किसान बही के लिए किसानों को अब नहीं करना होगा इंतजार
Ashwani Nigam 24 April 2017 7:47 PM GMT
लखनऊ। प्रदेश के किसानों के गेहूं का उचित भाव मिले इसलिए सरकार सभी गेहूं खरीद केंद्रों पर सरकारी दर निर्धारित कर गेहूं की खरीद कर रही है। इसके तहत किसानों की सही पहचान के लिए किसान बही की मांगी जा रही है, लेकिन अधिकतर किसान बही दिखला नहीं पा रहे हैं। इस मामले में यह तथ्य सामने आने के बाद कि कई किसानों के पास उनकी किसान बही है ही नहीं। साथ ही दूसरे प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने में आ रही समय आदि की दिक्कतों को देखते हुए राज्य सरकार ने एक नया आदेश जारी किया है।
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प्रदेश के परिवहन और प्रोटोकाल राज्यमंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बताया '' किसानों को किसान बही प्रमाण पत्र जल्द से जल्द जारी किया जाए। इससे पहले किसान बही बनाने के लिए 20 दिन की समय सीमा थी, लेकिन अब इस सीमा को समाप्त कर दिया गया है। '' आपकों बता दें कि किसानों के राजस्व की सबसे प्रमाणिक पहचान किसान बही होती है, लेकिन उत्तर प्रदेश में पिछले एक दशक से किसानों को किसान बही जारी ही नहीं की गई। इसका नतीजा है कि किसानों को अपनी खेती और जमीन के बारे में अधिकृत जानकारी लेने के लिए खतौनी का सहारा लेना पड़ रहा है।
1992 में की किसान बही योजना की शुरूआत
लखनऊ तहसील के लेखपाल पीके शुक्ला ने बताया '' उत्तर प्रदेश का प्रत्येक किसान कितनी खेती योग्य जमीन का मालिक है और उसके पास कितना भू-राजस्व है, इसके लिए साल 1992 में किसान बही योजना की शुरूआत की गई थी। यह किसानों को फालतू की भागदौड़ और प्रशासनिक कठिनाइयों से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल थी। उन्होंने बताया कि भूमि-स्वामित्व का यह प्रमाण खेती योग्य जमीन के खरीद-बिक्री के लिए अनिवार्य था। जिसमें प्रत्येक किसान को किसान बही नाम से एक प्रमाणपत्र तहसील से जारी किया था।
बैंक के पासबुक की तरह किसान बही में किसान के बारे में सभी प्रकार की जानकारी रहती थी। जिसमें किसान का नाम, पता, उसके पास उपलब्ध जमीन का विवरण और किसान की पहचान के लिए उसका फोटोग्राफ रहता था। तहसीलदार और कानूनगो के हस्ताक्षर से इसे जारी किया गया था। लेकिन कुछ सालों बाद यह योजना ठंडे बस्ते में पड़ गई और किसानों को राजस्व विभाग से समय से किसान बही उपलब्ध ही नहीं कराई जाती थी।
जरूरी है किसान बही
किसान बही किसानों का यह एक ऐसा दस्तावेज है जो किसान की पहचान का प्रमाणपत्र था और यह सभी सरकारी विभागों के साथ ही बैंक में अभी भी मान्य है। किसान अपनी आय, अधिवास और जाति प्रमाणपत्र की जगह भी इसका इस्मेमाल कर सकता है। सूत्रों की माने तो राजस्व विभाग की लापरवाही और किसानों के अंदर इसकी जागरूकता की कमी से अधिकतर किसानों ने किसान बही बनवाना ही बंद कर दिया था। लेकिन अब उत्तर प्रदेश की सरकार ने तय किया है कि किसान बही को लेकर किसानों को जागरूक करने के साथ ही राजस्व विभाग को आदेश दिया गया है कि वह किसान बही को जल्द से जल्द जारी करे। जिन किसानों के पास किसान बही है उनसे किसान बही को अपडेट करने को भी कहा गया है।
बीज और खाद पाने के लिए जरूरी है किसान बही
सरकार की तरफ से किसानों को उपलब्ध कराई जा रही बीज और खाद की सुविधा पाने के लिए किसानों को किसान बही दिखलाना जरूरी होता है। इसका मकसद होता है कि विभाग को यह पता चल सके कि बीज और खाद पाने वाले किसान के पास खेती की कितनी जमीन है और वह इन सुविधाओं को वास्तविक हकदार है कि नहीं।
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