मेरठ में सुरक्षित नहीं बचपन  

Sundar ChandelSundar Chandel   15 Nov 2017 11:19 AM GMT

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मेरठ में सुरक्षित नहीं बचपन  साभार: इंटरनेट 

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

मेरठ। आज हम बड़े ही धूमधाम से बाल दिवस मना रहे हैं पर क्या आपको पता है कि मेरठ में अब बचपन सुरक्षित नहीं रह गया है। वेस्ट यूपी में जहां एक ओर सबसे ज्यादा बच्चे गायब हो रहे हैं। वहीं मेरठ दूसरे राज्यों से तस्करी कर लाए गए बच्चों का भी हब बन गया है। बच्चों के लिए काम कर रहे संगठनों का मानना है कि मेरठ में कई ऐसे तस्कर रहते हैं, जिनके तार देश के कई राज्यों में फैले हैं।

इन राज्यों में संपर्क

माई होम इंडिया के संस्थापक व महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सलाहकार बोर्ड में सदस्य सुनील देवधर बताते हैं, “वेस्ट बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश के अलावा बिहार में भी बाल तस्करों का जाल फैला है। जो विभिन्न राज्यों से बच्चों को बेचने के लिए लाते हैं। ग्राहक पहले से ही तैयार रहते हैं। रेलवे स्टेशन पर डिलवरी दी जाती है। पिछले दिनों ऐसा ही गैंग मेरठ में पकड़ा भी गया था।”

बच्चे गायब होने का कारण

चाइल्ड सुरक्षा संस्था द्वारा कराए गए सर्वे के अनुसार, 85 फीसदी बच्चे पढ़ाई में असफल होने और परिजनों के सपनों को पूरा न कर पाने के चक्कर में घर छोड़ते हैं। 10 फीसदी बच्चों का अपहरण होता है, जबकि पांच फीसदी किशोर प्यार के चक्कर में भी घर छोड़ देते हैं।

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बच्चों की तस्करी में संलिप्त गिरोह पर हमेशा नजर रखी जाती है, जब से रेलवे स्टेशन पर बच्चे मिले थे, तभी से स्टेशन पर भी निगरानी है।
अशोक वर्मा, एचटीयू प्रभारी, मेरठ

पिछले तीन वर्षों से बाल तस्करी मेरठ में हावी है। शास्त्रीनगर स्थित घर से 20 बच्चों को बरामद किया गया था। चाइल्ड होम भी बच्चों का पालन-पोषण करने में फिसड्डी साबित हो रहे हैं। अभी सर्राफा व्यापार में हजारों बच्चे ऐसे मिल जाएंगे, जिनकी उम्र काम करने की नहीं है।
अनीता राणा, अध्यक्ष चाइल्ड लाइन

मेरठ जोन की हालत खराब

वर्ष 2016 में एक जनवरी से लेकर 30 दिसंबर तक पूरे प्रदेश में 867 बच्चे गायब होने की रिपोर्ट है। जिनमें 298 बच्चे अकेले मेरठ जोन में गायब हुए हैं। वहीं बरेली जोन में सर्वाधिक कम 87 बच्चे गायब हुए हैं। आगरा में 191, वारणसी में 154 बच्चे गायब होने की रिपोर्ट है। जिनमें से 391 बच्चों को खोजकर उनके परिजनों को सौंपा जा चुका है।

मंगवाई जाती है भीख

मेरठ में कई ऐसे चौराहे हैं जहां बच्चों से भीख मंगवाई जाती है। भीख न मांगने पर बच्चों को मारा-पीटा जाता है। पिछले दिनों बिहार के दो बच्चों ने स्वयं पुलिस को यह बात बताई थी। उन्होंने कहा था कि उन्हें जबरन नशा सुंघाकर भीख मंगवाई जाती है। तेजगढ़ी, बेगमपुल, जीरोमाइल चौराहे पर ये बच्चे अक्सर देखे जाते हैं।

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