मथुरा। उत्तर प्रदेश में मथुरा के एक किसान ने आलू की खेती में घाटे से परेशान होकर खुद को गोली मार ली। इससे पहले पड़ोसी आगरा जिले के एक किसान ने इसी कारण से आत्महत्या की थी। पुलिस के अनुसार जिले के शहजादपुर (इंदावली) निवासी तेजपाल सिंह (28) ने शनिवार की रात करीब साढ़े दस बजे तमंचे से गोली मारकर खुदकुशी कर ली।
गौरतलब है कि आलू की फसल में लगातार घाटा उठाते चले आ रहे आगरा के खन्दौली क्षेत्र निवासी आलू उत्पादक भारतीय किसान यूनियन (भानु) के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रताप सिंह द्वारा दस दिन पूर्व गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। तेजपाल के बड़े भाई सुखवीर सिंह ने बताया “तेजपाल पर बैंक का एक लाख रुपए का कृषि ऋण था। वह तीन साल से लगातार घाटा होने के चलते चुका नहीं पा रहा था।”
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आलू को वैसे तो सब्जियों का राजा कहा जाता है, लेकिन पिछले वर्ष राजा आलू का भाव कौड़ियों में भी नहीं रहा। तंत्र नींद से तब जागा जब आलू लिए किसान सड़कों पर आ गये। किसान कोल्ड स्टोरेज से आलू निकाल ही नहीं रहे। और कोल्ड स्टोरेज वाले आलू को बाहर फेंक दे रहे हैं। पिछलों दिनों उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सड़कों पर आलू फेंका गया।
पिछले साल का हाल
- 155 लाख टन आलू की पैदावार
- 1708 कोल्ड स्टोर थे
- 130 लाख टन भंडारण क्षमता थी
- 120 लाख टन भंडारण हुआ था
- 1 लाख टन आलू खरीद का था लक्ष्य
- 12,937 टन आलू ही खरीदा जा सका
इस साल की तैयारी
- 160 लाख टन पैदावार का अनुमान
- 1825 कोल्ड स्टोर हैं
- 142 लाख टन हुई भंडारण क्षमता
ऐसे बढ़ी किसानों की समस्या
आलू का उत्पादन लगातार बढ़ता गया, लेकिन उसके मुकाबले भंडारण क्षमता और बाजार उपलब्ध नहीं हुआ। पिछले साल आलू खरीद की शुरुआत हुई, लेकिन मामूली लक्ष्य भी पूरा नहीं हो सका। क्वॉलिटी के ऐसे मानक तय किए गए कि सामान्य आलू खरीदा ही नहीं गया। खरीद भी काफी देर से शुरू हुई।
ऐसे बढ़ा आलू उत्पादन
साल उत्पादन (लाख टन में)
- 2011-12 123.16
- 2012-13 133.36
- 2013-14 120.60
- 2014-15 129.86
- 2015-16 141.13
- 2016-17 155.63
- 2017-18 160 (अनुमानित) (विभागीय आंकड़ों के अनुसार)