एक रजाई, चार छात्राएं कैसे दूर होगी ठंड, ऐसा है कस्तूरबा विद्यालयों का हाल

Karan Pal SinghKaran Pal Singh   1 Jan 2018 3:58 PM GMT

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एक रजाई, चार छात्राएं कैसे दूर होगी ठंड, ऐसा है कस्तूरबा विद्यालयों का हालसोनभद्र जिले के कस्तूरबा विद्यालय का हाल

अतिरिक्त सहयोग - अरविन्द्र सिंह परमार, भीम कुमार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में घने कोहरे के साथ कड़ाके की ठंड पड़ रही है। ठंड का आलम यह है कि जहां लोग रजाई से बाहर निकलने के लिए कई बार सोचते हैं वहीं प्रदेश के कई जिलों में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में छात्राएं बिना रजाई और गद्दे के रात काट रही हैं। कहीं-कहीं तो एक रजाई में तीन से चार छात्राएं ओढ़कर काम चला रही हैं।

आगरा जिले के 13 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में से प्रत्येक में सौ छात्राओं का पंजीकरण है। छात्राओं को विद्यालय में पढ़ाई के साथ-साथ सरकार की तरफ से रहना, भोजन, कपड़े और अन्य सुविधाएं मिलती हैं। इस बार रजाई-गद्दों की आपूर्ति में विभाग ने आला दर्जे की लापरवाही बरती है। जिला कॉर्डिनेटर कुलदीप तिवारी ने बताया, "कस्तूरबा गांधी विद्यालय में छात्राओं को ठंड से बचाव के लिए टेंडर हो गया है, फाइल डीएम कार्यालय में लटकी है। फाइल वहां से लौटाने के बाद रजाई-गद्दों समेत आठ उत्पादों की आपूर्ति शुरू हो जाएगी।"

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आगरा में कस्तूरबा गांधी विद्यालय में कक्षा सात में पढ़ने वाली रीना कुमारी बताती हैं, "शाम को पढ़ाई करके खाना खाने के बाद कुछ देर आग जला कर तापते हैं फिर हम लोग अपने-अपने बिस्तर पर जाते हैं। गर्मी में हम लोग अलग-अलग बेड पर अकेले-अकेले सोते थे, लेकिन ठंड के समय इस बार हम लोगों के पास बिस्तर कम है इसलिए हम लोगों ने अपने-अपने बेड एक में सटा लिए हैं। एक रजाई और एक कंबल में हम तीन से चार छात्राएं सोते हैं। जैसे-तैसे हम लोग रात काटते हैं। टीचर से बोला तो उन्होंने कहा कि हम लोगों ने ऊपर अधिकारियों को बोल दिया है जल्द से जल्द रजाई आ जाएगी।"

रजाई की जगह कंबल

देश में कक्षा छह से आठ तक छात्राओं को नि:शुल्क शिक्षा के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय खोले गए। अभी देश के कई राज्यों में 3,703 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय हैं। केंद्र सरकार ने 2017-18 में 94 और नए कस्तूरबा विद्यालय बनाने की मंजूरी दी है।

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वहीं सोनभद्र के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय दुद्धी की कक्षा आठ में पढ़ने वाली छात्रा सुमन कुमारी बताती है, "यहां पर ठंड बहुत पड़ रही है। अभी तक हम लोगों को रजाई और गद्दे नहीं मिले हैं। हमारी टीचर ने हमें कंबल दिया है।"

कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय दुद्धी की प्रधानाध्यापिका वंदना बताती हैं, "विद्यालय में जिला स्तर से ही जरूरत का सभी सामान आता है। किसी भी चीज की जब कमी महसूस होती है तो तत्काल संबंधित अधिकारी से मांग कर पूरा किया जाता है। अभी इस बार छात्राओं को ठंड से बचने के लिए जिलास्तर से रजाई और गद्दे नहीं आए हैं। बच्चियों को ठंड से बचाने के लिए दो-दो कंबल दिए गए हैं। अधिकारियों से मांग की गई है जल्द से जल्द रजाई भी उपलब्ध हो जाएंगे।"

सोनभद्र का कस्तूरबा विद्यालय

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ललितपुर जनपद से 40 किमी ब्लाँक महरौनी के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में 99 छात्राएं पंजीकृत हैं, इनके लिए 75 बेड हैं। जिसमें कुछ खराब हैं। वर्तमान में 88 बच्चियां उपस्थित हैं। छात्राओं की संख्या के अनुपात में रजाई और कंबल भी नहीं हैं। तीन पार्ट टाइम, चार फुल टाइम टीचर व दो रसोईयों का स्टाफ हैं।

निधि दुबे फुल टायम टीचर कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय महरौनी बताती हैं, "दो साल पहले 50 रजाई, व 50 गद्दा और 100 तकिया आई थी। 75 बैड हैं, कुछ खराब हो चुके हैं। जो रजाई, गद्दे हैं बच्चियां उसी का प्रयोग करती हैं। अधिकारियों को यहां की स्थिति के बारे में बता दिया गया लेकिन अभी तक कोई बजट या रजाई गद्दे नहीं आऐ हैं।"

ललितपुर कस्तूरबा विद्यालय

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आवासीय विद्यालय में कक्षा आठ में पढ़ने वाली चाँदनी प्रजापति (14 वर्ष) पतली रजाई दिखाते हुए बताती हैं "रजाई पतली हैं उसमें रूई (पाला) नहीं हैं, ठंड भी लगती हैं। इन्ही पतली रजाईयों में एक साथ दो सहेलियां सोती हैं।" पास में खड़ी कक्षा आठ की छात्रा रागनी अहिरवार (14 वर्ष) बताती हैं, "ठंड से बचने के लिए बेडों को एक साथ लगा लेते हैं, उन्ही पतली रजाईयों को ओढ़ते हैं, थोड़ी बहुत ठंड तो लगती हैं।"

सोनभद्र के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. गोरखनाथ पटेल बताते हैं, "जिले में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में छात्राओं को ठंड से बचाने के लिए स्वेटर व रजाई के लिए टेंडर प्रक्रिया हो गई है। जल्द ही विद्यालयों में रजाई और स्वेटर पहुंचवा दिए जाएंगे।"

प्रति छात्रा 44 हजार सालाना खर्च करती सरकार

कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं पर सरकार प्रति विद्यालय 44 लाख रुपये खर्च करती है। इस तरह विद्यालय में पढ़ने वाली 100 छात्राओं पर प्रति बालिका करीब 44 हजार रुपये का सालाना खर्च आता है। बेटियों के खाने लिए प्रति छात्रा 50 रुपये तथा अन्य खर्च के लिए प्रति वर्ष करीब 7500 रुपया मिलता है।

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