#HappyMother’sDay: ये हैं मॉडर्न मॉम्स, बच्चों को पढ़ाने के लिए खुद सीख रहीं अंग्रेजी

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#HappyMother’sDay: ये हैं मॉडर्न मॉम्स, बच्चों को पढ़ाने के लिए खुद सीख रहीं अंग्रेजीफोटो प्रतीकात्मक

“मेरे दो बच्चे हैं आकाश और ज्योति। दोनों अच्छे अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। मैं हाईस्कूल तक पढ़ी जरूर हूं, लेकिन मुझे न तो अंग्रेजी लिखना आता है और न ही पढ़ना इसलिए शिक्षिकाओं द्वारा डायरी पर लिखी बात पढ़ नहीं पाती हूं, इसलिए मैंने अब अंग्रेजी सीखना शुरू कर दिया है।”

लखनऊ। दुनिया भर में आज मदर्स-डे मनाया जा रहा है, शहरों और बड़े कस्बों को छोड़ दें तो ज्यादातर माओं को इऩ दिन के बारे में जानकारी नहीं। उन्हें आज के तौर तरीके भले नहीं पता लेकिन वो दुनिया से कदम ताल करने की कोशिश में जरुर हैं।

बच्चों का बेहतर भविष्य बनाने के लिए गांवों से शहरों के बड़े स्कूल में बच्चों को बढ़ाने वाली मांओं के सामने भाषा एक मुद्दा है लेकिन बच्चों के लिए वो इससे भी तैयार हैं। मदर्स डे पर हम आपको उन माताओं की कहानी बता रहे हैं जो अपनों बच्चों की बेहतरी के लिए कुछ भी करने तत्पर हैं। ऐसी महिलाओं के हौसलों को उड़ान दे रही है एक गैर सरकारी संस्था होली विजन इंटरनेशनल।

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संस्था उन बच्चों की माताओं को शिक्षित करने का काम कर रही है जो शिक्षित नहीं हैं या अंग्रेजी पढ़ना-लिखना नहीं जानती, लेकिन उनके बच्चे बड़े इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं।
बच्चों को पढ़ाने के लिए अंग्रेजी सीख रहीं ममता सिंह (35 वर्ष) बताती हैं कि मेरे दो बच्चे हैं आकाश और ज्योति। दोनों अच्छे अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। मैं हाईस्कूल तक पढ़ी जरूर हूं, लेकिन मुझे न तो अंग्रेजी लिखना आता है और न ही पढ़ना इसलिए शिक्षिकाओं द्वारा डायरी पर लिखी बात पढ़ नहीं पाती हूं, इसलिए मैंने अब अंग्रेजी सीखना शुरू कर दिया है।

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प्रिया शेरवानी (30 वर्ष) कहती हैं कि मैं और मेरे पति इंग्लिश नहीं जानते इसलिए बच्चों की पढ़ाई में काफी दिक्कतें आती हैं। खुद इंग्लिश सीखने के लिए भारी फीस देने की न तो मेरी स्थिति है और न ही मेरे आस-पास का माहौल है। ऐसे में मैं इस संस्था द्वारा लगाई जा रही क्लास में आ जाती हूं जो मेरे लिए काफी मददगार साबित हो रहा है।

बच्चों के हिसाब से खुद को बदल रही हैं आज की माएं।

महिलाओं को पढ़ने में मदद करती हैं कई संस्थाएं

संस्था उन बच्चों की माताओं को शिक्षित करने का काम कर रही है जो शिक्षित नहीं हैं या अंग्रेजी पढ़ना लिखना नहीं जानती, लेकिन उनके बच्चे नामी इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। इस संस्था की संस्थापक अर्जुमन्द जै़दी संस्था के साथ इंग्लिश मीडियम एक स्कूल भी चलाती हैं, बताती हैं कि माताओं को शिक्षित करने की बात तब मन में आई, जब मेरे स्कूल में पढ़ने वाले कई बच्चों की डायरी में मैसेज लिखने के बावजूद भी उनका काम पूरा नहीं होता है। या फिर छुट्टी, पिकनिक या अन्य कार्यक्रमों के दिनों में बच्चे बैग लेकर आ जाते हैं या पढ़ाई के दिनों में बैग न लेकर। जानकारी करने पर मालूम होता है कि डायरी या तो पढ़ी नहीं गई या देखी नहीं गई क्योंकि माता-पिता को अंग्रेजी नहीं आती है।

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