विभाग कर्मियों की मनमर्जी की वजह से दिन में भी जलती है लाइट
गाँव कनेक्शन 14 April 2017 4:40 PM GMT

कविता द्विवेदी, स्वयं कम्यूनिटी जर्नलिस्ट
बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के कई गाँव ऐसे हैं, जहां आज भी लाइट की सुविधा नहीं है, वहीं दूसरी ओर जहां लाइट की सुविधा है, वहां इसका दुरुपयोग किया जा रहा है।
जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर स्थित हैदरगढ़ क्षेत्र के बहुत से गाँव में बिजली के बल्ब दिन में जलते हैं। हैदरगढ़ के नरेन्द्रपुर मदरहा, रुकनापुर, लक्षनगढ़, लोनीकटरा आदि गाँवों में यही हाल दिखाई देता है। ऐसे में बिजली की बर्बादी हो रही है।
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इस विषय पर लक्षनगढ़ के एक किसान सुरेश कुमार (41 वर्ष) ने बताया, “साहब बड़ी मुश्किल से तो वे लोग बल्ब लगा के जाते हैं, स्विच लगाने के लिए कहने पर वो कहते हैं कि इसका अलग से चार्ज पड़ेगा। ऐसे में इतने रुपये हो तो हम बिजली न ले लें।” वहीं रुकनापुर की विमला बताती हैं, “हम सब लोग कहते हैं कि स्विच लगा दो।
रात मे खोल लेंगे बल्ब, मगर वह नहीं लगाते हैं। बाद में कोई नहीं सुनता।” प्रत्येक गाँव में कम से कम दो बल्ब जलते हैं। अगर इसी तरह एक गाँव मे दो बल्ब जलते रहे तो एक ब्लाक मे लगभग 100 बल्ब दिन में जलते हैं। तो इस तरह एक गाँव मे हर रोज छह यूनिट बिजली प्रति घण्टे क्षय होती है।
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