जैविक तरीके से उगा रहे हरा चारा

Diti BajpaiDiti Bajpai   23 April 2017 8:28 AM GMT

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जैविक तरीके से उगा रहे हरा चाराजैविक हरा चारा।

लखनऊ। राकेश दुबे (45 वर्ष) जैविक हरा चारा उगाकर पशुओं से अच्छी गुणवत्ता का दूध उत्पादन तो कर ही रहे हैं। साथ ही अपने आस-पास के गाँव के लोगों को जैविक हरा चारा उगाने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं।

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फैजाबाद से 37 किमी. दूर बिरठौली ब्लॉक के बहराय मंजरा गाँव में राकेश के पास पांच हेक्टेयर खेत हैं, जिसमें से आधा हेक्टेयर में वह पशुओं के लिए चारा बोते हैं। राकेश बताते हैं, "पिछले चार वर्षों से हम जैविक हरा चारा उगा रहे हैं। इस चारे से दूध उत्पादन तो नहीं बढ़ाता, लेकिन जो दूध की गुणवत्ता है वो काफी अच्छी है इससे घी भी अच्छा बनता है।"

पिछले कुछ वर्षों में रासायनिक उर्वरकों पर निर्भर किसानों का रुझान जैविक खेती की तरफ बढ़ रहा है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अनुसार, प्रमाणित जैविक खेती के तहत खेती योग्य क्षेत्र पिछले एक दशक में तकरीबन 17 गुना बढ़ गया है। यह क्षेत्र वर्ष 2003-04 में 42,000 हेक्टेयर था, जो वर्ष 2013-14 में बढ़कर 7.23 लाख हेक्टेयर के स्तर पर पहुंच गया। उत्तर प्रदेश में 44670.10 हेक्टेयर में जैविक खेती हो रही है। राकेश के पास 13 गिर गाय हैं, जिनसे वह प्रतिदिन 15-16 लीटर दूध का उत्पादन करते हैं।

राकेश पशुओं के लिए खुद तो जैविक हरा चारा उगा ही रहे हैं। साथ ही आस-पास के लोगों को भी प्रेरित कर रहे हैं। राकेश बताते हैं, "जिन लोगों के पास पशु हैं उन्होंने देखा और दूध की गुणवत्ता को सुधारने के लिए आज वो भी जैविक हरा चारा उगा रहे हैं।"

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राकेश ही नहीं बरेली जिले के भोजीपुरा ब्लॉक के मियांपुर गाँव में रहने वाले बंसी कुमार वर्मा (45 वर्ष) भी अपने पशुओं के लिए हरा चारा उगा रहे हैं। जैविक तरीके से हरा चारा उगाने की विधि के बारे में बंसी बताते हैं, "गोमूत्र, गोबर, गुड़ और बेसन का घोल बनाकर हम खेत में छिड़काव करते हैं। इससे नीलगाय भी नहीं आती है।" किशोर के पास 20 भैंसे हैं। "हरा चारे खिलाने से पशुओं में पानी की कमी भी नहीं होती है और पशुओं के शरीर में जो त्वचा में रोग हो जाते है वो भी कम होती है।"

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