मुख्य बिंदू
-डीएम कानपुर की शिकायत पर एसटीएफ ने दबोचा
-आरोपी खुद को सीएम का निजी सचिव बताते थे
लखनऊ। पूर्व मंत्री अमरमणी त्रिपाठी के साथ जेल में बंद उनके गुर्गों ने सीएम योगी आदित्यनाथ का निजी सचिव बनकर यूपी में अफसरों को धमका कर धन ऐठने का कार्य शुरू कर दिया था, जिन्हें एसटीएफ ने शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया है। डीएम कानपुर ने लखनऊ के अलीगंज थाने पर आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। एसटीएफ के डीआईजी मनोज तिवारी का कहना है कि, तीन जालसाजों को दबोचा गया है, इनमें से एक अमरमणी त्रिपाठी के साथ अपहरण के मामले में जेल में बंद था।
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यूपी के सीएम आदित्यनाथ के नाम पर अफसरों को फोन करने वाले तीन ठगों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। आरोपी फर्जी सिम लेकर डीएम से लेकर एसएसपी तक को फोन पर कंपनियों पर छापा मारने का आदेश देते थे। इतना ही नहीं ठगों ने ट्रू-कॉलर पर सीएम योगी आदित्यनाथ का नाम भी डाल रखा था ताकि कोई उन पर शक न कर सके। डीआईजी एसटीएफ मनोज तिवारी ने बताया कि, बीते दो से तीन महीनों के भीतर एक गिरोह सक्रिय था, जो मुख्यमंत्री का निजी सचिव बनाकर कारोबारियों से धन उगाही का काम कर रहा था। लेकिन उनके बारे में कुछ खास जानकारी नहीं मिल पा रही थी। इसी बीच ठग ने डीएम कानपुर को फोन कर वहीं के एक प्रतिष्ठिïत कंपनी पर छापा मारने को बोला। आरोपी ने खुद को सीएम का निजी सचिव बताया था। लेकिन जब डीएम को शक हुआ तो उन्होंने अपने स्तर से पड़ताल की तो पता चला फोन लखनऊ के अलीगंज से किया गया है जबकि सिम फर्जी नंबर से लिया गया है।
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डीएम ने अलीगंज थाने पर मुकदमा दर्ज कराया और मामले की जांच एसटीएफ को दी गई। एसटीएफ को जांच के दौरान सुराग मिला कि ठग अलीगंज के कपूरथला के पास मौजूद है, जिन्हें एसटीएफ ने तत्काल पहुंच कर दबोच लिया। आरोपियों ने अपना नाम इलाहाबाद के ओसा कंघियारा गांव निवासी अतीश कुमार मिश्रा, जनपद बस्ती के बंथला गांव निवासी हनुमान शुक्ला और गोंडा के मन्नी पुरवा गांव निवासी राहुल उपाध्याय बताया है। आरोपी अतीश कुमार मिश्रा ने बताया कि, उसने ही व्यापारियों से ठगी की योजना बनाई थी और अपने दो साथियों को साथ में रखा था। इस काम के लिए आरोपी हनुमान का इस्तेमाल फोन कॉल करने के लिए किया जाता था, क्योंकि उसे भोजपुरी भाषा आती थी, इसके पीछे आरोपियों का मकसद यह था कि, किसी अधिकारी को यह लगे कि, सीएम गोरखपुर के रहने वाले हैं और वहां ज्यादातर भोजपूरी भाषा बोली जाती है।
अधिकारियों को लगे की फोन करने वाले की बोलने की भाषा में भोजपुरी झलक आ रही है, इसके चलते वह खुद को सीएम का निजी सचिव होने का एहसास दिलाते थे। वहीं आरोपियों ने पूछताछ में यह भी बताया कि वह बड़े -बडे कारोबारियों का नंबर हासिल कर उन्हें फोन करता था और उन्हें सरकार में मंत्री बनवाने का भी झांसा दिया करता था। ऐसा उसने कई कारोबारियों के साथ किया था। हालांकि अभी तक इस बात की जानकारी नहीं हो सकी है कि, आरोपियों ने कितना धन उगाही कर एकत्र कर लिया है।
व्यापारी रुपए न देते तो अधिकारियों से कहकर पड़वाते थे छापा
आरोपी अतीश कुमार मिश्रा ने बताया कि, वह पहले कारोबारियों को फोन करता था। उन पर घपले का आरोप लगाकर रुपयों की मांग करता था। जब उसे रुपए नहीं मिलते थे तबवह वहां के जिलाधिकारी व श्रम आयुक्त को फोन कर कंपनियों, कारखानों पर छापा मारने का हुक्म देता था, जिसे अफसर आसानी से मान लेते थे।
अपहरण के केस में गया था जेल
एसटीएफ डीआईजी मनोज तिवारी के मुताबिक, आरोपी राहुल उपाध्याय बस्ती में एक अपहरण के मामले में जेल भी गया था। राहुल ने पूर्व कैबिनेट मंत्री अमनमणि त्रिपाठी के कहने पर एक व्यक्ति का अपहरण कर उनके फार्म हाउस पर बंधक बना रखा था, जिससे इन लोगों ने लाखों की वसूली मांगती थी। हालांकि उस वक्त डॉक्टर को इनके चंगुल से छुड़वा लिया गया था।
ट्रू-कॉलर में सीएम योगी लिख कर आता था
आरोपियों ने एयरसेल कंपनी का कई सिम ले रखा था। जबकि कही से जानकारी एकत्र कर मोबाइल के ट्रू कॉलर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लिख लिया था। आरोपी जब भी किसी अधिकारी या व्यापारी को फोन करते थे तो उनके फोने के ट्रू कॉलर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लिखकर आता था। जिसके बाद वह अधिकारियों को अर्दब में लेता था।