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राहुल गांधी को विदेशी कहना इस नेता को पड़ा भारी, मायावती ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की कुर्सी छीनी

मायावती ने बसपा के राष्‍ट्रीय संयोजक जय प्रकाश सिंह को पार्टी से निकाल दिया है। मायावती ने कहा कि मुझे जय प्रकाश सिंह के भाषण के बारे में पता चला था कि उन्‍होंने पार्टी की विचारधारा के खिलाफ बातें की है।
#Mayawati

लखनऊ। बसपा अध्यक्ष मायावती ने आज जयप्रकाश सिंह को अपनी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया। मायावती ने कहा, ”मुझे कल लखनऊ में बसपा कार्यकर्ता-सम्मेलन के दौरान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयप्रकाश सिंह के भाषण के बारे में यह जानकारी मिली है कि उन्होंने बसपा की मानवतावादी सोच और नीतियों के विरूद्ध जाकर तथा अपनी विरोधी पार्टियों के सर्वोच्च राष्ट्रीय नेताओं के बारे में व्यक्तिगत टीका-टिप्पणी करके उनके बारे में काफी अनर्गल बातें कही हैं। यह बसपा की संस्कृति के विरूद्ध है।”

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उन्होंने कहा कि सिंह द्वारा कही गई बातें उनकी व्यक्तिगत सोच की उपज हैं, बसपा की नहीं। उनकी बातें बसपा की सोच और नीतियों के विरूद्ध भी हैं। इसे अति गम्भीरता से लेते हुये तथा पार्टी के हित में सिंह को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। उन्हें राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर के पद से भी हटा दिया गया है। बसपा की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक मायावती ने पूरे देश में अपनी पार्टी के सभी छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और नेताओं को चेतावनी दी कि वे बसपा की हर छोटी बड़ी बैठक, कैडर शिविर एवं जनसभा में केवल बसपा की विचारधारा, नीतियों एवं मूवमेन्ट के बारे में अपनी बात रखें। उन्होंने कहा कि नेता और कार्यकर्ता दलित एवं पिछडे़ वर्ग में जन्मे अपने महान सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों एवं पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष के बारे में भी केवल उनके जीवन-संघर्ष व सोच के सम्बन्ध में ही अपनी बातें रखें।

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उन्होंने कहा, ”लेकिन उनकी आड़ में दूसरों के सन्तों, गुरूओं एवं महापुरूषों के बारे में अभद्र एवं अशोभनीय भाषा का कतई भी इस्तेमाल ना करें। अर्थात दूसरी पार्टियों के कुछ सिरफिरे नेताओं के पदचिह्नों पर चलकर, अपनी पार्टी के लोगों को किसी के बारे में भी अनर्गल भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये।” सिंह ने कल कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। मायावती ने पार्टी के वरष्ठि नेताओं और पदाधिकारियों को सलाह दी कि उन्हें गंभीर एवं महत्वपूर्ण विषयों पर तथा प्रेस वार्ता में अपनी बात लिखकर ही रखना और बोलना चाहिए।

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