गोरखपुर (भाषा)। गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में पिछली 10 और 11 अगस्त को संदिग्ध हालात में बड़ी संख्या में हुई बच्चों की मौत के मामले में पूर्व प्राचार्य समेत नौ आरोपियों के खिलाफ लखनऊ में दर्ज प्राथमिकी की जांच गोरखपुर में होगी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सत्यार्थ अनिरद्ध पंकज ने आज यहां बताया कि मेडिकल कॉलेज की घटना के सिलसिले में बुधवार रात लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में दर्ज मुकदमे की जांच गोरखपुर स्थानान्तरित होगी।
उन्होंने बताया कि रिपोर्ट प्राप्त होते ही गुलरिहा थाने में मुकदमा दर्ज किया जाएगा। मालूम हो कि चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक केके गुप्ता की तहरीर पर गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉक्टर आरके मिश्रा, इंसेफेलाइटिस वार्ड के नोडल अफसर डॉक्टर कफील खान, मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्तिकर्ता कंपनी पुष्पा सेल्स समेत नौ लोगों के खिलाफ धारा 120 बी (साजिश रचने), 308 (गैर इरादतन हत्या) तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की सम्बन्धित धारा के तहत परसों रात हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया था।
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पिछली 10-11 अगस्त की रात को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में संदिग्ध हालात में कम से कम 30 बच्चों की मौत हो गयी थी। घटना की जांच के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 अगस्त को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी।
समिति ने 20 अगस्त को सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रधानाचार्य डॉक्टर राजीव मिश्रा, ऑक्सीजन प्रभारी एनेस्थिसिया बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर सतीश तथा एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम बोर्ड के तत्कालीन नोडल अधिकारी डॉक्टर कफील खान तथा मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले कंपनी पुष्पा सेल्स के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की सिफारिश की थी।
इसके अलावा समिति ने डॉक्टर राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी डॉक्टर पूर्णिमा शुक्ला, मेडिकल कॉलेज के लेखा विभाग के कर्मचारियों तथा चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम के तहत कार्यवाही की संस्तुति की है।
समिति ने गैर-जिम्मेदाराना आचरण, कर्तव्यहीनता और कर्मचारी आचरण नियमावली के प्रतिकूल रवैया अपनाने के लिए डॉक्टर राजीव मिश्रा, डॉक्टर सतीश, डॉक्टर कफील खान, गजानन जायसवाल एवं सहायक लेखाकार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की सिफारिश भी की है।
इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में औषधि तथा रसायनों की आपूर्ति की पिछले तीन वर्षों की कैग से विशेष ऑडिट करवाने तथा डॉक्टर कफील खान द्वारा गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के समक्ष तथ्यों को छुपा कर शपथ पत्र दाखिल करने और इंडियन मेडिकल काउंसिल के नियमों के विपरीत काम करने के लिए आपराधिक कार्यवाही किए जाने की सिफारिश भी की गई है।