लखनऊ। बुलंदशहर में भीड़ हाथों हुई इंस्पेक्टर सुबोध कुमार राठौर की मौत ने बुलंदशहर से 28 किलोमीटर दूर ग्रेटर नोएडा के दादरी को चर्चा में ला दिया। दादरी के बिसाहड़ा गांव में गोमांश के शक में अखलाक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी।
28 सितंबर 2015 को हुए दादरी कांड के पहले जांचकर्ता सुबोध कुमार ही थे। बुलंदशहर में हुई हिंसा से पहले कोबरा पोस्ट ने एक स्टिंग भी किया था। कोबरापोस्ट के एक स्टिंग के अनुसार दादरी मामले में गाय का मांस बदलने का सुबोध पर दबाव भी पड़ा था, जब वो झुके नहीं तो, इसके बाद उनका तबादला वाराणसी कर दिया गया। कोबरापोस्ट के स्टिंग में सुबोध कुमार बता रहे हैं कि, “समाजवादी पार्टी की सरकार थी, वो मुझ पर और डॉक्टर पर दबाव डाल रही थी कि मीट बदल दिया जाए।”
सुबोध कुमार राठौर ने न सिर्फ सामप्रदायिक सद्भाव कायम किया था, बल्कि इस हत्या में शामिल 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर केस को परिणाम तक पहुंचाने का भी प्रयास किया था। आगे चलकर कुल 18 अभियुक्त इस हत्याकाण्ड में नामजद हुए थे।
कोबरा पोस्ट के स्टिंग में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार और उसके वरिष्टतम अधिकारियों ने केस की दिशा मोड़ने के लिए उन पर दबाव डाला था। जब उन्होने बात न मानी तो उनका तबादला कर दिया गया। सुबोध कुमार ने कहा अगर हम मीट बदलते तो मुजरिम (आईपीसी की धारा 201-218 का उल्लंघन होता) हम बन जाते इसलिए हमने कहा, हम ऐसा नहीं कर सकते। इसी वजह से हमारा ट्रांसफर भी करा दिया गया था।”
शहीद सुबोध के परिजन भी लगातार कहते रहे हैं कि दादरी मामले को लेकर उन पर दबाव था।
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यूपी में दंगों के मामले
वर्ष |
मामले |
2007-08 |
75 |
2008-09 |
101 |
2009-10 |
103 |
1010-11 |
124 |
2011-12 |
144 |
2012-13 |
212 |
2013-14 |
279 |
2014-15 |
332 |
(स्रोत: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो)
2015 तक यूपी के सात शहरों में दंगों के आंकड़े
- आगरा में 172 दंगे
- लखनऊ में 113 दंगे
- मेरठ में 112 दंगे
- कानपुर में 96 दंगे
- वाराणसी में 29 दंगे
- गाजियाबाद में 30 दंगे
(स्रोत: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, 2015)
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