उत्तर प्रदेश में जीपीएस से होगी जमीनों के संरक्षण की निगरानी

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उत्तर प्रदेश में जीपीएस से होगी जमीनों के संरक्षण की निगरानीभूमि संरक्षण अधिकारियों पर नजर रखने की पहल।

लखनऊ। खेती-किसानी से जुड़ी जमीनों के संरक्षण में अब लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रदेश में भूमि संरक्षण के लिए काम करने वाली सभी 100 भूमि संरक्षण इकाईयों को जीपीएस से लैस किया जाएगा। यह आदेश प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने दी है। उन्होंने कहा कि भूमि संरक्षण के कामों में काफी कमियां पाई जा रही हैं। इस काम में जो दोषी हैं उसके विरुद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी। कृषि मंत्री ने कहा कि भूमि संरक्षण अधिकारी अपने दायित्वों का ठीक ढंग से निर्वहन नहीं कर रहे हैं इसलिए उनके कार्यों की निगरानी की जाए।

इस बैठक में कृषि विभाग के सचिव रजनीश गुप्ता ने बताया कि भूमि संरक्षण इकाइयों को जीपीएस से जोड़ा जा रहा है, जिससे कहीं भी बैठे फील्ड में उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों को देखा जा सकता है। इसमें भारत सरकार भी 60 प्रतिशत धनराशि का सहयोग दे रही है। यह लागू होने से भूमि संरक्षण कार्यों में जो अनियमितता हो रही है और इस पर रोक लगेगी।

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कृषि मंत्री ने कृषि विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर रोक लगाने और लम्बित मामलों की जांचों को जल्द से जल्द करने का आदेश दिया है। कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि विभाग के जांचों को पूरा होने पर 15 वर्ष तक लगा देते हैं और गंभीर आरोप होने पर भी भ्रष्टाचारी अधिकारी को जांच अधिकारी क्लीन चिट दे देते हैं। उन्होंने कहा कि सभी जांच अधिकारियों को निर्देश दिय कि वह मामलों की को पूरा करके जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट उपलब्ध कराएं। देरी से रिपोर्ट देने वाले अधिकारी को चिन्हित करके उन्हें चार्जशीट दी जाए।

कृषि मंत्री शुक्रवार को सचिवालय मुख्य भवन स्थित अपने कार्यालय में कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसानों को बर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश के 65 जिलों में भूमि सेना कार्य कर रही है, इनके कार्यों को भी प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, जिससे किसानों को इनके कार्यों से लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि विभागीय बजट लैप्स होने पर सम्बन्धित अधिकारी की जिम्मेदारी निर्धारित किया जाए बजट लैप्स होने पर भारत सरकार की ओर से अपत्ति की गई है। उन्होंने कहा कि आत्मा योजना में पिछले वर्ष 189 करोड़ रुपए भारत सरकार से मिले हैं, लेकिन वह पैसा शत-प्रतिशत खर्च नहीं हो पाया है। इसलिए इस योजना का समुचित लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है।

कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों हेतु लागू फसली ऋण बीमा योजना को भी प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। ऐसा प्रयास होना चाहिए कि कृषि उत्पादों के उत्पादन बढ़े और किसान कृषि क्षेत्रों का विस्तार करें। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग के कार्यालय भवनों की स्थिति बहुत खराब है। इसलिए भवनों के मरम्मत और उनकी रंगाई-पोताई पर विशेष ध्यान दिया जाएख् इसके साथ ही नये भवनों के निर्माण में गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए।

इस बैठक में प्रमुख सचिव कृषि रजनीश गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में 22 हजार सोलर पम्प लगाने के लिए भारत सरकार से मांग की गई है। इसके लिए 200 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि भूमि संरक्षण इकाईयों को जी.पी.एस. से जोड़ा जा रहा है, जिससे कहीं भी बैठे फील्ड में उनके तरफ से किए जा रहे कार्यों को देखा जा सकता है। इसमें भारत सरकार भी 60 प्रतिशत धनराशि का सहयोग दे रही है। यह लागू होने से भूमि संरक्षण कार्यों में जो अनियमितता हो रही है और इस पर रोक लगेगी।

उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड पैकेज में कृषि विभाग को 38 करोड़ रुपएण् भारत सरकार से प्राप्त हो गये हैं, इसमें 40 प्रतिशत सब्सिडी किसानों को दी जाएगी। इस अवसर पर कृषि निदेशक ज्ञान सिंह सहित कृषि विभाग के अपर निदेशक, संयुक्त निदेशक और उप-निदेशकों ने भाग लिया।

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