10 साल से मुआवजे के इंतज़ार में बुन्देलखण्ड के सैकड़ों किसान

Basant KumarBasant Kumar   13 April 2017 4:28 PM GMT

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10 साल से मुआवजे के इंतज़ार में बुन्देलखण्ड के सैकड़ों किसानकचनौदा बांध

लखनऊ। कई वर्षों से सूखे की मार झेल रहे बुन्देलखण्ड के किसानों को राहत तोनहीं मिल रही है लेकिन उनकी मुसीबतों में इजाफा ज़रूर हो रहा है। सरकारी लापरवाही की वजह से किसानों की जिंदगी बदरंग होती जा रही है।

बुन्देलखण्ड के ललितपुर जिले में बने कचनौदा बांध परियोजना के अंतर्गत जिन किसानों की जमीनें ली गई थी, उसमें से आधे लोगों को ही अब तक सरकारी मुआवजा मिल पाया है। आधे से ज्यादा किसान अपनी जमीन की कीमत मांगने के लिए सरकारी दफ्तरों और नेताओं के यहां चक्कर लगा रहे हैं।

कचनौदा बांध परियोजना की शुरुआत 2007 में मायावती सरकार के समय हुआ था। अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री बनने के बाद काम को बहुत तेजी से किया और 2015 में तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव ने इस बांध का लोकार्पण कर दिया।

स्थानीय किसान रामकिशोर तिवारी बताते हैं कि बांध का लोकार्पण करके आंशिक रूप से भरकर सरकार ने वाहवाही लूटी लेकिन भराव क्षेत्र में आ रही 5500 एकड़ भूमि के मालिकों में लगभग आधी भूमि का मुआवजा अभी तक नहीं बंटा है। रामकिशोर तिवारी का भी 30 एकड़ जमीन बांध के अंतर्गत आया है।

किसान रामकिशोर तिवारी

स्थानीय निवासी किसान विजेंद्र कुमार बताते हैं, "बांध का निर्माण सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से हम लोगों की सहमति से हुआ था, लेकिन किसानों को इससे फायदा नहीं मिल रहा है। कचनौदा बांध परियोजना से चार किलोमीटर नीचे तिग्लौवा पॉवर प्लांट बना हुआ है। बांध का पानी इसी पॉवर प्लांट को बिजली पैदा करने के लिए दिया जा रहा है। नदी में पानी नहीं है और बांध का पानी बिजली पैदा करने के लिए हो रहा है।"

सजनाम नदी पर बने इस बांध से सात गाँव के 300 परिवारों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। गाँव के जिन आधे लोगों को मुआवजा मिल गया वो तो गाँव से बाहर चले गए, लेकिन जिन्हें नहीं मिला वो आज भी गाँव में रहने को मजबूर है। सरकार ने एक-एक प्लाट देने का वादा किया है, लेकिन इसके लिए गाँव छोड़ना होगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने पहुंचे किसान

मुआवजा नहीं मिलने के कारण परेशान जनक कुमार अपने किसान साथियों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुआवजे की मांग करने आए थे। जनक कुमार बताते हैं कि हमारी ज़मीन चली गयी। हमारे पास खेती करने के लिए जमीन नहीं है। हम भूखे मरने की कगार पर है, लेकिन सरकार हमें हमारी जमीन का मुआवजा तक नहीं दे रही है।

सिंचाई विभाग से जुड़े एक वरिष्ट अधिकारी नाम न बताने की शर्त पर बताते हैं, "अक्तूबर 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने किसान आए थे और मुख्यमंत्री के निर्देश पर हमने प्रमुख अभियंता और विभागाध्यक्ष से इस मामले में जवाब माँगा था लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। हम दोबारा उन्हें इस मामले को लेकर जवाब की मांग करेंगे और अगर इसमें जो भी अधिकारी दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी।"

किसी भी परियोजना की शुरुआत बिना पूरी तरह मुआवजा दिए नहीं किया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ है तो अनैतिक है। जांच करके जिम्मेदार अधिकारीयों पर कार्रवाई की जाएगी।”
वरिष्ट अधिकारी, सिंचाई विभाग


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उम्मीद


स्थानीय निवासी फूलचन्द्र बताते हैं कि हम अखिलेश यादव से भी मिलने आए उन्होंने भरोसा भी दिलाया लेकिन हमें कोई फायदा नहीं हुआ। अब हमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उम्मीद है कि वो हमें मुआवजा दिलाएंगे। हम किसानों की जमीनें ले ली गई अब हमारे पास जीने के लिए पैसे के ज़रूरत है। सरकार को हमें मुआवजा जल्दी देनी चाहिए। अगर सरकार ने जल्दी मुआवजा नहीं दिया तो हम अनशन करेंगे।

जनपद जिले में सैकड़ों बांध लेकिन पानी को तरस रहे किसान

ललितपुर जनपद में गोविंद सागर बांध, माताटीला बांध, राजघाट बांध, जामनी बांध, रोहिणी बांध, लोअर रोहिणी बांध, सजनाम बांध,उटारी बांध, कचनौंदा बांध, शहजाद बांध हैं। भावनी बांध व जमड़ार बांध पर काम चल रहा है, जबकि भौंरट बांध के लिए पुनरीक्षित परियोजना की स्वीकृति अखिलेश सरकार से मिल चुकी है। बालाबेहट में रबर बांध प्रस्तावित है।

इतने बांध बनने के बावजूद भी किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है। स्थानीय निवासी बताते है कि सिंचाई के लिए जो नहरें बनी है उसमें पानी नहीं है। अगर नहर 40 किलोमीटर लम्बी है तो उसमें 20 किलोमीटर तक ही पानी पहुंच पाता है। हमें खेती के लिए जमीन से पानी निकलना पड़ रहा है। यहां भूजल स्तर बहुत नीचे है।

              

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