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यूपी में अब नहीं होगी घटतौली, गन्ना पर्यवेक्षकों की हुई नियुक्ति

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में गन्ना खरीद केन्द्रों और चीनी मिलों पर घटतौली से निपटने के लिए 850 से अधिक गन्ना पर्यवेक्षकों की टीम तैयार की गयी है। पहली बार टीम में 70 से अधिक महिला पर्यवेक्षकों को भी शामिल किया गया है।

उत्तर प्रदेश में गन्ने की खरीद के दौरान किसानों को घटतौली जैसी समस्या का सामना न करना पड़े, इसके लिए इस वर्ष विशेष कदम उठाए गए हैं। खरीद के समय कम तौल दिखाने को ही स्थानीय भाषा में घटतौली कहा जाता है और लंबे समय से किसानों की मांग थी कि सरकार की तरफ से गन्ने के तौल के समय और विभन्नि मौकों पर निगरानी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।


गन्ना मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी ने कहा, ”गन्ना तथा चीनी उद्योग को गति प्रदान करने की नीयत से यह कदम उठाया गया है। गन्ना पर्यवेक्षकों की टीम गन्ना खरीद केन्द्रों तथा चीनी मिलों पर घटतौली रोकने की दिशा में प्रभावी व्यवस्था करेगी ताकि किसानों को उनकी फसल के सही तौल का सही मूल्य मिल सके।”

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प्रदेश सरकार ने 851 गन्ना पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। पहली बार 78 महिलाएं गन्ना पर्यवेक्षक के पद पर चयनित हुई हैं । गन्ना पर्यवेक्षकों के पद 1999 से रिक्ति चली आ रहे थे। अधिकारी ने बताया कि गन्ना पर्यवेक्षकों को मृत संवर्ग घोषित कर दिए जाने के कारण इनकी भर्ती बन्द थी । अब 20 साल बाद इस वर्ष भर्ती की गई है।

उन्होंने कहा, ”गन्ना पर्यवेक्षक चीनी मिलों के साथ-साथ गुड़ एवं खाण्डसारी इकाइयों के लिए गन्ना खरीद से जुड़ी विभन्नि प्रक्रियाओं की सुगमता सुनश्चिति करेंगे। गन्ना किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान के लिए लगातार प्रयास किया गया है । परिणामस्वरूप गन्ना किसानों को पिछले कई वर्षों की बकाया धनराशि का भुगतान किया गया है। इसी वर्ष से गन्ना पर्ची वितरण की नई व्यवस्था भी लागू की गई है। खाण्डसारी उद्योग को बढ़ावा देने के मकसद से नीतिगत निर्णय लेकर पारदर्शी एवं ऑनलाइन खाण्डसारी लाइसेंस व्यवस्था लागू की गई है।

अधिकारी ने कहा कि खाण्डसारी उद्योगों हेतु मात्र चार माह की अल्प अवधि में 50 नये लाइसेंस जारी किए गए हैं । प्रदेश में कुल 119 चीनी मिलें वर्तमान में संचालित हैं। पिपराईच एवं मुण्डेरवा में दो नई चीनी मिलें स्थापित की जा रही हैं, जिनमें पेराई कार्य फरवरी, 2019 तक शुरू हो जाएगा। आने वाले समय में एथेनॉल के संयंत्र भी प्रदेश में स्थापित किए जाएंगे।


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अधिकारी ने बताया कि पहली बार सरकारी चीनी मिलों की रिकवरी निजी चीनी मिलों की तुलना में बढ़ी है, जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण बात है। मुख्यमंत्री योगी आदत्यिनाथ ने 20 नवंबर को चीनी मिलों के संचालन तथा गन्ना खरीद तथा भुगतान के सम्बन्ध में समीक्षा बैठक की थी।

इस दौरान उन्होंने कहा, ”गन्ना किसानों का हित और चीनी मिलों का सुदृढ़ीकरण राज्य सरकार की प्राथमिकता है। किसी भी स्तर पर किसानों का उत्पीड़न नहीं होने दिया जाएगा। राज्य सरकार चीनी उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए हर.सम्भव मदद उपलब्ध कराएगी।”

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मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि चीनी मिलों द्वारा पेराई सत्र 2017-18 के कुल देय गन्ना मूल्य 35,463 करोड़ रुपए के सापेक्ष 28,633 करोड़ रुपए का गन्ना मूल्य भुगतान किया जा चुका है । शेष 6,830 करोड़ रुपए का भुगतान शीघ्रता से सुनश्चिति किया जा सके।

अधिकारी ने कहा, ”गन्ने के उत्पादन में रिकार्ड बढ़ोतरी हुई है। गन्ना उत्पादन में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। वर्ष 2015-16 में 64 करोड कुंतल गन्ने की पेराई पूरे प्रदेश में की गयी थी। इस बार 111 करोड कुंतल गन्ने की पेराई की गयी है।” 

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