लखनऊ। शासन की नई नीति से खादी उत्तर प्रदेश के करीब सवा लाख बनुकरों को लाभ तो मिलेगा ही, साथ ही खादी से बने उत्पादों को पसंद करने वाले लोगों को भी फायदा होगा। नई नीति के तहत उत्तर प्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड बुनकरों के बैंक खातों में सीधे अनुदान की राशि भेजेगा। अभी तक अनुदान की राशि संस्थानों को ही मिलती थी।
प्रदेश सरकार की नई खादी नीति के तहत अब अनुदान की राशि का लाभ खादी संस्थानों के साथ ही बनुकरों को भी होगा। अभी तक अनुदान की धनराशि बिक्री के हिसाब से संस्थाओं को दी जाती थीं। संस्थाएं बुनकरों को अनुदान की धनराशि में हिस्सा नहीं देती थीं, ऐसी शिकायतें आती रहती हैं। अनुदान की राशि सीधे बनुकरों तक देने के लिए बोर्ड ने सभी संस्थानों से बुनकरों को ब्योरा मांगा है। ब्योरा में पूरे पते के साथ बनुकरों के बैंक का खाता नंबर भी मांगा गय है।
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इस नयी नीति के बारे में कर्मेन्द्र सिंह, संयुक्त सचिव, खादी एवं ग्रामोद्योग (उप्र) बताते हैं “संस्थान बुनकर द्वारा किए गए काम की जानकारी बोर्ड को देगा जिसके हिसाब से बोर्ड अनुदान की धनराशि सीधे बुनकर के बैंक खातों में भेज देगा।”
बोर्ड से प्रदेश में खादी का उत्पाद व खादी के वस्त्र बेचने वाली 536 संस्थान पंजीकृत हैं। इस संस्थानों से करीब सवा लाख बनुकर जुड़े हैं। बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि कई बनुकर एक से अधिक संस्थानों के लिए काम करते हैं। ऐसे सभी बुनकरों में सभी संस्थानों में किए गए काम के हिसाब से अनुदान राशि मिलेगी। इस योजना से बनुकरों की आर्थिक स्थिति मजबूत होने के साथ उनमें काम के प्रतिस्पर्धा होगी।
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नई व्यवस्था से खादी संस्थानों के बीच भी प्रतियोगिता बढ़ेगी जिसका सीधा लाभ बुनकरों व ग्राहकों को होगा। प्रदेश सरकार ने खादी पर मिलने वाले अनुदान को लेकर नई नीति बनाई है। अभी तक खादी पर गांधी जयंती के अवसर पर छूट मिलती थी। यह छूट 2 अक्टूबर से 108 दिनों तक रहती थी। खादी से जुड़े संस्थानों को प्रदेश सरकार दस केंद्र सरकार 15 फीसदी तक अनुदान देती थी। इस तरह ग्राहकों को खादी को खादी पर 25 फीसदी छूट मिलती थी।
छूट की जानकारी सत्यदेव पचौरी, मंत्री, खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग (उप्र) ने ट्वीट करके दी। उन्होंने लिखा “कालीन, बनारसी साड़ी और हैंडीक्राफ्ट कारोबारियों को मिलेगी सहूलियत। प्रदेश में खादी पर 35% की छूट मिलेगी, जिसमें प्रदेश सरकार खादी पर पूरे वर्ष देगी 15% छूट।”
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कर्मेन्द्र सिंह आगे बताते हैं “प्रदेश सरकार की नई नीति के तहत अब खादी में संस्थानों को पूरे वर्ष भी अनुदान दिया जाएगा। प्रदेश सरकार ने खादी पर सालभर 15 फीसदी छूट देने का शासनादेश जारी किया है। इसके तहत दस 10 फीसदी अनुदान संस्थानों व पांच फीसदी अनुदान बनुकरों को मिलेगा। बोर्ड प्रदेश में खादी को आत लोगों के बीच लोक्रपिय बनाने की कवायद कर रहा है। खादी की गुणवत्ता सुधारने के साथ ही खादी से जुड़े बुनकरों व इकाइयों को भी आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने का प्रयास किया जा रहा है।
खादी उत्पादों की बिक्री में जबरदस्त उछाल
खादी के वस्त्रों की मांग पूरे देश में बढ़ती जा रही है। हाल में खादी और ग्राम उद्योग आयोग ने एक बयान जारी करके बताया है कि वर्ष 2016-17 में खादी उत्पादों की बिक्री में जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया। सरकारों, कंपनियों, स्कूल-कॉलेजों और राज्य सरकारों की तरफ से भारी-भरकम ऑर्डर मिल रहे हैं। 2018-19 के अंत तक 5000 करोड़ रुपए की बिक्री का लक्ष्य तय किया गया है।
इस समय देश में 1.42 लाख बुनकर और 8.62 लाख कातने वाले कारीगर हैं। एक अनुमान के अनुसार 9.60 लाख चरखों और 1.51 लाख करघों में खादी बन रही है। खादी ग्रामोउद्योग भवन, 24 रीगल बिल्डिंग, कनाट सर्कस नई दिल्ली खादी और ग्रामोउद्योग आयोग भारत सरकार का सबसे बड़ा शोरूम है। यहां पर खादी भंडार और खादी बिक्री केन्द्र पर खरीदारी के लिए आए लोगों की भीड़ उमड़ी रहती है। देशभर में खादी के जितनी दुकानें और शोरूम हैं सब जगह की यही स्थिति है।
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1957 में खादी और ग्राम उद्योग आयोग की स्थापना की गई
देश में खादी को बढ़ावा देने के लिए 1957 में खादी और ग्राम उद्योग आयोग की स्थापना की गई थी। देश में खादी उद्यागे को बढ़ाने के लिए नए आदर्श चर्खा कार्यक्रम के तहत बेहतरीन कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए खादी और ग्राम उद्योग आयोग ने कुट्टूर (केरल), चित्रदुर्ग (कर्नाटक), सिहोर (मध्य प्रदेश), एटा और राय बरेली (उत्तर प्रदेश) और हाजीपुर (बिहार) में छह सेंट्रल सिल्वर प्लांट्स स्थापित किए हैं।
खादी एक ऐसा कपड़ा है जो हाथ से काते गये धागे से ही बनाया जाता है। इसे बनाने में सूत, ऊन और रेशम का इस्तेमाल किया जाता है। धागे में घुमाव की दिशा से खादी की पहचान की जा सकती है। खादी के धागे में घुमाव की दिशा अंग्रेजी के ”S” अक्षर की तरह होती है जिसे आम तौर पर बांयी ओर का या घड़ी की सूइयों की विपरीत दिशा का घुमाव माना जाता है।