लखनऊ में अब कैदियों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी पढ़ाएगा जेल प्रशासन
Abhishek Pandey 18 Sep 2017 8:52 PM GMT
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जेल प्रशासन ने कैदियों के अंदर अपराधिक सोच को बदलने के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी पढ़ाने का फैसला लिया है। इसके पीछे जेल प्रशासन का तर्क है कि, पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी पढ़ने के बाद अगर किसी कैदी के जीवन में बदलाव आए तो यह जेल प्रशासन के लिए एक बड़ी उपलब्धी होगी।
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जेल प्रशासन ने जेलों में बंद कैदियों को जीवनी पढ़ा सुधारने का उठाया बीड़ा
जेल अधीक्षक पीपी पाण्डेय ने बताया कि, जेलों में बंद कैदियों के लिए समय-समय पर कल्याणकारी योजनाएं चलाई जाती है। जिस क्रम में जेल प्रशासन ने कैदियों के अंदर बदलाव लाने के लिए सुबह के वक्त कैदियों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी पढ़ाने का निर्णय किया है। उन्होंने बताया कि, दीनदयाल उपाध्याय एक भारतीय विचारक, अर्थशाष्त्री, समाजशाष्त्री, इतिहासकार और पत्रकार भी थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन के दौरान भारत द्वारा पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता और पश्चिमी लोकतंत्र का आँख बंद कर समर्थन का विरोध किया था।
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उन्होंने लोकतंत्र की अवधारणा को सरलता से स्वीकार कर लिया, लेकिन पश्चिमी कुलीनतंत्र, शोषण और पूंजीवादी मानने से साफ इनकार कर दिया था। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपने जीवन में लोकतंत्र को शक्तिशाली बनाने और जनता की बातों को आगे रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इन बातों को ही ध्यान में रखते हुए कारागार में बंद कैदियों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी पढ़ाई जा रही है, जिससे वह जेल से सजा पूरी कर छुटने के बाद अपनी जीवन शैली बदल मुख्य धारा से जुड़े। साथ ही जेल अधीक्षक ने आगे कहा कि, कैदियों के लिए जेल में शिक्षा, नशा उन्मूलन, संस्कृतिक कार्यक्रम चलाया जाता है। इन कार्यक्रमों के चलते कैदियों के अंदर बदलाव तो आता ही साथ ही वह खुद को परिवार से दूर नहीं समझते हैं।
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