यूपीकोका बिल उत्तर प्रदेश विधानसभा में पेश  

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   20 Dec 2017 2:54 PM GMT

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यूपीकोका बिल उत्तर प्रदेश विधानसभा में पेश  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी।

लखनऊ (भाषा)। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में गैंगस्टर, माफियाओं और संगठित अपराध पर नकेल कसने के मकसद से आज विधानसभा में उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2017 (यूपीकोका) पेश किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रश्नकाल के तुरंत बाद सदन में विधेयक पेश किया। राज्य मंत्रिपरिषद ने हाल ही में विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी थी।

यूपीकोका के विधेयक का प्रारुप महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून-1999 (मकोका) का गहन अध्ययन करके तैयार किया गया है।

राज्य सरकार के प्रवक्ता कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा ने पिछले सप्ताह राज्य कैबिनेट की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा था, प्रदेश में कानून का राज कायम करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है., इसके लिए जरुरी है कि प्रदेश में गुंडागर्दी, माफियागिरी और समाज में अशांति फैलाने वाले तत्वों को चिह्नित कर उनके खिलाफ विशेष अभियान के तहत कठोर कार्रवाई हो। यूपीकोका को इसी मकसद से लाया जा रहा है।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती सहित विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि राजनीतिक बदले की भावना से इस विधेयक का दुरुपयोग हो सकता है। उन्होंने आशंका जताई कि इस विधेयक का दुरुपयोग अल्पसंख्यकों, गरीबों और समाज के दबे कुचले लोगों के खिलाफ हो सकता है।

श्रीकांत शर्मा ने बताया कि उच्च न्यायालय में संगठित अपराधियों, माफियाओं और अन्य सफेदपोश अपराधियों की गतिविधियों पर नियंत्रण के सम्बन्ध में दायर याचिका पर 12 जुलाई 2006 को पारित आदेश के क्रम में माफियाओं की गतिविधियों तथा राज्य सरकार के कार्यों में हस्तक्षेप पर अंकुश लगाने के लिये कानून का प्रारुप न्याय विभाग की सहमति से तैयार किया गया है।

उन्होंने बताया था कि इस विधेयक में 28 ऐसे प्रावधान हैं जो पहले से लागू गैंगस्टर एक्ट में शामिल नहीं हैं। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित कानून के तहत दर्ज मुकदमों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें बनेंगी।

मंत्री ने बताया कि विधेयक के परीक्षण के लिए गृह विभाग के सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी। इसमें अपर पुलिस महानिदेशक (अपराध) तथा विशेष सचिव (न्याय विभाग) को भी शामिल किया गया था।

इस समिति द्वारा परीक्षण के दौरान उच्च न्यायालय के पारित निर्णय तथा महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून-1999 (मकोका) का भी गहन अध्ययन करके इस विधेयक का प्रारुप तैयार किया गया है।

पूरे प्रदेश में संगठित अपराध करने वाले गिरोहों पर नियंत्रण एवं उनकी गतिविधियों की निगरानी के लिये गृह विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय संगठित अपराध नियंत्रण प्राधिकरण के गठन का प्रावधान भी किया गया है।

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शर्मा ने बताया कि यह प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर अथवा शिकायत होने पर संगठित अपराधियों की गतिविधियों की छानबीन करेगा तथा इसके लिये प्राधिकरण शासन की कोई भी फाइल देखने के लिए अधिकृत होगा।

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