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मौसम के बदले रुख को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दिए कई सुझाव

प्रदेश में मौसम के हिसाब से किसान बेहतर उत्पादन के लिए अगले सप्ताह कृषि प्रबन्धन के लिए ये उपाय अपना सकते हैं

लखनऊ। मौसम आधारित राज्य स्तरीय कृषि परामर्श समूह ( क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप) की सातवीं बैठक उपकार सभाकक्ष में आयोजित की गई। जिसमें मौसम को देखते हुए बेहतर कृषि प्रबन्धन के लिए किसानों को कुछ बातों को ध्यान देने की बात कही गई। बैठक में मौसम पूर्वानुमान एवं उपग्रह से प्राप्त चित्रों के विश्लेषण के अनुसार प्रदेश के लगभग सभी जनपदों में 12 एवं 13 जुलाई में मध्यम से घने बादल तथा सप्ताह के अन्तिम चार दिनों में हल्के से मध्यम बादल छाये रहने की आशंका जताई जा रही है। प्रदेश के कई कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने बैठक में मौसम आधारित राज्य स्तरीय कृषि परामर्श समूह की बैठक में बताया कि किसान कैसे इस हफ्ते फसलों की सुरक्षा कर सकते हैं। प्रदेश में मौसम के हिसाब से किसान अगले सप्ताह कृषि प्रबन्धन के लिए ये उपाय अपना सकते हैं।

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अब तक सामान्य वर्षा 40.3 प्रतिशत रही

1 जून से 10 जुलाई तक जनपदवार मानसून की प्रदेश की औसत वर्षा 185.6 मिमी के सापेक्ष 74.8 मिमी. प्राप्त हुई है जो सामान्य वर्षा की 40.3 प्रतिशत है। जबकि पिछले साल इस समय तक 102.2 मिमी. प्राप्त हो चुकी थी जो सामान्य वर्षा की 53.7 प्रतिशत थी। प्रदेश के 75 जनपदों में मात्र तीन जनपदों (श्रावस्ती, खीरी, मथुरा) में सामान्य से अधिक वर्षा (120 प्रतिशत से अधिक) छः जनपदों में सामान्य (80 से 120 प्रतिशत के मध्य), 3 जनपदों में न्यून वर्षा, 10 जनपदों में अतिन्यून वर्षा एवं 53 जनपदों में अत्यन्त न्यून (सामान्य वर्षा की 40 प्रतिशत से कम वर्षा) प्राप्त हुई है। सबसे अधिक वर्षा जनपद श्रावस्ती में प्राप्त हुई जो सामान्य की 264.0 प्रतिशत है और सबसे कम वर्षा जनपद चन्दौली (सामान्य वर्षा 186.7 मिमी. के सापेक्ष मात्र 2.0 मिमी.) में प्राप्त हुई।

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10 जुलाई 26.84 लाख हेक्टयर की बुआई की गई

कृषि विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार कुल खरीफ फसलों के लिये निर्धारित लक्ष्य 94.25 लाख हेक्टेयर के सापेक्ष में 10 जुलाई 26.84 लाख हेक्टयर की बुआई की जा चुकी है। जो लक्ष्य का मात्र 28.48 प्रतिशत है। धान के लक्ष्य 59.89 लाख हेक्टयर के सापेक्ष 17.30 लाख हेक्टयर में पूर्ति की जा चुकी है जो लक्ष्य का मात्र 28.9 प्रतिशत है। प्रदेश में मौसम के वर्तमान परिपे्रक्ष्य में किसानों को अगले सप्ताह कृषि प्रबन्धन के लिए निम्नलिखित सुझाव दिये गए-

– धान की तैयार पौध की रोपाई जहां तक संभव हो ट्राईकोडर्मा से उपचारित करके ही करें।

– तना बेधक का प्रकोप होने पर पौध की चोटी काट दी जाए इससे तना बेधक व हिस्पा कीट का प्रकोप कम होगा।

– वर्षा कम होने की दशा में मक्का, ज्वार बाजरा में तना मक्खी व दीमक का प्रकोप होने की संभावना रहती है अतः फसल में नमी बनायें रखे।

– अरहर, मूंगफली एवं तिल की बुआई प्राथमिकता के आधार पर करें।

– जिन क्षेत्रों में वर्षा कम हुई है वहां रोपित धान में एक सप्ताह के अन्तराल पर ही जीवन रक्षक सिंचाई करें।

