अपनी जेब से हर महीने 30 गरीब बच्चों की ट्यूशन फीस भर्ती है महिला

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कन्नौज। एक शहरी महिला को और गरीबों से इतना लगाव हो गया कि नौनिहालों के लिए ट्यूशन शुरू करा दी। इन बच्चों की पढ़ाई का खर्च वह खुद वहन कर रही हैं। इसमें सास का सहयोग बखूबी मिल रहा है।

जिला मुख्यालय कन्नौज से करीब 45 किमी दूर बसे छिबरामऊ इलाके के गांव कल्यानपुर निवासी प्रतिभा मिश्रा (पिंकी) बताती हैं, ”गांव में कई ऐसे बच्चे हैं जो गरीब हैं या जिनमें पढ़ने और कुछ बनने की ललक है, उनकी ट्यूशन हमने अपने खर्च पर शुरू करा दी है। इसमें सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के स्कूलों के बच्चे पढ़ने आते हैं।”


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आगे बताया कि ”वैसे तो मैं बंगलौर रहती हूं लेकिन गांव से इतना लगाव हो गया है कि हर महीने यहां आ जाती हूं। इस बहाने समाजसेवा और बच्चों की मदद हो जाती है। बच्चे ही कल का भविष्य हैं। पढ़कर कुछ बनेंगे तो मेरे गांव का ही नाम होगा।”


75 वर्षीय शांति देवी बताती हैं, ”गरीब बच्चों के लिए मेरी बहू काफी कुछ कर रही है। हम बहू के साथ मिलकर बच्चों के लिए काम करते हैं। बहू को मेरा पूरा सहयोग है, तब ही वह समाजसेवा में आगे बढ़ रही है। ट्यूशन की फीस भी मेर बहू की देगी।” आगे बताया कि ”शहर में रहने के बाद भी मेरी बहू का गांव से मोहभंग नहीं हुआ है। मेरा हाल-चाल जानने के साथ ही वह बच्चों के भविष्य के लिए खासी चिंतित है इसलिए हर महीने यहां आती हैं। कई दिनों तक रहती भी हैं।”

25 वर्षीय सौम्या बताती हैं कि ”गांव में कई वीक बच्चे हैं उनको पढ़ाने का काम कर रही हूं। हर रोज करीब 20-25 बच्चे पढ़ने आते हैं। उनकी फीस बंगलौर वाली मैम पिंकी मिश्रा देंगी। सरकारी स्कूल के बच्चे अधिक पढ़ने आते हैं। दिन में दो-तीन वैच लगाती हूं।”

बच्चों के भी हैं कई सपने

प्राथमिक स्कूल कल्यानपुर में कक्षा चार में पढ़ने वाली तान्या बताती है कि ”मेरे पापा इंद्रपाल खेती करते हैं। मैं 17 दिसम्बर 2018 से यहां पढ़ने आती हूं। बडे़ होकर मैं पुलिस में जाना चाहती हूं।”

कक्षा तीन में पढ़ने वाले सोम ने बताया, ”मेरी मम्मी ने कहा था कि सौम्या दीदी से ट्यूशन पढ़ने जाया करो। तब से हम पढ़ने आते हैं।” कक्षा एक के छात्र शेरू ने बताया कि ”एक महीने से यहां पढ़ रहे हैं। ट्यूशन में अच्छी पढ़ाई होती है। मेरे पापा मकान बनाने वाले मिस्त्री हैं।” कक्षा तीन के छात्र सिकंदर ने बताया कि ट्यूशन में पक्षियों के नाम, एबीसीडी, पहाड़ा सभी पढ़ाया जाता है। कक्षा तीन की ही नेहा का कहना है कि कोचिंग में पढ़ाया गया समझ में आता है। हर विषय की पढ़ाई यहां होती है। 

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