बाल दिवस : जो लड़कियां चौका-बर्तन करती थीं, आज वो स्कूल में पढ़ती हैं, पढ़ाती हैं

Divendra SinghDivendra Singh   14 Nov 2018 7:09 AM GMT

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बाल दिवस : जो लड़कियां चौका-बर्तन करती थीं, आज वो स्कूल में पढ़ती हैं, पढ़ाती हैंयूं ज़िले के हार्यपुर में मीना मंच के बाल सद

बदायूं। लीलावती अब तक दर्जनों लड़कियों का स्कूल में एडमिशन करा चुकी हैं, जो पहले कभी स्कूल ही नहीं जाते थे। बदायूं ज़िले की लीलावती और उनके साथी गाँव में साफ सफाई, शिक्षा, जैसे मुद्दे पर लोगों को जागरूक करने जाते हैं।

'नहीं मानते हैं तो बार-बार जाते हैं'

मीना मंच की अध्यक्ष लीलावती।

मीना मंच की अध्यक्ष लीलावती बताती हैं, "अब तक मैं कई लोगों का नाम स्कूल में लिखा चुकी हूं, घर वाले शुरू में मना करते हैं, कि लड़की है पढ़ लिखकर क्या करेगी, लेकिन हम बार-बार जाते हैं, उन्हें मनाते हैं, कई मिन्नतों के बाद वो लड़की को पढ़ाने के लिए राजी होते हैं।" लीलावती आगे कहती हैं, "जो लड़कियां चौका-बर्तन करती थीं, आज वे स्कूल में पढ़ती हैं, पढ़ाती भी हैं।"

सिर्फ बच्चे ही नहीं, बड़ों को भी सिखाते हैं पढ़ना-लिखना

बदायूं ज़िले के 402 प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में यूनिसेफ की मुस्कान परियोजना चल रही है। योजना के तहत हर स्कूल में छात्र-छात्राएं मीना मंच के तहत काम करते हैं, ये बच्चे बच्चों के साथ ही बड़ों को भी पढ़ना-लिखना सिखाते हैं। बच्चों के हक के लिए काम करने वाली विश्वस्तरीय संस्था यूनिसेफ और गाँव कनेक्शन के साझा प्रयास से बाल दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश के छह जिलों में 14 से 20 नवंबर तक अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। इन कार्यक्रमों के बदायूं में मुलाकात हुई मीना मंच की अध्यक्षा लीलावती से।

छुट्टी वाले दिन भी स्कूल आ जाते हैं बच्चे

बदायूँ के ही पूर्व माध्यमिक विद्यालय, गोठा में 138 बच्चों में से पिछले दो महीने 20 दिन से एक बच्चा अनुपस्थित नहीं हुआ है। यहां के सहायक अध्यापक डॉ मनोज कुमार वाष्ण्रेय बताते हैं, "मीना मंच से जुड़ने के बाद बच्चों में अपने आप जागरूकता आ जाती है, आज हर दिन बच्चे स्कूल आते हैं, यहां तक कि छुट्टी वाले दिन भी आ जाते हैं।"

गुल्लक में जमा करते हैं पैसे

इस विद्यालय में बच्चों को प्रोजेक्टर के माध्यम से स्मार्ट क्लास में पढ़ाया जाता है, विद्यालय प्रबंध समिति और गाँव वालों के सहयोग से विद्यालय में कम्प्यूटर, सीसीटीवी जैसी सुविधाएं हैं। बच्चे मीना गुल्लक की मदद से बचत करना भी सीखते हैं, मंच की कोषाध्यक्ष भावना ने बताया, "हम बच्चे इस गुल्लक में पैसे जमाकर बचत करना सीखते हैं और उन्हीं पैसे से कई कार्यक्रम भी करते रहते हैं।"

कई बच्चों को किया गया है सम्मानित

यहां के कई बच्चों को राज्यस्तर पर सम्मानित भी किया गया है। मीना मंच के सक्रिय सदस्य सोनू आठवीं में पढ़ते हैं, उन्हें उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने लखनऊ में सम्मानित किया है। सोनू यहां से जाने के बाद अपने स्कूल के बच्चों को इकठ्ठा करके उन्हें पढ़ाते हैं और छोटे बच्चों को होमवर्क में भी मदद करते हैं। वहीं रेशु (12 वर्ष) ने अब तक अपनी दो चाचियों और मम्मी को भी लिखना सिखा दिया है, जिससे अब वो भी बैंक में जाकर अब अंगूठा नहीं सिग्नेचर करती हैं। इन सब में इन बच्चों के साथ उनके शिक्षक भी मदद करते हैं, कई बार बच्चों के अभिभावक इन्हें बच्चा समझकर लौटा देते हैं, तब शिक्षक उन्हें समझाते हैं कि मीना मंच के बच्चे क्या करते हैं।

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