– सकरी एवं चैड़ी पत्ती दोनों प्रकार के खरपतवारों के नियंत्रण हेतु रोपाई के 20-25 दिन बाद नमी की स्थिति में बिसपाइरीबैक सोडियम 10 प्रतिशत एस.सी. 0.20 ली./हेक्टेयर 500 ली. पानी में घोलकर छिड़काव करें।

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मक्का की खेती

मक्का में खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजीन 2 किग्रा/हेक्टेयर की दर से बुआई के 2 दिन के अन्दर 800 लीटर/हेक्टेयर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। यदि मक्के के बाद आलू की फसल ली जानी है तो एट्राजीन के स्थान पर एलाक्लोर 50 ईसी 5 लीटर/ हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें।

अरहर की खेती

अरहर की अधिक उपज हेतु उन्नत देर से पकने वाली प्रजातियों यथा मालवीय चमत्कार, नरेन्द्र अरहर-2, बहार, अमर, नरेन्द्र अरहर-1, आजाद, पूसा-9 तथा मालवीय विकास (एम.ए.6) की बुआई करें। खरपतवार नियंत्रण हेतु पेंडीमेथलीन 3.3 ली. प्रति हे. की दर से पानी में मिलाकर बुआई के तुरंत बाद छिड़काव करें।

गन्ना की खेती

गन्ना बेधक कीट जैसे तना बेधक व पोरी बेधक के नियंत्रण हेतु अन्ड परजीवी ट्राइकोग्रामा कीलोनिस के 50 हजार वयस्क कीट प्रति हे. 10 दिनों के अन्तराल पर जुलाई से सितम्बर तक पत्तियों में बांधें। वर्तमान मौसम पायरीला के प्रकोप के लिए अनुकूल है अतः प्रकोप होने पर होने पर तथा परजीवी (इपीरिकेनिया मेलानोल्यूका) न पाये जाने की स्थिति में क्वीनालफास 25 प्रतिशत घोल 0.80 ली. प्रति हे. 625 ली. पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

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सब्जियों की खेती

बैंगन, अगेती फूलगोभी व मिर्च की तैयार पौध की मेड़ों पर रोपाई करें। सब्जियों यथा भिण्डी, ग्वार, लोबिया लौकी, तोरी, खीरा, सीताफल, करेला व टिण्डा की बुआई मेढ़ों पर करें। गोल बैंगन, मध्यम अवधि की फूलगोभी तथा शिमला मिर्च की अगस्त माह में रोपाई हेतु बीज की बुआई उठी हुई क्यारियों तथा लो टनल में करें।

पशुपालन

प्रदेश के सभी ब्लाक में पशु आरोग्य मेला का आयोजन किया जा रहा है। अतः मेले में जाकर पशुपालक अपने पशुओं का निःशुल्क इलाज करायें। बड़े पशुओं में गलाघोंटू बीमारी की रोकथाम हेतु एचएस से तथा लंगड़िया बुखार की रोकथाम हेतु बीक्यू वैक्सीन व भेड़ तथा बकरियों में ईटी. वैक्सीन से टीकाकरण करायें। यह सुविधा सभी पशु चिकित्सालय पर निःशुल्क उपलब्ध है।

मत्स्य पालन

निजी क्षेत्र की अधिकांश हैचरियों पर तथा यूपी मत्स्य विकास निगम की हैचरियों पर से मत्स्य बीज मत्स्य बीज उपलब्ध है। यूपी मत्स्य विकास निगम की हैचरियों से 11 जुलाई से मत्स्य बीज का वितरण कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। इच्छुक मत्स्य पालक अपने तालाबों में मत्स्य बीज का संचय करायें।

बैठक में कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर के मौसम वैज्ञानिक व पूर्व मौसम वैज्ञानिक, कीट वैज्ञानिक, कृषि विश्वविद्यालय, फैजाबाद के मौसम वैज्ञानिक व पादप रोग वैज्ञानिक, आईआईएसआर लखनऊ के मौसम वैज्ञानिक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, कृषि विभाग, पशुपालन विभाग, मत्स्य विभाग, उद्यान विभाग एवं परिषद के अधिकारियों/वैज्ञानिकों ने भाग लिया। 

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