बचाव कार्य मे लगी हुई हैं लेकिन अगर बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों की माने तो प्रशासनिक सहायता ऊंट के मुंह मे जीरे के समान हैं जो कि नाकाफी है।

जिलाधिकारी अखिलेश तिवारी ने बताया घाघरा नदी में पानी बढ़ता रहा था। गुरुवार शाम से ही पानी घटना कम हुआ है। सरसदी बांध के आगे कटान होने की वजह से बंधा लगभग 50 मीटर तक बह गया है। उसके सामने बांस गाँव व आस-पास के मजरे काफी हद तक डूब गये है। जिसकी वजह से ग्रामीणों को उचित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। इस दौरान एक व्यक्ति अपने मकान में ही छिपा रहा जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई। इसके अलावा जनपद में छह और मौतें हुई है। किलवारी गाँव में अगर कोई कर्मचारी नहीं गया है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई होगी।

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